Gi Tag : जीआई टैग से बुंदेलखण्ड के किसानों की दोगुनी होगी आय

Gi Tag :कठिया गेहूं कई बीमरियों के लिए फायदेमंद है, जैसे की शुगर, दिल की बीमारी, आर्थराइटिस आदि

B.K Kushwaha
Published on: 3 April 2024 3:16 PM IST (Updated on: 3 April 2024 4:41 PM IST)
Gi Tag (Newstrack)
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Gi Tag (Newstrack)

Gi Tag : बुंदेलखण्ड के कठिया गेहूँ पहले से ही प्रसिद्ध रहा है।यह खाने में भी स्वादिष्ट एवं पोषकता से भरपूर होता है। कठिया गेहूं में कार्बोहाइड्रेट्स, एंटीऑक्सिडेंट्स, विटामिन ए, आयरन और जिंक की मात्रा भरपूर रूप से पायी जाती है। कठिया गेहूं कई बीमरियों के लिए फायदेमंद है, जैसे की शुगर, दिल की बीमारी, आर्थराइटिस आदि। इसमें प्रोटीन की मात्रा लगभग 1.5 - 2 प्रतिशत पायी जाती है। इसको चिकित्सक भी मरीजों को कठिया गेहूँ का दलिया खाने का सुझाव देते हैं।

कठिया गेहूँ कर रहे किसानों की आय दोगुनी होगी

रानी लक्ष्मी बाई केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, झाँसी के कुलपति डॉ अशोक कुमार सिंह के निर्देशन में कृषि विवि झाँसी, दतिया, मऊरानीपुर, बंगरा, ललितपुर आदि क्षेत्रों में पिछले एक वर्ष से कृषि वैज्ञानिक किसानों के खेत में कठिया गेहूँ पर प्रसार कार्य कर रहे हैं। निदेशक प्रसार शिक्षा डॉ एसएस सिंह ने बताया कि जीआई टैग मिलने के बाद बुंदेलखण्ड में कठिया गेहूँ कर रहे किसानों की आय निश्चित ही दोगुनी होगी।क्योंकि यह गेहूँ सामान्य गेहूँ से एक हजार रूपये अधिक कीमत में बाजार में बिकता है। जीआई टैग मिलने के बाद कुलपति ने विवि की कठिया गेहूँ पर कार्य कर रही टीम की भूरि - भूरि प्रशंसा की।


एफ.पी.ओ.के कुल 125 किसान कठिया गेहूँ पर काम कर रहे काम

उन्होंने बताया कि इसके बाजार का दायरा और अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाने के लिए नाबार्ड ने वर्ष 2021 में जीआई टैग (ज्योग्राफीकल इंडिकेशन) दिलाने की मुहिम शुरू की थी। भारत सरकार ने कठिया गेहूँ को जीआई टैग को मंजूरी देकर कठिया गेहूँ उत्पादन करने बाले किसानों को सीधा फायदा दिया है। कृषि विवि ने अग्रिम पंक्ति प्रदर्शन के अंतर्गत रबी 2023 में कठिया गेहूँ पर कई एफपीओ के साथ मिलकर कार्य किया है। जिसे जीआई टैग का दर्जा मिला है, बंगरा प्रोडूसर कंपनी लिमिटेड, के 20 किसानों को 8 क्विंटल कठिया गेहूँ की उन्नत प्रजाति का इंदौर से लाकर बीज दिया था। जिसको वैज्ञानिक दल लगातार निरीक्षण करता रहा तथा समय - समय पर किसानों को विभिन्न तकनीकी जानकारी के साथ - साथ अन्य मदद भी की। एफपीओ को इंदौर की नयी किस्म की कठिया गेहूं एच.आई.8759 किसानों को दी गयी।वैज्ञानिकों ने बताया इसकी उपज लगभग 56 क्विंटल प्रति हैक्टेयर होती है। एफ.पी.ओ कठिया व्हीट बंगरा प्रोडूसर कंपनी लिमिटेड, बंगरा, झाँसी जिन्हे जी आई टैग का दर्जा मिला है । उनके सहयोग के साथ यूनिवर्सिटी ने बंगरा में कठिया गेहूं का बीज वितरित किया। विवि के वैज्ञानिक जिन्होने किसानों के साथ मिलकर कठिया गेहूँ पर कार्य किया है। इनमें डॉ गुंजन गुलेरिया, डॉ शिववेन्द्र सिंह, डॉ अनीता पूयाम और डॉ विश्वनाथ है। इस एफ.पी.ओ.के कुल 125 किसान कठिया गेहूँ पर काम कर रहे हैं। साथ ही साथ विश्वविद्यालय ने ढिमलोनी, मऊरानीपुर में भी 25 किसानों को 10 क्विंटल कठिया गेहूं का बीज वितरित किया था ताकि किसान ज्यादा से ज्यादा कठिया गेहूं लगाएं और ज्यादा से ज्यादा उत्पादन के लिए अन्य किसानों को बीज मिल सके।

Shalini Rai

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