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दलित महिला को मंदिर में प्रवेश से रोका, बाद में गंगाजल से धुलवाया
कानपुर देहात: वाल्मीकि समाज की महिला को मंदिर में पूजा करने से रोकने का मामला सामने आया है। महिला का कहना है कि पुजारिन ने उसे मंदिर में प्रवेश करते देख ताला जड़ दिया। जब महिला ने इसका विरोध किया तो मंदिर का ताला खोला गया।
लेकिन ये बात यहीं खत्म नहीं हुई महिला जैसे ही पूजा कर मंदिर के बाहर निकली, तो पुजारिन ने पूरे मंदिर को गंगाजल से धुलवाया। पुजारिन की इस हरकत से दलित समाज में खासा रोष है। वाल्मीकि समाज के लोगों का कहना है कि मंदिर की पुजारिन अक्सर दलितों के मंदिर में प्रवेश का विरोध करती रही है।
क्या है मामला ?
यह मामला मंगलपुर कस्बा का है। बताया जाता है कि बीते 10 जुलाई को कुछ दलित महिलाएं पूजा करने मंदिर गईं। दलित महिलाओं को आता देख सार्वजनिक मंदिर की पुजारिन बबिता ने मंदिर में टाला जड़ दिया। विरोध के बाद पुजारिन ने मंदिर का ताला खोल तो दिया। लेकिन उन दलित महिलाओं के मंदिर से निकलते ही पुजारिन बबिता ने भगवान की मूर्ति और मंदिर परिसर को गंगाजल से धो डाला।
पुजारिन का पक्ष
इस मामले पर मंदिर की पुजारिन का कहना है कि हर रोज की तरह उस दिन भी उसने दोपहर 12 बजे मंदिर का पट बंद कर दिया था। उस वक्त कुछ महिलाएं पूजा के लिए मंदिर आईं थीं। उनके कहने पर मंदिर का पट खोल दिया गया। फिर उन्होंने पूजा की। अब उनका ये आरोप कि ऐसा उनके दलित समाज की वजह से किया गया, गलत है।
कुरीतियों को अब भी ढोया जा रहा
दलित महिलाओं का कहना है कि अर्से से इस गांव के यही हालात हैं। जब-जब दलितों ने मंदिर में कदम रखने की कोशिश की, तब-तब उंचे वर्ग से आने वाले पुजारी प्रवेश से रोकते रहे हैं। उनका कहना है कि पुरानी कुरीतियों को आज भी परंपरा के तौर पर चलाया जा रहा है।
दलितों में खासा रोष
कस्बे में हुई इस घटना से दलित वर्ग में रोष है। हालांकि अर्से से चली आ रही इस कुरीति को दलित वर्ग ने अब ख़ामोशी से सहना बंद कर दिया है। इसी तरह समय-समय पर विरोध का रास्ता अपनाकर हक़ की लड़ाई लड़ी जा रही है। पीड़ितों की मानें तो अगर दलित समुदाय से कोई भी पूजा के लिए जाता है तो पुजारिन उन्हें अपना सामान मंदिर की सीढ़ियों पर ही रखने को बोल देती है। और बाद में कचरे में फेंक दिया जाता है।
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