देवरिया शेल्‍टर होम प्रकरण: कोर्ट ने पीड़िता से पूंछतांछ की SIT को दी अनुमति

sudhanshu
Published on: 26 Sept 2018 7:31 PM IST
देवरिया शेल्‍टर होम प्रकरण: कोर्ट ने पीड़िता से पूंछतांछ की SIT को दी अनुमति
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इलाहाबाद: इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने देवरिया शेल्टर होम मामले की जांच कर रही एसआईटी के एसपी को व्हिसल ब्लोवर पीड़िता नंबर चार से पूंछतांछ की अनुमति दे दी है। किन्तु कहा है कि जब वह पीड़िता से मिलने जायेंगे तो उनके साथ संयुक्त निबन्धक सोम प्रभा रहेंगी। याचिका की सुनवाई तीन अक्टूबर को होगी।

यह आदेश मुख्य न्यायाधीश डी.बी. भोसले तथा न्यायमूर्ति यशवन्त वर्मा की खण्डपीठ ने जनहित याचिका पर दिया है। मालूम हो कि देवरिया सेल्टर होम की लड़कियों में से चार ने पुलिस से यौन शोषण की शिकायत की। जिससे सेक्स रैकेट चलाने का खुलासा हुआ। कोर्ट ने जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए निलम्बित सेल्टर होम में लड़कियां भेजने वाले पुलिस कर्मियों सहित वीआईपी लोगों की लिप्तता का पता लगाकर कार्यवाही करने का आदेश दिया। साथ ही चार लड़कियों को गुप्त स्थान पर रख कोर्ट की अनुमति बगैर किसी के मिलने पर रोक लगा दी है। इसी के तहत एसपी ने हाईकोर्ट से पीड़िता से पूंछतांछ करने की अनुमति मांगी।

कोर्ट की अन्‍य खबरें:

IIT कानपुर के चार प्रोफेसरों को राहत

इलाहाबाद: इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने कानपुर आईआईटी के चार प्रोफेसरों के खिलाफ एससी-एसटी आयोग द्वारा प्राथमिकी दर्ज कराने के आदेश पर रोक लगा दी है। 18 सितम्बर को आयोग ने प्रोफेसरों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराने का आदेश दिया था।

यह आदेश न्यायमूर्ति पंकज मित्तल तथा न्यायमूर्ति मुख्तार अहमद की खण्डपीठ ने प्रोफेसर राजीव शेखर व अन्य की याचिका पर दिया है। सुब्रह्मण्यम् सदरेसा ने चार प्रोफेसरों राजीव शेखर, ईशान शर्मा, सी.एस उपाध्याय व संजय मित्तल पर दलित उत्पीड़न के आरोप लगाते हुए आयोग से शिकायत की थी। इससे पहले भी ऐसे ही मामले पर हाईकोर्ट ने रोक लगा दी थी। दुबारा शिकायत की गयी। कोर्ट ने प्रोफेसरों को राहत देते हुए राज्य सरकार व आयोग से चार हफ्ते में जवाब मांगा है।

शिवकुटी में रिटायर दरोगा की हत्या, एस.पी.तलब

इलाहाबाद: इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने इलाहाबाद शिवकुटी थाना क्षेत्र में रिटायर दरोगा की दिनदहाड़े पीट-पीट कर मार डालने की विवेचना के तरीके से कड़ी नाराजगी प्रकट की है और एसएसपी को कल 27 सितम्बर को तलब किया है। कोर्ट ने कहा है कि विवेचना कर रहे दरोगा धर्मेन्द्र सिंह यादव से विवेचना हटाकर सीनियर अधिकारी को सौंपी जाए और दरोगा को रिमोट एरिया में तबादला किया जाए।

यह आदेश मुख्य न्यायाधीश डी.बी.भोसले तथा न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा की खण्डपीठ ने दिया है। रिटायर दरोगा अब्दुल समद खां ने हत्या आरोपियों के अवैध भवन के ध्वस्तीकरण की शिकायत की। इसी को लेकर भवन स्वामी के परिवार वालों ने दिनदहाड़े गली में पीट पीट कर मार डाला। घटना सीसीटीवी कैमरे में कैद हो गयी। दरोगा ने किसी भी चश्मदीद गवाह का बयान दर्ज करने का प्रयास नहीं किया। हतया का कनेक्शन ध्वस्त हुए मकान से है। इस दिशा में जांच नहीं की गयी। विवेचनाधिकारी के जांच के तरीके से केस कमजोर हो रहा है। रिमांड मांगने की अर्जी में गैर जमानती धाराएं नही लिखी। गिरफ्तार कई आरोपियों को जमानत मिल गयी। इसके बाद भी जमानत निरस्त करने का कोई प्रयास नहीं किया गया। अधीनस्थ अदालत को यह नहीं बताया गया कि घटना की विवेचना की हाईकोर्ट निगरानी कर रही है। कोर्ट ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि विवेचक को तत्काल केस की विवेचना से हटाया जाए और सीनियर अधिकारी को विवेचना सौंपी जाए ताकि दिनदहाड़े की गयी हत्या की सही विवेचना हो सके।

घोटाले के आरोपी मिल मालिक को विदेश जाने देने की अनुमति से इंकार, याचिका खारिज

इलाहाबाद: इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने सिम्भौली चीनी मिल के पूर्व डायरेक्टर व ग्लोबन केन सुगर सर्विसेज कंपनी दिल्ली के मालिक जी.एस.सी.राव को फिलीपीन्स जाने की अनुमति देने से इंकार कर दिया है और याचिका खारिज कर रही है। सीबीआई अधिवक्ता ज्ञान प्रकाश का कहना था कि 65 साल के राव यदि विदेश गये तो वापस नहीं आयेंगे क्योंकि इनका 60 फीसदी व्यवसाय कई विदेशी देशों में है। जांच के लिए प्रत्यर्पण कठिन होगा। इस पर कोर्ट ने हस्तक्षेप से इंकार कर दिया। पुनरीक्षण याचिका में सीबीआई अदालत गाजियाबाद के आदेश की वैधता काके चुनौती दी गयी थी। यह आदेश रमेश सिन्हा तथा न्यायमूर्ति डी.के.सिंह की खण्डपीठ ने जी.एस.पी.राव की पुनरीक्षण याचिका पर दिया है। मालूम हो कि याची ने माना गन्ना उत्पादक किसानों की केन्द्र की प्रोत्साहन योजना के तहत किसानों को देने के लिए बैंकसे 150 करोड़ रूपये लोन लिये और किसानों को न देकर कंपनी के विभिन्न खातों में जमा करा लिए। इसके बाद 110 करोड़ लोन लिया। उसे एनपीए करा लिया। 26 नवम्बर 16 को प्राथमिकी दर्ज हुई है। मामले की जांच सीबीआई कर रही है। लुकआउट सर्कुलर भी जारी किया गया है। सीबीआई कोर्ट ने 10 दिन के लिए फिलीपीन्स जाने की मांग में अर्जी खारिज कर दी थी जिसे हाईकोर्ट में चुनौती दी गयी थी।

कोर्ट ने पूछा न्याय पालिका को अन्य विभागों की तुलना में कितना मिलता है सरकारी बजट

इलाहाबाद: प्रदेश की अधीनस्थ अदालतों में जजों एवं कोर्ट रूम की कमी को लेकर कायम जनहित याचिका की सुनवाई कर रही पूर्णपीठ ने राज्य सरकार से 22 अक्टूबर को मांगी गयी जानकारी उपलब्ध कराने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने सरकार से पूछा है कि अन्य विभागों की तुलना में न्यायपालिका को कितने फीसदी बजट दिया जाता है। कोर्ट ने यह भी जानना चाहा है कि सरकार कानून बना विशेष अदालतों की व्यवस्था कर देती है किन्तु कोर्ट सुविधाएं नहीं देती। कोर्ट जज देने को तैयार है किन्तु उनके बैठने कर न्याय देने के लिए कमरे नहीं है और न ही स्टाफ है। कोर्ट ने कहा कि मजबूत कोर्ट से कानून व्यवस्था सुदृढ़ हो सकती है। सरकार कानून बनाकर कोर्ट व इन्फ्रास्टक्चर की सुविधा देना भूल जाती है। एससी/एसटी ऐक्ट के तहत विशेष अदालतों की व्यवस्था की किन्तु अदालतें गठित नहीं हो सकी। कामर्शियल व भूमि अधिग्रहण कानून की विशेष अदालतों के भवन व रिहायशी सुविधा व वाहन की व्यवस्था नहीं है। कोर्ट ने सभी मुद्दों पर राज्य सरकार से जानकारी मांगी है।

याचिका की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश डी.बी.भोसले, न्यायमूर्ति गोविन्द माथुर तथा न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा की पूर्णपीठ कर रही है। अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल ने कोर्ट को बताया कि 371 कोर्ट रूम जून 19 तक तैयार हो जायेंगे। जरूरत पड़ेगी तो सरकार किराये पर मकान लेकर अदालतों की व्यवस्था पर विचार कर रही है। लोकसेवा आयोग के अधिवक्ता जी.के.सिंह ने बताया कि 610 न्यायिक अधिकारियों की भर्ती विज्ञापन निकाला गया है। 20 मई 19 तक परिणाम घोषित कर दिया जायेगा। कोर्ट ने चयनित जजों के प्रशिक्षण की पर्याप्त व्यवस्था न होने की तरफ भी सरकार का ध्यान आकृष्ट किया और कहा लखनऊ व इलाहाबाद के झलवा में प्रशिक्षण केन्द्र की व्यवस्था में तेजी लायी जाए ताकि सभी नियुक्त जजों को एक साथ प्रशिक्षित किया जा सके। कानपुर में जर्जर खपरैल मकान में कामर्शियल कोर्ट बनाने पर आपत्ति की और छत्तीसगढ़ व राजस्थान का उदाहरण दिया। सुनवाई 22 अक्टूबर को होगी।

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