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कचहरी बम ब्लास्ट केस: कोर्ट ने आतंकी तारिक काजमी की खारिज की अर्जी, चलेगा मुकदमा
जिला कचहरी में साल 2007 में हुए बम ब्लास्ट के मामले में जेल में बंद आतंकी तारिक काजमी के खिलाफ मुकदमा चलेगा। विशेष जज ओम प्रकाश मिश्रा द्वितीय ने आरोपित तारिक काजमी की इस मुकदमे की कार्यवाही को समाप्त करने की मांग वाली एक अर्जी गुरूवार को खारिज कर दी।
लखनऊ: जिला कचहरी में साल 2007 में हुए बम ब्लास्ट के मामले में जेल में बंद आतंकी तारिक काजमी के खिलाफ मुकदमा चलेगा। विशेष जज ओम प्रकाश मिश्रा द्वितीय ने आरोपित तारिक काजमी की इस मुकदमे की कार्यवाही को समाप्त करने की मांग वाली एक अर्जी गुरूवार को खारिज कर दी।
आरोपित तारिक काजमी की ओर से पेश अर्जी में कहा गया था कि उसके खिलाफ बाराबंकी, गोरखपुर , फैजाबाद और लखनऊ में आतंकी गतिविधियों के चार मुकदमे दर्ज हुए। इसमें बाराबंकी में हुए बम ब्लास्ट के मामले में उसे दोषी करार दिया गया। 24 अप्रैल, 2015 को वहां की एडीजे कोर्ट ने उसे उम्र कैद की सजा सुनाई। इस सजा के खिलाफ उसकी अपील हाईकोर्ट में विचाराधीन है।
अर्जी में अभियोजन का हवाला देते हुए कहा गया कि बाराबंकी और लखनऊ कचहरी परिसर में हुए बम ब्लास्ट की घटना एक ही षडयंत्र के जरिए अंजाम दी गई थी। ऐसे में एक ही षड्यंत्र के आधार पर हुई इन घटनाओं के लिए कानूनन एक ही मुकदमा चलना चाहिए। लिहाजा इस मुकदमे की कार्यवाही समाप्त की जाए क्योंकि बाराबंकी की अदालत उसे पहले ही दोषी करार देते हुए उम्र कैद की सजा सुना चुकी है।
सरकारी वकील एमके सिंह ने इस अर्जी का विरोध करते हुए कहा कि बाराबंकी और लखनऊ में हुए विस्फोट के संबंध में षड्यंत्र की परिस्थितियां सर्वथा पृथक हैं। दोनों घटनाएं भी अलग हैं। इन घटनाओं की अलग अलग एफआईआर है।
मुकदमों के विचारण का क्षेत्राधिकार भी अलग हैं। यह भी तर्क दिया गया कि बाराबंकी की कोर्ट ने लखनऊ की घटना का विचारण नहीं किया था। लिहाजा अर्जी खारिज की जाए। तर्को को सुनने के बाद कोर्ट ने पाया कि प्रत्येक मामले अलग अलग है लिहाजा आरोपित तारिक का तर्क स्वीकार किये जाने योग्य नही है।
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