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बीजेपी एमएलसी ने अपने सिफारिशी पत्र को बताया फर्जी, RSS कार्यकर्ता बताकर आरोपी के खिलाफ केस बंद करवाने का था जिक्र
लखनऊ: आरएसएस का कार्यकर्ता बता उसके खिलाफ केस बंद करने की सिफारिश करने वाले अपने नाम के पत्र को भाजपा एमएलसी देवेंद्र प्रताप सिंह ने फर्जी बताया है। इस पर इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने देवी पाटन मंडल के डीआईजी अनिल कुमार राय से पूंछा है कि जब एमएलसी अपने पत्र को फर्जी बता रहें हैं तो क्या फर्जीवाड़ा करने वाले के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कर इस बात की विवेचना नहीं होनी चाहिए थी कि वास्तव में एमएलसी के नाम का फर्जी सिफारिशी पत्र किसने बनाया। कोर्ट ने कहा कि जब एमएलसी एवं डीआईजी दोनों उक्त पत्र को फर्जी करार दे रहे हैं तो फिर फर्जीवाड़ा करने वाले को पकड़ने के लिए जांच न करवाना पहेलीनुमा प्रश्न है। कोर्ट ने डीआईजी से एमएलसी के पत्र की सत्यता की जांच कराकर 31 अक्टूबर तक विस्तृत हलफनामा दाखिल करने का आदेश दिया है।
बीजेपी एमएलसी का पत्र बना था चर्चा का विषय
यह आदेश जस्टिस अजय लांबा व जस्टिस संजय हरकौली की बेंच ने मुरारी लाल की ओर से दायर रिट याचिका पर सुनवायी करते हुए पारित किया। याची ने बहराइच के कोतवाली देहात पर मानव वध का प्रयास करने व एससी-एसटी अधिनियम के तहत प्राथमिकी दर्ज कराकर अभियुक्तों के खिलाफ कार्यवाही की मांग की थी। याची ने हाईकोर्ट में अपनी याचिका दायर कर मांग की थी कि उसके मुकदमें की निष्पक्ष व उचित जांच करायी जाये।
याची की ओर से भाजपा एमएलसी देवेंद्र प्रताप सिंह के एक पत्र का हवाला देकर कहा गया कि उक्त भाजपा नेता विवेचना में बिना हक दखल दे रहे हैं और यह कहकर पुलिस से अभियुक्तों के लाभ पहुंचाने की सिफारिश कर रहे हैं कि वे आरएसएस के स्वयंसेवक हैं। एमएलसी की ओर से बहराइच के पुलिस अधीक्षक को 19 अप्रैल 2018 के लिखे इस पत्र में पुलिस अधीक्षक को निर्देश दिया गया कि अभियुक्तों के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी के कैंसिल कर उन्हें सूचित किया जाये।
याचिका पर सरकार की ओर से कहा गया कि विवेचना होकर फाइनल रिपेर्ट तैयार हो गयी है। सारी परिस्थितियें पर गौर करने के बाद केर्ट ने 2 अगस्त को डीआईली देवी पाटन मंडल को आदेश दिया कि वे विवेचना के देंखें और हलफनामा दायर करें। साथ ही विवेचनाधिकारी के फाइनल रिपेर्ट कोर्ट में भेजने पर अंतरिम रेक लगा दी थी। कोर्ट ने डीआईजी से कहा था कि वे देंखे कि किस प्रकार नेताअें को विवेचना में अवैध हस्तक्षेप करने दिया जा रहा है जिससे न्याय प्रशासन में दखल हो रहा है। कोर्ट ने मामले को प्रमुख सचिव गृह व डीजीपी के संज्ञान में लाने के लिए आदेश की प्रति उन्हें भी भिजवायी थी।
डीआईजी ने हलफनामे में दिए थे बयान
आदेश के अनुपालन में डीआईजी ने हलफनामा दायर कर कहा था कि 12 जुलाई 2018 के एमएलसी ने बहराइच पुलिस अधीक्षक को पत्र लिखकर कहा था कि 19 अप्रैल 2018 का सिफारिशी पत्र फर्जी है।
इस पर कोर्ट ने सरकारी वकील से पूंछा कि जब उक्त पत्र फर्जी था तो यह तो और भी गंभीर विषय है कि जनप्रतिनिधि के नाम का फर्जी पत्र प्रयोग किया गया है। तो ऐसे में पुलिस ने उक्त फर्जी पत्र लिखने वाले का पता लगाने के लिए क्या किया।
कोर्ट ने पूरे मसले पर कड़ा संज्ञान लेते हुए डीआईजी के फर्जी शिफारिसी पत्र लिखने वाले का पता लगाने के लिए प्राथमिकी दर्ज कर विवेचना करवाकर हलफनामा पेश करने का आदेश दिया है।
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