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कर्ज में डूबे किसान ने की आत्महत्या, जेब में मिला डीएम के नाम लिखा सुसाइड नोट
कन्नौज: उत्तर प्रदेश के कन्नौज जिले में एक किसान ने आर्थिक तंगी की वजह से आत्महत्या कर लिया है। गांव वालों ने पेड़ पर लटकता शव देखकर परिवार वालों को जानकारी दी। मौके पर पहुंचे परजिनों ने ग्रामीणों की मदद से शव पेड़ से नीचे उतारा। मौके पर पहुंची पुलिस ने मृतक के पुत्र अमित की तहरीर पर पंचनामा के बाद शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया। मृतक के जेब से एक सुसाइड नोट भी बरामद हुआ है।
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दरअसल कन्नौज की गुरसहायगंज कोतवाली क्षेत्र के गांव सियरमऊ निवासी सुभाष चंद्र पाल (50) ने गांव के बाहर आम के बाग में फांसी लगा ली। सुबह खेतों में काम करने गए ग्रामीणों ने सुभाष को फंदे पर झूलता देखा तो उसके परिजनों को सूचना दी। परिजनों ने पहुंचकर शव नीचे उतारा और पुलिस को सूचना दी।
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कर्ज से तंग आकर की आत्महत्या
मृतक सुभाष की जेब से डीएम को संबोधित सुसाइड नोट मिला है। सुसाइड नोट में उसने खुद के ऊपर कर्ज होने की बात कही है। कहा कि कर्ज अधिक होने की वजह से वह आत्महत्या कर रहा है। मृतक ने सुसाइड नोट में चार लोगों के नाम का जिक्र किया है, जिसने उसने कर्ज लिया है। वहीं, ग्रामीणों ने बताया कि बीते करीब चार साल से आलू की फसल में घाटा हो रहा था। अभी उसका एक कोल्ड स्टोरेज में करीब 1100 पैकेट आलू रखा है, जो किसी भाव नहीं बिक रहा है। डीएम रवींद्र कुमार ने बताया कि सदर तहसीलदार को भेजकर उनसे रिपोर्ट मांगी गई है। परिजनों की ओर मिली तहरीर के आधार पर जांच कराकर कार्रवाई की जाएगी।
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सुसाइड नोट में लिखा- नोटबंदी की वजह से हो गया बर्बाद
किसान सुभाषचंद्र पाल ने डीएम को लिखे सुसाइड नोट में लिखा है कि डीएम साहब! नोटबंदी ने मुझे पूरी तरह से बर्बाद कर दिया था। मेरा 22 लाख रुपया नोटबंदी के समय डूब गया। मैं अपने जीवन से तंग आ चुका हूं, मजबूर होकर आत्महत्या कर रहा हूं। अंत में अपने हस्ताक्षर करते समय लिखा कि 'जाको विधाता दुख देई, ताकि मति पहले हरि लेई।' सुसाइड नोट में लिखा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को नोटबंदी के समय ही पत्र लिखकर सारी समस्याएं बताईं, लेकिन उसकी किसी समस्या का हल नहीं हुआ। पीएम ने भी उसकी नहीं सुनी तो आत्महत्या कर रहा है।
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एक कोल्ड स्टोरेज पर भी लगाया है आरोप
सुभाषचंद्र पाल ने सुसाइड नोट में जसोदा क्षेत्र के एक कोल्ड स्टोरेज का भी जिक्र किया है। कहा कि कोल्ड प्रबंधन ने उसके साथ धोखा किया। रखे आलू की पर्ची ले ली और आलू बिक्री कर दिया। उसका कोई हिसाब नहीं किया। वहीं उसने मवेशियों के लिए भूसा खरीदकर कोल्ड परिसर में एक जगह सुरक्षित रख दिया था। उसे भी कोल्ड प्रबंधन ने अपने मवेशियों को खिला दिया, उसका भी कोई हिसाब नहीं किया गया। किसान ने सुसाइड नोट में लिखा कि उसने कोल्ड से किसी तरह का कोई लोन नहीं लिया था। इसके बाद भी उसके रखे करीब 22 लाख के आलू का कोल्ड ने हिसाब नहीं किया और कहा कि उसका आलू सड़ गया है।
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