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बैंक की मिलीभगत से 20 करोड़ का घोटाला, हाईकोर्ट ने दिये जांच के आदेश
इलाहाबाद: हाईकोर्ट ने कृषि ऋण माफी योजना में बीस करोड़ के घोटाले के खिलाफ जनहित याचिका पर नाबार्ड के चेयरमैन को जांच कराने के निर्देश दिये हैं। कोर्ट ने चेयरमैन से कहा है कि 2008 की इस योजना के जानकार अधिकारी से प्रत्येक लोन खाते की जांच कराकर हाईकोर्ट में रिपोर्ट पेश करें।
बैंक में घोटाला
-याची का कहना है कि भारत सरकार की कृषि ऋण माफी एवं राहत योजना में प्रथमा बैंक की 263 शाखाओें में से 170 शाखाओं में घोटाला किया गया।
-याचिका में बैंक अधिकारियों पर घूस लेकर अपात्र लोगों को ऋणमाफी योजना का लाभ देने व पात्रों को वंचित करने का आरोप लगाया गया है।
-कोर्ट ने नाबार्ड से कहा है कि कोर्ट एकाउंटिंग की विशेषज्ञ नहीं है। ऋणमाफी योजना एवं बैंकिंग सिस्टम की जानकारी रखने वाले अधिकारी से जांच कराई जाए।
-कोर्ट ने प्रथमा बैंक की पिपलीदाउद, धवार्सी, चुचेला कला, जैटीली, सकतू नगला, नन्हेरा, मनौता, रेहरा, अलीपुर, चोवला, गजरौला एवं चकनवाला शाखा के लोन खातों की जांच का निर्देश दिया है।
-योजना के तहत 5 एकड़ खेती वालों की पूरी ऋण माफी तथा इससे अधिक खेती वालों को 25 फीसदी माफी दी जानी है और यह मार्च 97 से मार्च 07 के बीच के लोन पर लागू है। नाबार्ड इसकी नोडल एजेंसी है।
-यह आदेश न्यायमूर्ति अरूण टंडन तथा न्यायमूर्ति सुनीता अग्रवाल की खण्डपीठ ने मुरादाबाद के निवासी चन्द्रकांत शर्मा की जनहित याचिका पर दिया है।
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