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UP Electricity News: पॉवर कारपोरेशन ने जारी किया FAQ डॉक्यूमेंट, ये है निजीकरण के बाद छंटनी का दस्तावेज
UP Electricity News: 06 दिसम्बर को बिजली के निजीकरण के विरोध में देश के सभी प्रान्तों में बिजली कर्मियों के प्रदर्शन होंगे। पंजाब, उत्तराखण्ड, जम्मू कश्मीर के बाद झारखण्ड, महाराष्ट्र और हरियाणा के बिजली इंजीनियर संघो ने उप्र के मुख्य मंत्री को पत्र लिखकर निजीकरण का फैसला वापस लेने की मांग की।
UP Electricity News
UP Electricity News: नेशनल कोऑर्डिनेशन कमेटी ऑफ इलेक्ट्रीसिटी इम्प्लॉइज एण्ड इंजीनियर्स (एनसीसीओईईई) की 02 दिसम्बर की रात हुई वचुअर्ल बैठक में यह निर्णय लिया गया कि उप्र और चंडीगढ़ में हो रहे बिजली के निजीकरण के विरोध में 06 दिसम्बर को पूरे देश में सभी जनपदों और परियोजना मुख्यालयों पर विरोध प्रदर्शन किये जायेंगे। एनसीसीओईईई ने यह भी निर्णय लिया कि उप्र में निजीकरण के विरोध में चल रहे संघर्ष को धार देने के लिए आगामी 11 नवम्बर को एनसीसीओईईई के सभी राष्ट्रीय पदाधिकारी लखनऊ में मीटिंग कर संघर्ष के कार्यक्रमों का ऐलान करेंगे।
उप्र के बिजली कर्मियों के निजीकरण के विरोध में चल रहे आन्दोलन को प्रतिदिन देश के विभिन्न प्रान्तों के बिजली इंजीनियरों का समर्थन मिल रहा है। कल पंजाब, उत्तराखण्ड और जम्मू कश्मीर के बिजली अभियन्ता संघों ने समर्थन दिया था तो आज झारखण्ड, महाराष्ट्र और हरियाणा के बिजली अभियन्ता संघों ने उप्र के मुख्यमंत्री को पत्र भेजकर मांग की है कि निजीकरण का प्रस्ताव तत्काल वापस लिया जाये अन्यथा की स्थिति में इन प्रान्तों के बिजली कर्मी उप्र के बिजली कर्मियों का पुरजोर समर्थन करेंगे।
इधर उप्र इंजीनियर्स एसोसियेशन के महामंत्री आशीष यादव ने पावर कारपोरेशन के चेयरमैन को पत्र लिखकर यह सूचित कर दिया है कि हड़ताल होने की स्थिति में सिंचाई विभाग के अभियन्ता पॉवर कारपोरेशन में कार्य करने नहीं आयेंगे। उल्लेखनीय है कि पॉवर कारपोरेशन के चेयरमैन ने 09 सरकारी विभागों को पत्र लिखकर उनसे हड़ताल की स्थिति में अभियन्ताओं और कर्मचारियों की मांग की थी।
छंटनी का खुला दस्तावेज
विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उप्र ने कहा है कि पॉवर कारपोरेशन द्वारा जारी किया गया एफएक्यू डॉक्यूमेंट अपने आप में निजीकरण के बाद विद्युत वितरण निगमों के कर्मचारियों की छंटनी का खुला दस्तावेज है। संघर्ष समिति ने कहा कि इस दस्तावेज में साफ तौर पर लिखा गया है कि 51 प्रतिशत हिस्सेदारी निजी क्षेत्र की होगी जिसका मतलब है कि विद्युत वितरण निगमों का सीधे निजीकरण किया जा रहा है।
यह भी लिखा गया है कि बेचे जाने वाले पूर्वांचल एवं दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के कर्मचारियों को निजीकरण के बाद एक साल तक निजी कम्पनी में काम करना पड़ेगा। यह इलेक्ट्रीसिटी एक्ट 2003 के सेक्शन 133 का खुला उल्लंघन है क्योंकि ऊर्जा निगमों के कर्मचारी सरकारी निगमों के कर्मचारी हैं, उन्हें किसी भी परिस्थिति में जबरिया निजी कम्पनी में काम करने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता है। यह भी कहा गया है कि एक साल तक निजी कम्पनी में काम करने के बाद कर्मचारी निजी क्षेत्र की मानव संसाधन नीति को समझ लेंगे। संघर्ष समिति ने कहा कि ऊर्जा निगमों के कर्मचारियों को भली-भांति पता है कि निजी क्षेत्र की मानव संसाधन नीति ‘हायर एवं फायर’ की नीति होती है, जिसका मतलब है जब चाहें तब नौकरी से निकाल बाहर खड़ा कर सकते हैं।
एफएक्यू में क्या कहा गया
एफएक्यू डॉक्यूमेंट में यह कहना कि एक साल के बाद जो कर्मचारी निजी क्षेत्र में काम न करना चाहे उनके सामने शेष बचे हुए ऊर्जा निगमों में आने या वीआरएस लेकर घर जाने का विकल्प होगा। उल्लेखनीय है कि विद्युत वितरण निगमों में तीन प्रकार के कर्मचारी कार्य कर रहे हैं। एक वह जो कॉमन कैडर के हैं, दूसरे वह जो सम्बन्धित निगम के कर्मी हैं और तीसरे वह जो आउटसोर्स कर्मचारी हैं। जो सम्बन्धित निगम के कर्मी हैं निजी क्षेत्र से वापस आने के बाद उनका समायोजन किसी नियम के अन्तर्गत अन्य निगमों में नहीं किया जा सकता। साफ है ऐसे 23818 कर्मी सीधे-सीधे नौकरी से निकाल दिये जायेंगे। वीआरएस केवल उन्हीं कर्मचारियों को मिल सकता है जिनकी 30 साल की सेवा हो। वीआरएस भी एक प्रकार की छंटनी है।
ऐसे होगी छंटनी
अभियन्ता और अवर अभियन्ता कॉमन कैडर के कर्मचारी हैं और कॉमन कैडर में प्रदेश के 05 विद्युत वितरण निगम मुख्यालय और ट्रांस्को सम्मिलित हैं। जब आधे उत्तर प्रदेश का निजीकरण हो जायेगा तो 3673 कॉमन कैडर के अभियन्ता और अवर अभियन्ता सरप्लस हो जायेंगे। इन्हें आधे बचे हुए निगमों में कैसे समायोजित कर दिया जायेगा, इनकी छंटनी नहीं होगी और इनकी पदोन्नति के अवसर भी कम नहीं होंगे, पॉवर कारपोरेशन का यह अनर्गल प्रचार किसी कर्मचारी के गले के नीचे नहीं उतर सकता है। जूनियर इंजीनियरों को चिकित्सा शिक्षा विभाग में प्रतिनियुक्ति पर भेजने का आदेश छंटनी की शुरूआत है क्योंकि पहले तो प्रतिनियुक्ति कितने लोगों को मिलेगी और फिर कितने साल तक मिलेगी। यह छंटनी का सीधा रास्ता है। तीसरी श्रेणी में लगभग 50 हजार आउटसोर्स कर्मी हैं। नियोक्ता बदलते ही इनकी सेवायें तत्काल समाप्त हो जायेंगी।
इन्होंने चलाया जनसम्पर्क अभियान
आज लखनऊ में संघर्ष समिति के पदाधिकारियों राजीव सिंह, जितेन्द्र सिंह गुर्जर, गिरीश पांडेय, महेन्द्र राय, पी.के.दीक्षित, सुहैल आबिद, राजेंद्र घिल्डियाल, चंद्र भूषण उपाध्याय, आर वाई शुक्ला, छोटेलाल दीक्षित, देवेन्द्र पाण्डेय, आर बी सिंह, राम कृपाल यादव, मो वसीम, मायाशंकर तिवारी, राम चरण सिंह, मो0 इलियास, श्री चन्द, सरयू त्रिवेदी, योगेन्द्र कुमार, ए.के. श्रीवास्तव, के.एस. रावत, रफीक अहमद, पी एस बाजपेई, जी.पी. सिंह, राम सहारे वर्मा, प्रेम नाथ राय एवं विशम्भर सिंह ने व्यापक जन सम्पर्क अभियान चलाया। आम जनता को निजीकरण के बाद होने वाले बिजली के दरों में बेतहासा वृद्धि होने के खतरे से अवगत कराया। उन्होंने कहा कि निजी कम्पनियों को मुनाफा देने के लिए पावर कारपोरेशन ने बिजली के दरों में 20 प्रतिशत वृद्धि का प्रस्ताव नियामक आयोग को दे दिया है। भोजन अवकाश के दौरान संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने मध्यांचल विद्युत वितरण निगम मुख्यालय पर कर्मचारियों की विशाल सभा को सम्बोधित किया। निजीकरण के विरोध में हजारों कर्मचारियों ने निजीकरण वापस होने तक निर्णायक संघर्ष करने की सपथ ली।
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