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शेखर अस्पताल के मालिक पर कसा शिकंजा, ईडी की जांच में हुए कई बड़े खुलासे
Shekhar Hospital : प्रदेश की राजधानी लखनऊ के शेखर अस्पताल इंदिरानगर के मालिक रहे डॉ. आमोद सचान पर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने शिकंजा कसा है। ईडी ने डॉ. सचान पर लगे आरोपों को लेकर जनहित में स्वत: संज्ञान लेकर जांच शुरू की थी।
Shekhar Hospital : प्रदेश की राजधानी लखनऊ के शेखर अस्पताल इंदिरानगर के मालिक रहे डॉ. आमोद सचान पर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने शिकंजा कसा है। ईडी ने डॉ. सचान पर लगे आरोपों को लेकर जनहित में स्वत: संज्ञान लेकर जांच शुरू की थी। ईडी ने अपनी जांच रिपोर्ट शासन को भेजकर डॉ. सचान के खिलाफ कार्रवाई की सिफारिश की है। इसके साथ ही ईडी ने अपनी रिपोर्ट किंग जॉर्ज मेडिकल विश्वविद्यालय प्रशासन, चिकित्सा शिक्षा विभाग और सीबीआई को भेजी है।
शेखर अस्पताल के डायरेक्टर रहे डॉ. आमोद सचान के खिलाफ हुई प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की जांच में चौंकाने वाले खुलासे किए हैं। ईडी ने डॉ. सचान को आय से अधिक संपत्ति मामले में भी दोषी पाया है। इसके साथ ही केजीएमयू में सरकारी डॉक्टर के रूप में अपने रोजगार की अवधि के दौरान वह गैरकानूनी तरीके से व्यवसाय में शामिल होने के दोषी पाए गए हैं। केजीएमयू के नियमों के मुताबिक, सरकारी नौकरी कर रहे चिकित्सक पर निजी प्रैक्टिस के प्रतिबंध का प्रावधान है। ईडी को साक्ष्य मिले हैं कि डॉ. सचान ने सरकारी के साथ ही निजी प्रैक्टिस भी करते थे, जाे नियमों का उल्लंघन है।
हाईकोर्ट ने भी दिए थे जांच के आदेश
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने अपनी रिपोर्ट कहा कि हाईकोर्ट ने भी चिकित्सा शिक्षा विभाग एवं केजीएमयू को कार्रवाई का निर्देश दिया था, लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है। हाईकोर्ट ने फरवरी 2023 पारित आदेश में कहा था कि शेखर अस्पताल के डायरेक्टर डॉ. सचान एक चिकित्सक हैं, जो किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी लखनऊ में प्रोफेसर के के तौर पर कार्यरत हैं। यह बात आयकर की ओर से प्रस्तुत रिपोर्ट में भी सामने आई थी। इस रिपोर्ट में बताया गया था कि डॉ. सचान राज्य विश्वविद्यालय में काम करने के साथ ही निजी संस्थान शेखर अस्पताल के डायरेक्टर भी है, जो आश्चर्यजनक है। आयकर विभाग ने डॉ. सचान के व्यक्तिगत खातों की भी जांच की थी, जांच में नकदी सहित भारी मात्रा में धन पाया गया था। इसके बावजूद नियोक्ता की ओर से कोई कार्रवाई नहीं की गई है। बताया गया कि कि केजीएमयू के चिकित्सक गैर-प्रैक्टिस भत्ते के हकदार हैं और इसके अलावा निजी प्रैक्टिस करने पर भी रोक है। रिपोर्ट में बताया गया कि राज्य विश्वविद्यालय के नियम के अनुसार, कोई भी विश्वविद्यालय को छोड़कर कहीं भी काम नहीं कर सकते हैं। इस पूरे मामले में हाईकोर्ट ने केजीएमयू प्रशासन और राज्य सरकार को जांच कर सख्त कार्रवाई करने का निर्देश दिया था।
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