कांग्रेस ने बीजेपी पर बोला हमला, कहा- 2018 प्रदेशवासियों के लिए हर स्तर पर रहा निराशाजनक

प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता बृजेन्द्र कुमार सिंह ने कहा कि बीते वर्ष 2018 प्रदेशवासियों के लिए हर स्तर पर निराशाजनक रहा। समाज के हर तबके युवा, महिला, किसान, व्यापारी, श्रमिक सभी को अपनी-अपनी समस्याओं के लिए सरकार के समक्ष जद्दोजहद करते गुजरा।

Aditya Mishra
Published on: 31 Dec 2018 7:47 PM IST
कांग्रेस ने बीजेपी पर बोला हमला, कहा- 2018 प्रदेशवासियों के लिए हर स्तर पर रहा निराशाजनक
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लखनऊ: प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता बृजेन्द्र कुमार सिंह ने कहा कि बीते वर्ष 2018 प्रदेशवासियों के लिए हर स्तर पर निराशाजनक रहा। समाज के हर तबके युवा, महिला, किसान, व्यापारी, श्रमिक सभी को अपनी-अपनी समस्याओं के लिए सरकार के समक्ष जद्दोजहद करते गुजरा और सबसे दुर्भाग्यपूर्ण यह रहा कि सरकार ने हर वर्ग का न सिर्फ निराश किया बल्कि पुलिस के बल प्रयोग से उनकी आवाज को दबाने का कार्य किया। जिससे सरकार का असंवेदनशील और क्रूर चेहरा प्रदेशवासियों के सामने आया।

उप्र. कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता बृजेन्द्र कुमार सिंह ने आज जारी बयान में कहा कि हमारे प्रदेश के युवा चाहे वह शिक्षा मित्र हो, प्राइमरी शिक्षक की भर्ती हो, चाहे पुलिस भर्ती के अभ्यर्थी रहे हों, नर्सिंग सहायक, नलकूप सहायक या इंजीनियरों की भर्ती रही हो, सभी भर्तियों में गंभीर घोटाले उजागर हुए। भर्तियों में जमकर धांधली हुई।

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जिसके चलते या तो भर्तियां रद्द हो गयीं या सीबीआई और उच्च न्यायालय की जांच के अधीन चली गयीं परिणामस्वरूप सरकारी नौकरी और रोजगार की आस लगाये हमारे प्रदेश के बहुसंख्यक युवाओं के लिए यह साल दुःखद और निराशाजनक रहा वहीं पुरानी पेंशन बहाली के लिए प्रदेश के कर्मचारी पूरे वर्ष संघर्षरत रहे।

महिलाओं के लिए यह साल बहुत ही पीड़ादायक रहा, जब भारत की आजादी के बाद पहली बार आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों एवं शिक्षा मित्रों को सरकार की निरंकुशता के लिए अपने सिर तक मुंड़वाने पड़े व नव रात्रि में कन्या पूजन के दिन गोरखपुर के गोरखनाथ मंदिर में मुख्यमंत्री की उपस्थिति में अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रहीं बच्चियों को लाठीचार्ज और वाटरकैनन का सामना करना पड़ा, परन्तु इस पर सरकार का दिल नहीं पसीजा, यह साल रोते-बिलखते ही गुजर गया।

किसानों के लिए यह साल और निराशाजनक रहा जहां राष्ट्रपिता महात्मागांधी जी की जयन्ती के दिन किसानों को लाठी-डण्डों से पीटा गया और उन पर गोलियां चलायी गयीं। सड़कों पर किसानों का खून बहा, लेकिन उनकी मांगे नहीं मानी गयीं आज भी जहां दस हजार करोड़ से ऊपर गन्ना मूल्य बकाये का भुगतान नहीं हुआ वहीं छुट्टा जानवरों से अपनी फसल बर्बाद होते हुए देखने के लिए किसान अभिशप्त है। कर्जमाफी का सरकार का उपक्रम मजाक बनकर रह गया।

कानून व्यवस्था के स्तर पर यह साल इसलिए भी दुर्भाग्यपूर्ण कहा जायेगा कि जहां जेलों में हत्याएं हुईं वहीं राजधानी लखनऊ में बच्चियों के साथ बलात्कार, हत्या की घटनाओं में बाढ़ सी रही। जहां बलात्कार में सत्तारूढ़ दल के विधायक संलिप्त पाये गये जिन्हें भाजपा ने आज तक पार्टी से निकाला नहीं वहीं प्रदेश के दो जनपदों में बुलन्दशहर और गाजीपुर में पुलिस के दो जांबाज जवानों की निर्मम हत्या कर दी गयी। ऐसे में आम आदमी की सुरक्षा का भगवान ही मालिक है।

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