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उत्पादकों के लिए खुशखबरी, UP में कहीं भी बेच सकते हैं आम
यूपी के कृषि उत्पादन आयुक्त आलोक सिन्हा ने अधिकारियों को निर्देश दिये कि उत्तर प्रदेश के आम की प्रमुख प्रजातियों का जीआई पंजीकरण करा कर अन्य प्रदेशों में इन प्रजातियों के आम को प्रोत्साहित किए जाए।
लखनऊ: यूपी के कृषि उत्पादन आयुक्त आलोक सिन्हा ने अधिकारियों को निर्देश दिये कि उत्तर प्रदेश के आम की प्रमुख प्रजातियों का जीआई पंजीकरण करा कर अन्य प्रदेशों में इन प्रजातियों के आम को प्रोत्साहित किए जाए। कृषि उत्पादन आयुक्त ने कहा कि आम विपणन पर मण्डी शुल्क मुक्त कर दिया गया है, अब आम उत्पादक कहीं भी आम की बिक्री कर सकता है। इसके लिये मण्डी में भीड़ करने की आवश्यकता नही है।
इस सम्बन्ध में निर्देश दिये गये कि इसका व्यापक प्रचार-प्रसार किया जाए तथा आम क्रय करने वाले सीधे उत्पादकों के बाग या किसी एक निर्धारित स्थान से क्रय की कार्यवाही करें। इसके साथ ही निदेशालय स्तर पर एक विशेष सेल के गठन भी किया गया जो गुणवत्तापूर्वक आम के उत्पादन तथा इसके प्रसंस्करण को बढ़ाने का काम करेगा।
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उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग द्वारा प्रदेश में आम विकास की योजना के प्रस्तुतीकरण के दौरान कृषि उत्पादन आयुक्त ने निर्देश दिए कि प्रदेश के आम का मूल्य सम्वर्द्धन कर उसकी पहचान बनायी जायें। उन्होंने कहा कि आम उत्पादकों को उनकी फसल का उचित मूल्य प्राप्त हो तथा ग्रामीण क्षेत्र में रोजगार सृजित हो, इसके लिए विभिन्न अवस्थापना सुविधाएं जैसे कि आम से विभिन्न उत्पाद बनाने के लिए छोटी-छोटी खाद्य प्रसंस्करण इकाईयों की स्थापना, आम पकाने के लिए राइपनिंग चेम्बर की स्थापना, निर्यात को बढ़ाने के लिए फलपट्टी क्षेत्रों में पैक हाउस का निर्माण आदि को शामिल किया जाये।
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कृषि उत्पादन आयुक्त ने कहा कि प्रदेश में उत्पादित आम की प्रमुख प्रजातियां दशहरी, लंगड़ा, चैसा, रटौल आदि विशेष रूप से मशहूर हैं। इनका वर्गीकरण आपकी गुणवत्ता व स्वाद के आधार पर भी किया जाना चाहिये। आम के स्वाद के आधार पर वर्गीकरण करने के लिए आम के टेस्टिंग विशेषज्ञ नामित किये जायें जो आम को स्वाद के आधार पर वर्गीकृत कर सकें।
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उन्होंने कहा कि प्रदेश में उत्पादित आम की ऐसी समस्त प्रजातियां, जिनकी मांग विपणन के दृष्टिकोण से प्रदेश के अंदर अन्र्तप्रदेशीय यथा विदेश में हों, इसमें गुणवत्ता सुधार के लिए वर्तमान सीजन में पौधवार प्राप्त आम की फसल में अच्छी गुणवत्ता, उत्पादकता एवं स्वाद को दृष्टिगत रखते हुये मातृवृक्षों का कैटेगराइजेशन गुणवत्ता और स्वाद के अनुसार विभिन्न श्रेणियों में बांटते हुये वृक्षों का चिन्हित किया जाए और इन्हीं वृक्षों से प्राइवेट तथा सरकारी नर्सरी में कलम निर्माण का काम कर आम की बागवानी की जाए। बता दे कि प्रदेश में प्रतिवर्ष 10 हजार करोड़ रुपये कीमत का आम उत्पादन होता है।
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