ब्रज की होलीः बसंत पंचमी से शुरू हो जाएगा 50 दिन चलने वाला महोत्सव

बांकेबिहारी मंदिर के सेवायत प्रतिदिन शाम को ठाकुरजी को होली के फाग महोत्सव के पद और रसिया सुनाएंगे और ये कार्यक्रम 50 दिन तक चलेगा।

Dharmendra kumar
Published on: 15 Feb 2021 10:59 PM IST
ब्रज की होलीः बसंत पंचमी से शुरू हो जाएगा 50 दिन चलने वाला महोत्सव
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वृन्दावन के बांकेबिहारी मंदिर सहित सभी मंदिरों में ठाकुरजी को गुलाल अर्पित किए जाने के साथ ही ब्रज में पचास दिन तक चलने वाले होली महोत्सव की शुरुआत हो जाएगी।

रामकृष्ण वाजपेयी

वसंत पंचमी के अवसर पर मंगलवार को वृन्दावन के बांकेबिहारी मंदिर सहित सभी मंदिरों में ठाकुरजी को गुलाल अर्पित किए जाने के साथ ही ब्रज में पचास दिन तक चलने वाले होली महोत्सव की शुरुआत हो जाएगी। पौराणिक मान्यताओं और परंपराओं के अनुरूप ब्रजमण्डल के सभी मंदिरों में इस दिन वासंती परिधान में सजे-संवरे ठाकुर को अर्पण कर भक्तों के ऊपर प्रसाद के रूप में अबीर-गुलाल फेंका जाएगा। इसी के साथ ब्रज क्षेत्र में फाल्गुन शुक्ल पूर्णिमा यानी होलिका जलाए जाने तक प्रतिदिन रंग खेला जाएगा। इस मौके पर मंदिर प्रांगण में व होलिका जलाए जाने वाले चौराहों होली का डांढ़ा (अरंडी गूलर की सूखी लकड़ी का डंडा) गाड़ा जाएगा।

कार्यक्रम 50 दिन तक चलेगा

बांकेबिहारी मंदिर के सेवायत प्रतिदिन शाम को ठाकुरजी को होली के फाग महोत्सव के पद और रसिया सुनाएंगे और ये कार्यक्रम 50 दिन तक चलेगा। वसंत पंचमी के मौके पर ही वृन्दावन के विश्वप्रसिद्ध ठा. बांकेबिहारी मंदिर में ऋतुराज वसंत के आगमन की खुशी में श्रृंगार आरती के पश्चात मंदिर के सेवायत चांदी के पांच थालों में हरा, लाल, वसंती, गुलाबी और पीले रंग का गुलाल भक्तों पर डालेंगे।

इस अनोखी छटा को देखने और अपने आराध्य संग होली खेलने के लिए देश विदेश से हजारों भक्तों का आगमन भी होगा। सबकी एक ही आस रहेगी यही प्रार्थना रहेगी कि ठाकुर बांकेबिहारी का प्रसाद रूपी अबीर-गुलाल उनके ऊपर भी पड़े और उन्हें उल्लास से भर दे।

Braj Holi

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बांकेबिहारी मंदिर में टेसू के फूलों से खेलते हैं होली

इसके अलावा रंगभरनी एकादशी के दिन से ठा. बांकेबिहारी मंदिर में टेसू के फूलों से बने रंग से होली खेली जाती है। ये रंग शरीर को कोई हानि नहीं पहुंचाते। अनेक औषधियों के मिश्रण से बना यह रंग शरीर की कांति को बढ़ा देता है। अन्य मंदिरों में भी होली खेलने के लिए टेसू के रंगों का प्रयोग किया जाता है।

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इसी दिन श्रीजी के धाम बरसाना में राधाकृष्ण के चरणों में गुलाल अर्पित कर होली का ढांडा गाड़ा जाता है, जो इस बात का प्रतीक होता है कि ब्रज में अब होली के पारंपरिक आयोजन शुरू हो गए हैं। उमंग उत्साह से प्रफुल्लित कर देने वाले माघ माह की बसंत पंचमी ब्रज मंडल में होली की अलग ही उमंग लेकर आती है। फाल्गुन शुक्ल नवमी के दिन बरसाना में लठामार होली खेली जाती है जो ब्रज की होली का मुख्य आकर्षण होती है।

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