अनाज घेटाले में सीबीआई कोर्ट ने तीन पूर्व एसडीएम को दी क्लीन चिट

वर्तमान में सुरेंद्र प्रसाद सिंह युवा कल्याण निदेशालय में डिप्टी डायरेक्टर व प्रमोद कुमार शुक्ला कानपुर मंडल के उपायुक्त है। जबकि जयकरन सिंह सेवानिवृत हो चुके है। यह तीनों अभियुक्त घोटाले के दौरान लखीमपुर खीरी में एसडीएम हुआ करते थे।

SK Gautam
Published on: 15 April 2019 10:23 PM IST
अनाज घेटाले में सीबीआई कोर्ट ने तीन पूर्व एसडीएम को दी क्लीन चिट
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लखनऊ:सीबीआई की एक विशेष अदालत ने लखीमपुर खीरी के अनाज घोटाला मामले में तत्कालीन एसडीएम सुरेंद्र प्रसाद सिंह, प्रमोद कुमार शुक्ला व जयकरन सिंह के खिलाफ मुकदमा चलाने से मना कर दिया है। अदालत के विशेष जज राजेश कुमार, द्वितीय ने इस मामले में इन तीनों अभियुक्तों को लगाए गए आरोपों से उन्मोचित कर दिया है।

वर्तमान में सुरेंद्र प्रसाद सिंह युवा कल्याण निदेशालय में डिप्टी डायरेक्टर व प्रमोद कुमार शुक्ला कानपुर मंडल के उपायुक्त है। जबकि जयकरन सिंह सेवानिवृत हो चुके है। यह तीनों अभियुक्त घोटाले के दौरान लखीमपुर खीरी में एसडीएम हुआ करते थे।

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अदालत में मुकदमे के विचारण के दौरान इन तीनों अभियुक्तों के वकील प्रांशु अग्रवाल ने अभियोजन स्वीकृति की वैधता को चुनौती दी थी। उनका तर्क था कि अभियोजन स्वीकृति देने में संबधित अधिकारी ने नहीं बल्कि सीबीआई ने अपना दिमाग लगाया है। लिहाजा यह विधि सम्मत नहीं बल्कि अवैध है।

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सीबीआई द्वारा उनके इस तर्क का पुरजोर विरोध किया गया। लेकिन अदालत में अपनी गवाही के दौरान अभियोजन की मंजूरी देने वाले नियुक्ति विभाग के तत्कालीन उपसचिव रघुनाथ सिंह परिहार ने बचाव पक्ष के तर्को की पुष्टि की। कहा कि उनके पास सिर्फ अभियोजन स्वीकृति का प्रारुप बनाकर भेजा गया था। उन्होंने अपने मस्तिष्क व अभिलेखों का अवलोकन किए बिना ही उस पर दस्तखत कर दिए थे। क्योंकि उनके पास समय नहीं था। उन्होंने उसी दरम्यान पदभार ग्रहण किया था। उन्हें नहीं मालुम कि उन्होंने किस धारा व किस अधिनियम के तहत अभियोजन की मंजूरी दी थी।

सीबीआई के विशेष जज ने अपने आदेश में कहा है कि ऐसी परिस्थिति में अभियोजन स्वीकृति अवैध है। लिहाजा तीनों अभियुक्तों पर लगाए गए आरोप उन्मोचित करने योग्य हैं। उन्हें अदालत के अग्रिम आदेशों तक उन्मोचित किया जाता है। जबकि अन्य अभियुक्तों पर आरोप के संबद्ध में 24 अपै्रल की तारीख तय की जाती है।

यह है मामला

यह अनाज घोटाल कथित रूप से 2002-2005 के मध्य हुआ था। इस मामले में सीबीआई ने इन तीनों के अलावा 31 सरकारी व गैरसरकारी लोगों के खिलाफ भी आपराधिक षडयंत्र, धोखाधड़ी व भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धाराओं में अलग अलग आरोप पत्र दाखिल किया था। सीबीआई ने अभियुक्तों के खिलाफ मुकदमा चलाने की अभियोजन स्वीकृति भी प्राप्त की थी। यह घोटाला लखीमपुर खीरी के सभी छःह ब्लाकों में हुआ था। जिसके मुताबिक अभियुक्तों पर बीपीएल योजना के तहत वितरित किए जाने वाले कुल एक लाख 77 हजार 895 कुुंतल अनाज की कालाबाजारी का आरोप है। जिसमें कुल नौ करोड़ 68 लाख 38 हजार 192 रुपएका गबन किया गया। सीबीआई ने तत्कालीन एसडीएम सुरेंद्र प्रसाद सिंह के खिलाफ अनाज घोटाले के दो मामलों में आरोप पत्र दाखिल किया था। यह दोनों ही मामलो में आरोपों से डिस्चार्ज हो गए हैं।

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