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UP के मुख्य सचिव दीपक सिंघल की नियुक्ति को हाईकोर्ट में चुनौती
लखनऊ: वरिष्ठ आईएएस अधिकारी दीपक सिंघल के मुख्य सचिव पद पर नियुक्ति को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है। स्थानीय वकील प्रत्युष त्रिपाठी ने याचिका दी है। इसमें कहा गया है कि मुख्य सचिव की नियुक्ति के लिए भी एक पैनल होनी चाहिए। सिंघल की नियुक्ति मनमाने तरीके से हुई। इनसे वरिष्ठ डेढ़ दर्जन अधिकारियों की अनदेखी की गई।
सिंघल ने 18 सीनियरों को किया सुपरसीड
-1982 बैच के दीपक सिंघल ने अपने से 18 वरिष्ठ आईएएस अफसरों को पीछे छोड़कर चीफ सेक्रेटरी का पद हासिल किया।
-इनमें 1979 बैच के राजस्व परिषद के चेयरमैन अनिल कुमार गुप्ता, 1980 बैच के शैलेश कृष्ण शामिल।
-1981 बैच के कुंवर फतेह बहादुर और 1982 बैच के एपीसी प्रवीर कुमार को भी सुपरसीड किया।
-दीपक से 13 और वरिष्ठ आईएएस अभी केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर हैं।
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13 दिन में पद से हटाए गए थे सिंघल
दीपक सिंघल को साल 2014 में सपा सरकार ने प्रमुख सचिव गृह बनाया था, लेकिन इस पद पर वह ज्यादा दिन टिक नहीं सके थे। सिर्फ 13 दिन में ही सरकार ने उन्हे इस पद से हटा दिया था।
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वरिष्ठ नेता को तसल्ली की चर्चा
-हाल ही में सपा से राज्यसभा सांसद चुने गए अमर सिंह के कथित टेप कांड से दीपक सिंघल चर्चा में आए थे। उनके चीफ सेक्रेटरी बनने से नौकरशाही में मिली-जुली प्रतिक्रिया है। अफसरों में चर्चा ये है कि इससे कुछ हुआ हो या नहीं, लेकिन सरकार के एक वरिष्ठ नेता को तसल्ली जरूर मिली है।
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काम आया ‘अमर’ कनेक्शन?
कहा जा रहा है कि दीपक सिंघल के चीफ सेक्रेटरी बनने में उनका ‘अमर’ कनेक्शन काम आया है। अफसरों के बीच बुधवार को इसी की चर्चा थी कि इसी ‘अमर बेल’ के सहारे सिंघल चीफ सेक्रेटरी की कुर्सी तक पहुंचने में सफल हुए।
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