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Etah News: एटा मेडिकल कॉलेज में पत्रकारों के प्रवेश पर रोक, प्राचार्या का तानाशाही आदेश! क्या संविधान से ऊपर हैं CMS?
Etah News: कुछ दिन पूर्व पत्रकारों ने प्राचार्या को कालेज में हो रहे भष्टाचार की दिखाई थी सच्चाई भ्रष्टाचार पर कुठाराघात नहीं झेल पाई रजनी पटेल। यह संभवतः उत्तर प्रदेश का पहला ऐसा मेडिकल कॉलेज बन गया है जहाँ पत्रकारों के प्रवेश पर कानूनी कार्रवाई की चेतावनी दी गई है।
Etah News: एटा के वीरांगना अवंतीबाई मेडिकल कॉलेज में पत्रकारों के प्रवेश पर रोक लगाकर कॉलेज प्रशासन ने बड़ा विवाद खड़ा कर दिया है। कॉलेज परिसर की दीवारों पर “पत्रकारों का प्रवेश वर्जित” जैसे बोर्ड लगाए गए हैं, जिनमें साफ लिखा है कि बिना अनुमति परिसर में घुसने पर दंडात्मक कार्रवाई होगी।
पूरा मामला 4 अप्रैल का है, जब कॉलेज के एक डॉक्टर द्वारा पत्रकारों से अभद्रता की गई। जिसके विरोध में पत्रकारों ने मैडिकल कालेज के मुख्य द्वार पर धरना प्रदर्शन किया और प्राचार्या के डाक्टर के स्पोर्ट करने की शिकायत मेडिकल कॉलेज की अध्यक्ष मंडलायुक्त अलीगढ़ मंडल अलीगढ़ से की गई उसके बाद प्राचार्य धरना स्थल मेडिकल कॉलेज आई और पत्रकारों से बिना बात किए ही अंदर चली गई जिसको लेकर पत्रकारों में भारी आक्रोश व्याप्त हो गया।
मेडिकल कॉलेज में व्याप्त भ्रष्टाचार की शिकायत
देर रात तक चल रहे धरने के बाद सदर विधायक विपिन वर्मा डेविड, एसडीएम सदर प्रतिनिधि जिलाधिकारी एवं प्राचार्या रजनी पटेल पहुंची काफी देर हुई वार्ता के बाद डॉक्टर को ड्यूटी ऑफ करने एवं मजिस्ट्रेटी जांच के आश्वासन के बाद पत्रकारों ने धरना समाप्त किया। इसी बीच पत्रकारों ने मेडिकल कॉलेज में व्याप्त भ्रष्टाचार मरीजों से किए जाने वाला व्यवहार तथा धरने के समय मे ही पीड़ितों द्वारा मेडिकल कॉलेज में भर्ती मरीजों एवं पीड़ितों ने दर्जनों शिकायतें कर डाली।
जिसकी चर्चा विधायक एसडीएम के सामने ही पत्रकारों ने प्राचार्य से की उनके पास उसका कोई जवाब तो न था किंतु वह उसके बाद इतनी बौखलाईं कि उन्होंने अपना हिटलरी आदेश पारित कर पत्रकारों के घुसने पर ही रोक लगा डाली।
वही पत्रकारों की शिकायत के बाद बनी जांच कमेटी में अपर जिलाधिकारी, जिला सूचना अधिकारी एवं प्राचार्य स्वयं सदस्य बनी जो जांच को प्रभावित करना चाहती थी। यह जानकारी जब पत्रकारों को हुई तो पत्रकारों ने जिलाधिकारी प्रेम रंजन सिंह से रजनी पटेल को जांच कमेटी से हटाए जाने की बात कही, जिन्होंने मजिस्ट्रेटी जांच के आदेश दिए थे। तो जिलाधिकारी ने जांच कमेटी से रजनी पटेल का नाम हटाकर मुख्य चिकित्सा अधिकारी का नाम शामिल कर निष्पक्ष जांच कराए जाने का शासन दिया।
सूत्रों के अनुसार जिलाधिकारी द्वारा उनका नाम जांच कमेटी से हटाये जाने के बाद उन्होंने नाराज़ होकर पत्रकारों के मेडिकल कॉलेज में प्रवेश करने पर रोक का यह तुगलकी फरमान जारी कर दिया और आज यह दीवारों पर अंकित भी कर दिया गया।
संविधान के अनुसार, अनुच्छेद 19(1)(a) के तहत प्रत्येक नागरिक को अभिव्यक्ति और प्रेस की स्वतंत्रता प्राप्त है। किसी सरकारी संस्थान में पत्रकारों के प्रवेश पर रोक लगाना इस मौलिक अधिकार का उल्लंघन है।
पत्रकारों के प्रवेश पर कानूनी कार्रवाई की चेतावनी
संयुक्त प्रेस क्लब के महासचिव प्रमोद लोधी ने इस आदेश को लोकतंत्र और प्रेस की स्वतंत्रता पर हमला बताया। उन्होंने कहा, “अब सिर्फ दलालों की ही एंट्री होगी, सच दिखाने वाले पत्रकारों को रोका जा रहा है।” कुछ दिन पूर्व पत्रकारों ने प्राचार्या को कालेज में हो रहे भष्टाचार की दिखाई थी सच्चाई भ्रष्टाचार पर कुठाराघात नहीं झेल पाई रजनी पटेल। यह संभवतः उत्तर प्रदेश का पहला ऐसा मेडिकल कॉलेज बन गया है जहाँ पत्रकारों के प्रवेश पर कानूनी कार्रवाई की चेतावनी दी गई है।
मामला लगातार गर्माता जा रहा है और पूरे प्रदेश में चर्चा का विषय बना हुआ है। साथ ही संयुक्त रूप से पत्रकारों ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मेडिकल कॉलेज की प्राचार्य रजनी पटेल के स्थानांतरण की मांग की है अगर यह एटा मेडिकल कॉलेज में रही तो यहां का माहौल खराब कर भ्रष्ट कर्मचारी एवं दलालों को बढ़ावा देंगी।