CM Yogi: बांग्लादेश के अत्याचार को देखकर सिख गुरुओं का बलिदान याद आता है- सीएम योगी

CM Yogi: गुरुवार को वीर बाल दिवस पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बांग्लादेश और पाकिस्तान में हो रहे अत्याचार का जिक्र करते हुए कहा कि इन घटनाओं को देखकर सिख गुरुओं का त्याग और बलिदान याद आता है।

Abhinendra Srivastava
Published on: 26 Dec 2024 2:21 PM IST (Updated on: 26 Dec 2024 2:24 PM IST)
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CM Yogi (Pic - Social Media)

CM Yogi: गुरुवार को वीर बाल दिवस पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बांग्लादेश और पाकिस्तान में हो रहे अत्याचार का जिक्र करते हुए कहा कि इन घटनाओं को देखकर सिख गुरुओं का त्याग और बलिदान याद आता है।

26 दिसंबर का दिन मुगलों के अत्याचार को बयां करता है। यह वह दिन था जब मुगलों ने सिख धर्म के दसवें गुरु गुरु गोविंद सिंह जी के पुत्र बाबा जोरावर सिंह और फतेह सिंह को जिंदा दीवार में चुनवा दिया था। मुगलों के अत्याचार के खिलाफ सिख गुरुओं के बलिदान को याद करते हुए 26 दिसंबर को वीर बाल दिवस मनाया जाता है। इस विशेष दिन पर लखनऊ में आयोजित साहिबजादा कार्यक्रम में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि सिख धर्म की उत्पत्ति गुरु तेग बहादुर जी ने अपना सिर दिया लेकिन देश का सम्मान नहीं झुकने दिया, गुरु गोविंद सिंह जी ने अपने चार पुत्रों और पिता के बलिदान को सहा, गुरु नानक देव जी से लेकर गुरु तेग बहादुर जी और गुरु गोविंद सिंह जी तक का त्याग हमें प्रेरणा प्रदान करता है।

उन्होंने कहा कि अब काबुल में सिखों के मात्र 8 से 10 परिवार ही बचे हैं। सिख गुरुओं का आदर्श हमें सही मार्ग दिखाएगा, यदि हम इनसे प्रेरणा लेकर आगे बढ़ेंगे तो काबुल और बांग्लादेश जैसी स्थितियों से बच सकेंगे।


क्या है वीर बाल दिवस?

सिख धर्म के दसवें गुरु गोविंद सिंह जी के पुत्रों के बलिदान को याद करने के लिए 2022 में भारत सरकार ने 26 दिसंबर को वीर बाल दिवस मनाने का फैसला लिया था। इस दिन देश के समस्त कॉलेज स्कूलों और गुरुद्वारों में विशेष कार्यक्रम को आयोजित किया जाता है। कई जगहों पर से साहिबजादा दिवस के रूप में भी मनाया जाता है। जब सिख धर्म के दसवें गुरु गोविंद सिंह जी मुगलों से युद्ध लड़ रहे थे तब मुगलों ने 26 दिसंबर के ही दिन बाबा जोरावर साहिब और बाबा फतेह साहिब को जिंदा दीवार में चुनवा दिया। दोनों पुत्रों के सहादत की खबर सुनकर माता गुजरी ने भी अपने प्राण को त्याग दिया था। तब तक गुरु गोबिंद सिंह जी के दो बड़े पुत्र मुगलों के खिलाफ युद्ध में शहीद हो चुके थे। कहा जाता है कि इन साहिबजादों ने सभी धर्मों के लोगों को एकजुट होने का संदेश दिया था।

मुख्यमंत्री आवास पर गुरुवार को वीर बाल दिवस का मुख्य आयोजन किया गया। इस दौरान ऐतिहासिक समागम व 11,000 सहज पाठ का भी शुभारंभ हुआ। मुख्यमंत्री ने गुरु तेग बहादुर के श्लोकों पर आधारित पुस्तक का विमोचन भी किया।

उस दुश्मन को पहचानें, जो इस कौम के पुरुषार्थ को कुंद करने की साजिश रच रहे हैं

सीएम ने कहा कि देश के इस जुझारू व समृद्ध कौम ने सामर्थ्य, पुरुषार्थ व परिश्रम से मिसाल प्रस्तुत की है। कभी बड़ी संख्या में फौज में जाकर सिखों ने भारत की सुरक्षा के लिए खुद को समर्पित किया, लेकिन वे कौन दुश्मन हैं, जो उनके परिश्रम व पुरुषार्थ को कुंद करने की साजिश कर रहे हैं। युवा पीढ़ी को ड्रग की चपेट में लाने का कुत्सित प्रयास कर रहे हैं। इन्हें पहचानने और उनसे सावधान रहने की आवश्यकता है। सिख-हिंदू एक दूसरे के पूरक हैं, जो इन्हें लड़ाते हैं, उनसे बचना होगा। गुरु महाराज हमें मित्र-शत्रु पहचानने की ताकत दे।

सिख पंथ की शुरुआत ही देश व धर्म के लिए हुई थी

सीएम ने कहा कि सिख पंथ की शुरुआत ही देश व धर्म के लिए हुए थी। गुरु नानक देव ने सबसे पहले बाबर के अत्याचार का विरोध किया था। लाहौर में गुरु अर्जुन देव का बलिदान जहांगीर के अत्याचार से बचाने के लिए था। गुरु तेग बहादुर ने अपना शीश दे दिया, लेकिन भारत का शीश नहीं झुकने दिया, इसलिए आज कश्मीर भारत का हिस्सा और शीश बना हुआ है। गुरु गोबिंद सिंह जी महाराज ने अपनी आंखों के सामने अपने पुत्रों और पिता को बलिदान होते देखा।

गुरु परंपरा के प्रति श्रद्धा का भाव बनता है समृद्धि व खुशहाली का कारण

सीएम ने कहा कि गुरु नानक देव से लेकर गुरु गोविंद सिंह महाराज, चार साहिबजादों से लेकर पंच प्यारों तक, सिख गुरुओं का इतिहास देश व धर्म के लिए शहादत का इतिहास है। यह केवल कौम का नहीं, देश का इतिहास है। यह भारतवासियों के लिए प्रेरणा है। जाति-पाति का भेदभाव समाप्त हो, इसके लिए गुरुनानक ने शबद-कीर्तन की प्रेरणा दी। मिल-बांटकर खाने के लिए जिस लंगर की शुरुआत की, उसका अनुसरण आज भी हर गुरुद्वारा कर रहा है। गुरु परंपरा के प्रति श्रद्धा का यह भाव ही समृद्धि व खुशहाली का कारण बनता है। भेद परिवार में नहीं, शत्रु-मित्र में होता है। इस भेद को पहचानने की आवश्यकता है।

ऐतिहासिक परंपरा से जुड़े गुरुद्वारे का होना चाहिए सुंदरीकरण

सीएम ने कहा कि यह वर्ष गुरु तेग बहादुर का 350वां शहीदी वर्ष है। लखनऊ का सौभाग्य है कि गुरु तेग बहादुर जी गुरु गोबिंद सिंह को लेकर यहां आए थे। सीएम ने कहा कि इस ऐतिहासिक परंपरा को मजबूती देने के लिए नगर निगम के साथ बैठकर सुंदरीकरण की विस्तृत कार्ययोजना बननी चाहिए। पैसा हम उपलब्ध कराएंगे, लेकिन एक-दूसरे के ऊपर जिम्मेदारी न डालें। राज्य सरकार, नगर निगम, विकास प्राधिकरण की जमीन में हाईरॉइज बिल्डिंग या मॉल बनाकर दुकानदारों का पुनर्वास करें। ऐतिहासिक परंपरा से जुड़े गुरुद्वारे का सुंदरीकरण होना चाहिए।

हर भारतवासी के लिए देश व राष्ट्र सर्वोपरि

सीएम ने कहा कि पीएम मोदी ने 26 दिसंबर को वीर बाल दिवस के रूप में आयोजित करने की घोषणा के समय कहा था कि राष्ट्रधर्म हर भारतवासी का धर्म है। भारतवासियों के लिए देश व राष्ट्र सर्वोपरि है। महाराजा रणजीत सिंह ने जितना सोना स्वर्ण मंदिर में दिया, उतना ही बाबा काशी विश्वनाथ मंदिर को दिया। इसका शिखर व दरवाजे स्वर्णमंडित हुए। सिख योद्धाओं व क्रांतिकारियों ने देश के लिए बलिदान दिया। सीएम ने अपील की कि कोई भी ऐसा कार्य न होने दें, जो गुरु परंपरा की भावनाओं के विपरीत हो। उन्होंने विश्वास दिलाया कि गुरु परंपरा के गौरवशाली इतिहास के सम्मान की रक्षा के लिए डबल इंजन सरकार सदा खड़ी रहेगी। इससे पूर्व मुख्यमंत्री ने आलमबाग गुरुद्वारे से लाई गई श्री गुरु ग्रंथ साहिब के पावन स्वरूप को समागम स्थल पर स्थापित किया और कार्यक्रम के पश्चात पंगत में बैठकर लंगर छका।

इस अवसर पर उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य, ब्रजेश पाठक, भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष चौधरी भूपेंद्र सिंह, महामंत्री (संगठन) धर्मपाल, आरएसएस के प्रांत प्रचारक कौशल, योगी सरकार के मंत्री सुरेश खन्ना, स्वतंत्र देव सिंह, जेपीएस राठौर, बलदेव सिंह औलख, महापौर सुषमा खर्कवाल, विधायक राजीव गुंबर, नीरज बोरा, विधान परिषद सदस्य डॉ. महेंद्र सिंह, हरि सिंह ढिल्लो, सुभाष यदुवंश समेत सिख समाज के अनेक गणमान्य मौजूद रहे।

Sonali kesarwani

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Content Writer

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