राज्य में 'शुगर डेवलपमेण्ट फण्ड’ की होगी स्थापना 

मुख्यमंत्री ने कहा कि गन्ना किसानों का हित राज्य सरकार की प्राथमिकताओं में शामिल है। राज्य सरकार का हमेशा यह प्रयास रहा है कि गन्ना किसानों को किसी भी स्तर पर कोई असुविधा न होने पाए। गन्ना उत्तर प्रदेश की एक महत्वपूर्ण नगदी फसल है।

SK Gautam
Published on: 13 Nov 2019 10:13 PM IST
राज्य में शुगर डेवलपमेण्ट फण्ड’ की होगी स्थापना 
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लखनऊ: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि सरकार ने माफियागिरी एवं भ्रष्टाचार के विरुद्ध जीरो टाॅलरेंस की नीति अपनाई है। इसके क्रम में राज्य सरकार ने चीनी मिलों से पर्ची निर्गमन का कार्य वापस लेकर पेराई सत्र 2018-19 में पुनः गन्ना समितियों को सौंपा दिया। गत पेराई सत्र 2018-19 में पहली बार विकेन्द्रीकृत व्यवस्था के तहत गन्ना समितियों द्वारा क्षेत्रीय वेण्डरों के माध्यम से पर्ची निर्गमन का कार्य सफलतापूर्वक सम्पादित किया गया।

किसानों को अतिरिक्त गन्ना मूल्य प्राप्त हुआ

इसका सुखद परिणाम यह रहा कि चीनी मिलों को ताजे गन्ने की आपूर्ति हुई, गन्ना किसानों को गन्ने के अधिक वजन का मूल्य मिला तथा चीनी मिलों को अधिक रिकवरी के रूप में फायदा हुआ। ताजा गन्ना आपूर्ति से गन्ने की सूख कम हो गई। इसके परिणामस्वरूप गन्ना किसानों को अतिरिक्त गन्ना मूल्य प्राप्त हुआ। इसके अलावा, चीनी रिकवरी में 0.62 प्रतिशत की वृद्धि हो जाने से अतिरिक्त चीनी उत्पादन भी हुआ।

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मुख्यमंत्री ने कहा कि गन्ना किसानों का हित राज्य सरकार की प्राथमिकताओं में शामिल है। राज्य सरकार का हमेशा यह प्रयास रहा है कि गन्ना किसानों को किसी भी स्तर पर कोई असुविधा न होने पाए। गन्ना उत्तर प्रदेश की एक महत्वपूर्ण नगदी फसल है। यह फसल प्रदेश के 50 लाख गन्ना किसान परिवारों की जीविका का आधार होने के साथ-साथ ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रीढ़ भी है।

प्रधानमंत्री जी के संकल्प को साकार करने के लिए ये है योजनाएं

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि किसान को अन्नदाता मानते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने किसानों की आमदनी को वर्ष 2022 तक दोगुना करने का संकल्प लिया है। प्रधानमंत्री जी के संकल्प को साकार करने के लिए मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना, प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना, विभिन्न खाद्यान्नों के समर्थन मूल्य में वृद्धि, बकाया गन्ना मूल्य भुगतान आदि के लिए योजनाएं लागू की गयी है।

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केन्द्र सरकार द्वारा प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (पी0एम0 किसान) जैसी महत्वाकांक्षी योजना के माध्यम से सभी किसानों को सीधे 06 हजार रुपए की आर्थिक सहायता प्रतिवर्ष उपलब्ध कराने की भी व्यवस्था की गयी है। उन्होंने कहा कि अच्छा होता यदि इन योजनाओं को आजादी के बाद ही लागू किया जाता।

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि मार्च, 2017 में वर्तमान सरकार ने जब सत्ता सम्भाली, तब राज्य में गन्ना किसानों की स्थिति अत्यन्त दयनीय थी। चीनी मिलें बन्द हो रही थीं और कई बेची भी जा चुकी थीं। न्द नहीं की जाएगी।

उन्होंने कहा कि राज्य सरकार का मानना है कि एक चीनी मिल लगभग 50 हजार गन्ना किसान परिवार तथा 8500 व्यापारियों और 4000 नौजवानों को प्रत्यक्ष एवं परोक्ष रोजगार के माध्यम से लाभान्वित करती है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में लगभग 50 लाख गन्ना किसान मौजूद हैं और इस क्षेत्र पर लगभग ढाई करोड़ लोग निर्भर हैं। अतः राज्य सरकार ने अपने विगत ढाई वर्षों से अधिक के कार्यकाल के दौरान आवश्यकतानुसार नई चीनी मिलों की स्थापना तथा पहले से स्थापित चीनी मिलों के विस्तार एवं आधुनिकीकरण पर फोकस किया है।

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ताकि किसानों के अतिरिक्त उपलब्ध गन्ने की सुगम आपूर्ति हो सके

मुख्यमंत्री ने कहा कि किसानों की खुशहाली में गन्ने के योगदान एवं रोजगार सृजन को ध्यान में रखते हुए प्रदेश सरकार द्वारा पूर्वांचल की बन्द पड़ी निगम क्षेत्र की चीनी मिल पिपराइच एवं मुण्डेरवा में 5000 टी0सी0डी0 क्षमता की नई मिल का निर्माण कराया गया है। जनपद बागपत में सहकारी क्षेत्र की रमाला चीनी मिल तथा जनपद मेरठ में निगम क्षेत्र की मोहिउद्दीनपुर चीनी मिल की पेराई क्षमता बढ़ायी गई है, ताकि किसानों के अतिरिक्त उपलब्ध गन्ने की सुगम आपूर्ति हो सके। वर्तमान में राज्य में 119 चीनी मिलें कार्यरत हैं। इसके अलावा, शीघ्र ही 02 नई चीनी मिलें संचालित हो जाएंगी। राज्य सरकार ने निरन्तर किसानों को हर सम्भव सुविधा उपलब्ध कराने का प्रयास किया है।

पराली तथा गन्ने की पत्तियां जलाने की समस्या और इससे फैलने वाले प्रदूषण के मद्देनजर मुख्यमंत्री जी ने उपस्थित किसानों से इन्हें न जलाने की अपील की। उन्होंने कहा कि इनके जलाने से प्रदूषण तो फैलता ही है, साथ ही खेत की उर्वरता भी कम होती है। इस प्रदूषण का असर मनुष्य के अलावा, पशु-पक्षियों तथा पेड़-पौधों पर भी पड़ता है।

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पराली तथा अन्य अवशेषों की कीमत किसानों को दिलवाने की दिशा में कार्य

इस समस्या का समाधान पराली तथा फसलों के अन्य अवषेषों की कम्पोस्ट खाद बनाने से निकाला जा सकता है। राज्य सरकार प्रदेश में बायोफ्यूल की इकाइयां स्थापित कर पराली तथा अन्य अवशेषों की कीमत किसानों को दिलवाने की दिशा में कार्य कर रही है। इनसे विद्युत उत्पादन की सम्भावनाओं को भी तलाशा जा रहा है।

गन्ना विकास मंत्री सुरेश राणा ने कहा कि वर्तमान राज्य सरकार के कार्यकाल में गन्ना बुआई के क्षेत्रफल में लगातार वृद्धि हो रही है। प्रदेष में वर्ष 2016-17 में जहां 20 लाख हेक्टेयर गन्ना बोया गया था, वहीं अब यह क्षेत्रफल बढ़कर 28 लाख हेक्टेयर हो चुका है। यह एक बड़ी उपलब्धि है। कार्यक्रम के अन्त में गन्ना विकास राज्यमंत्री सुरेश पासी ने धन्यवाद ज्ञापित किया।

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