स्मार्ट प्रीपेड मीटर अनिवार्य करने पर रार, उपभोक्ता परिषद ने कहा लालटेन युग में ले जाने की तैयारी

Smart Meter in UP: उपभोक्ता परिषद द्वारा आयोजित एक वेबिनार में उपभोक्ताओं ने स्मार्ट प्रीपेड मीटर को अनिवार्य करने के फैसले का विरोध किया है।

Prashant Vinay Dixit
Published on: 13 Sept 2025 8:21 PM IST
Smart Meter in UP
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Smart Meter in UP (Photo: Social Media)

Smart Meter in UP: बिजली कनेक्शन पर स्मार्ट प्रीपेड मीटर को अनिवार्य करने के पावर कॉर्पोरेशन क आदेश पर प्रदेशभर के विद्युत उपभोक्ताओं में भारी रोष है। उपभोक्ता परिषद द्वारा आयोजित एक साप्ताहिक वेबिनार में विभिन्न जिलों से जुड़े उपभोक्ताओं ने फैसले को असंवैधानिक बताते हुए इसके खिलाफ आर-पार की लड़ाई का ऐलान किया है। उपभोक्ताओं ने कहा कि यह आदेश निजीकरण की साजिश का हिस्सा है, इसे तत्काल वापस लिया जाना चाहिए।

विद्युत अधिनियम की अनदेखी का आरोप

उपभोक्ताओं ने पावर कॉर्पोरेशन के फैसले पर कड़ा विरोध जताया है। उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने बताया कि विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 47(5) उपभोक्ताओं को प्रीपेड और पोस्टपेड कनेक्शन में से एक चुनने का विकल्प देती है। उन्होंने कहा कि जब तक विद्युत नियामक आयोग द्वारा कोई कानूनी आदेश जारी नहीं किया जाता, तब तक उपभोक्ता पावर कॉर्पोरेशन के नियम विरुद्ध आदेश को मानने के लिए बाध्य नहीं हैं। यह फैसला असंवैधानिक है, सरकार की छवि को धूमिल करने वाला है।

निजीकरण की साजिश और बढ़ी हुई दरें

उपभोक्ताओं ने फैसले को निजीकरण की बड़ी साजिश बताया है। उन्होंने आरोप लगाया कि पहले बिजली दरों में 45 प्रतिशत तक की वृद्धि का प्रस्ताव दिया गया और अब प्रीपेड कनेक्शन की व्यवस्था लागू करके कनेक्शन दरों में 6 गुना तक की वृद्धि की जा रही है। यह सब कुछ निजी घरानों को फायदा पहुंचाने के लिए किया जा रहा है, ताकि वे उत्तर प्रदेश में अपनी मनमानी कर पाएं। उन्होंने मुंबई और ओडिशा का उदाहरण देते हुए कहा कि इन जगहों पर बिजली की दरें बहुत अधिक हैं, उत्तर प्रदेश में भी यही स्थिति लाने की कोशिश की जा रही है।

सरकार से तत्काल हस्तक्षेप की मांग

इस वेबिनार में मौजूद कई उपभोक्ताओं हरेंद्र कुमार, योगेंद्र दुबे, संदीप कुमार, सानू कुमार, कुमारी सुरुचि, तमन्ना सिंह, अंशु दीप, जावेद हुसैन और जिया पाल ने एक स्वर में कहा कि अगर सरकार फैसले को वापस नहीं लेती है, तो पूरे प्रदेश में बड़ा आंदोलन चलाया जाएगा। उन्होंने चेतावनी देकर कहा कि इसकी सारी जिम्मेदारी पावर कॉर्पोरेशन प्रबंधन की होगी। उपभोक्ताओं ने कहा कि यह फैसला प्रदेश की गरीब जनता को "लालटेन युग में" ले जाने जैसा है और इसे किसी भी कीमत पर स्वीकार नहीं किया जाएगा।

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