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चकबंदी के 50 पार सात अफसरों को छुटटी, तीन बर्खास्त, दो पर दंडात्मक कार्यवाही
लखनऊ: यूपी सरकार ने चकबंदी के 50 वर्ष से अधिक आयु के सात अफसरों की छुटटी कर दी है। तीन को बर्खास्त किया गया है और दो पर दंडात्मक कार्यवाही की गई है।
इन अधिकारियों को अनिवार्य सेवानिवृत्ति
प्रमोद कुमार त्रिपाठी बन्दोबस्त अधिकारी, चकबन्दी जनपद-बांदा, ओमकार नाथ चकबन्दी अधिकारी सन्तरविदास नगर (भदोही), गिरीश कुमार द्विवेदी सहायक चकबन्दी अधिकारी उन्नाव, राजकुमार शर्मा सहायक चकबन्दी अधिकारी ऐटा, वेदप्रकाश सिंह सहायक चकबन्दी अधिकारी बिजनौर, रमेश कुमार सहायक चकबन्दी अधिकारी, बलिया तथा वीर विक्रम गौड़ सहायक चकबन्दी अधिकारी, सहारनपुर शामिल है।
स्क्रीनिंग कमेटी ने पाया यह दोष
प्रमोद कुमार त्रिपाठी बन्दोबस्त अधिकारी बांदा को अवैध धनराशि स्वीकार करने के ट्रैप केस में इटावा में की गयी अनिमितताओं के लिए दोषी पाया था।
ओमकार नाथ चकबन्दी अधिकारी संतरविदास नगर को 27 अक्टूबर, 2001 चकबन्दी अधिकारी के मूल वेतन पर लघु दण्ड दिया गया था। 2016 से निलम्बित चल रहे थे।
गिरीश कुमार द्विवेदी, सहायक चकबन्दी अधिकारी, उन्नाव की वृहद दण्ड, परिनिन्दा तथा तीन वृहद दण्ड की राज्य लोक सेवा अधिकरण में याचिका विचाराधीन थी।
राजकुमार शर्मा सहायक चकबन्दी अधिकारी, ऐटा के विरूद्ध एक वृहद दण्ड और लघु दण्ड अन्तिम और एक वृहद दण्ड के विरूद्ध शासन में प्रत्यावेदन लम्बित था।
वेद प्रकाश सिंह सहायक चकबन्दी अधिकारी बिजनौर के विरूद्ध वृहद दण्ड, लघु दण्ड के विरूद्ध निर्देश याचिका के आदेश 30 अगस्त, 2016 के अनुपालन में शासनस्तर पर अपील प्रार्थना पत्र नहीं भेजा गया था।
रमेश सहायक चकबन्दी अधिकारी, बलिया को दो पृथक-पृथक वृहद दण्ड एवं लघु दण्ड दिया गया था।
वीर विक्रम गौड़ सहायक चकबन्दी अधिकारी, सहारनपुर को तीन पृथक-पृथक वृहद दण्ड एवं लघु दण्ड अन्तिम रूप से दिये गये थे।
इनको किया गया बर्खास्त
सहारनपुर में तैनात चकबंदी अधिकारी रामकेश कटियार, मुजफ्फर नगर में तैनात चकबंदी अधिकारी सचेन्द्र बहादुर सिंह तथा लखनऊ में तैनात चकबंदी अधिकारी राम किशोर गुप्ता को बर्खास्त किया गया है। इनके अलावा अमरोहा में तैनात चकबंदी अधिकारी अजब सिंह तथा सहायक चकबंदी अधिकारी लक्ष्मीकांत सरोज को प्रारम्भिक मूल वेतन पर प्रत्यावर्तित किया गया है।
चकबंदी विभाग के तीन अधिकारियों को ग्राम सभा की सम्पत्तियों तथा यमुना एक्सप्रेस-वे औद्योगिक विकास प्राधिकरण की भूमि को निजी खातेदारों को चक के रूप में आवंटित करने पर बर्खास्त किया गया है।
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