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Barabanki News: 27 साल से चल रही अनूठी परंपराः बंदरों के लिए पुआ भोज, हनुमान चालीसा के साथ भेजा जाता न्योता
Barabanki News: इस वर्ष डॉ. अशुतोष गुप्ता की अगुवाई में 27वां बंदर पुआ भोज संपन्न हुआ। इस विशेष भंडारे की शुरुआत 1998 में अयोध्या के आचार्य स्व. भगवान दुबे ने की थी।
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Barabanki News: बाराबंकी के रामसनेहीघाट स्थित बूढ़े हनुमान मंदिर में एक अनोखी परंपरा निभाई जाती है। ज्येष्ठ माह के पहले शनिवार को यहां बंदरों के लिए पुआ भोज का आयोजन होता है। इस वर्ष डॉ. अशुतोष गुप्ता की अगुवाई में 27वां बंदर पुआ भोज संपन्न हुआ। इस विशेष भंडारे की शुरुआत 1998 में अयोध्या के आचार्य स्व. भगवान दुबे ने की थी।
वे बजरंगबली के अनन्य भक्त थे और पराग डेयरी में फील्ड ऑफिसर के रूप में रामसनेहीघाट में तैनात थे। उनके स्थानांतरण के बाद भी वे हर साल भंडारा करवाने आते रहे। उनके निधन के बाद उनके शिष्य डॉ. आशुतोष गुप्त और बाला जी सेवा समिति ने इस परंपरा को जारी रखा। भंडारे की एक खास बात यह है कि बंदरों को विशेष तरीके से आमंत्रित किया जाता है।
डॉ. गुप्त और उनकी टीम क्षेत्र के विभिन्न स्थानों पर जाकर हनुमान चालीसा की चौपाई पढ़ते हुए बंदरों को भीगे चने देकर न्योता देते हैं। इस आमंत्रण के बाद ही हजारों की संख्या में बंदर भंडारे में शामिल होते हैं। भंडारे में बंदरों को माल पुआ परोसा जाता है। बंदरों के भोजन के बाद प्रसाद का वितरण किया जाता है। ज्येष्ठ माह में जहां पूरे बाराबंकी में बड़े मंगल के अवसर पर भंडारों की धूम रहती है।