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दारुल उलूम देवबंद का फतवा, कहा- तलाक के समय औरत का हाजिर होना जरूरी नहीं
लखनऊ/सहारनपुर: मोबाइल फोन पर दिए गए तलाक के एक मामले में दारुल उलूम देवबंद ने फतवा जारी किया है। फतवे में कहा गया है कि 'इस्लामी शरीयत कानून के तहत तलाक के समय औरत का हाजिर होना जरूरी नहीं है। अगर मर्द ने होश में तलाक दिया है तो वह तलाक माना जाएगा।' यह फतवा हरियाणा के पलवल जिला के गांव मलाई निवासी नसीम अहमद की याचिका पर दिया गया है।
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क्या है मामला?
दारुल उलूम देवबंद में इसी साल दो मई को दिए गए फतवे के मुताबिक, नसीम अहमद का निकाह 15 मई 2011 को राजस्थान के अलवर जिले की युवती के साथ हुआ था। नसीम अहमद ने मोबाइल फोन से पत्नी को तलाक देने का दावा किया था।'
पंचायत दो गुटों में बंटा
इस पर पिछले 3 दिनों से पंचायतों का दौर जारी था। पंचायत में भी दो गुट बन गए। एक गुट का कहना था कि मोबाइल पर दिया गया तलाक नाजायज है, जबकि दूसरा गुट इसे जायज बता रहा था। इस बीच नसीम ने दारुल उलूम देवबंद और दिल्ली की फतेहपुर मस्जिद इस्लामी संस्थाओं से उनकी राय मांगी थी।
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अब बड़ी पंचायत में होगा अंतिम फैसला
दारुल उलूम के सूत्रों की मानें तो इस फतवे के जारी होने के बाद मलाई गांव में पंचायत हुई। जिसमें लड़के पक्ष को कहा गया है कि वह बड़ी पंचायत से पहले पांच लाख रुपए जमा करा दें। इसके बाद ही दूसरी बड़ी पंचायत होगी। उसमें फैसला सुनाया जाएगा।
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