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Lucknow: डेंगू-मलेरिया के साथ स्क्रब टाइफस के मिले केस, एक्सपर्ट्स बोले- हर बुखार में न लें एंटीबायटिक
Lucknow News: राजधानी में बुखार पीड़ितों की संख्या सरकारी हो या निजी अस्पतालों की ओपीडी में बढ़ रही है।
स्क्रब टाइफस बुखार: Photo- Social Media
Lucknow News Today: राजधानी में बुखार पीड़ितों की संख्या सरकारी हो या निजी अस्पतालों की ओपीडी में बढ़ रही है। विशेषज्ञों ने माना कि राजधानी में वायरल बुखार के अलावा डेंगू, मलेरिया व स्क्रब टाइफस बुखार के मरीज भी मिल रहे हैं। स्क्रब टाइफस के मरीज मिलने से विशेषज्ञ डॉक्टर हैरान हैं और लोगों को सावधान रहने का परामर्श दे रहे है। उनका मानना है कि बुखार में ख़ुद से दवा न लें। डॉक्टरों से परामर्श लेने के बाद ही दवा लें। विशेषज्ञों का मानना है कि वायरल बुखार के बाद, इस बार मरीजों में कमजोरी, बदन टूटना व खांसी की दिक्कत सात-आठ दिन बनी रहती है।
क्या बोले एक्सपर्ट्स?
● किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय (KGMU) के मेडिसिन विभाग की ओपीडी में मरीजों की लम्बी-लम्बी लाइन लग रही है। मेडिसिन विभाग के वरिष्ठ डा. कौसर उस्मान ने बताया कि ओपीडी में वायरल बुखार के मरीजों की काफी है, लेकिन इसके साथ डेंगू व मलेरिया के लक्षणों वाले मरीज भी काफी संख्या में आ रहे है। उन्होंने बताया कि कुछ मरीजों में स्क्रब टाइफस की पुष्टि होने के बाद लोगों से सावधान रहने के लिए कहा गया है। उनका कहना है कि सभी बुखार में एंटीबायटिक का सेवन नहीं किया जाता है। इसलिए, डॉक्टर की परामर्श के बाद ही दवाओं का सेवन करें।
● लोहिया संस्थान के मेडिसिन विभाग के सीनियर डॉ. निखिल बताते हैं कि ओपीडी में वायरल बुखार के मरीजों की संख्या काफी है। इसके साथ ही डेंगू व मलेरिया के मरीज भी काफी संख्या में मिल रहे है। काफी मरीजों की जांच में डेंगू व मलेरिया की पुष्टि नहीं होती। लेकिन, क्लिनिकल लक्षण मिलते हैं। ऐसे में उन्हें डेंगू व मलेरिया की दवा ही दी जाती है। उन्होंने बताया कि इस बार वायरल बुखार के बाद, लोग एक नई दिक्कत का सामना कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि बुखार के बाद थकान, खांसी, शरीर टूटना, खास की पीठ में दर्द ज्यादा देखने को मिल रहा है। यह दिक्कत दूर होने में लगभग एक सप्ताह लग जाता है। डा. निखिल ने बताया कि स्क्रब टाइफस के कुछ मरीज मिले है। एक मरीज में तो पुष्टि होने के बाद भर्ती भी किया गया है।
स्क्रब टाइफस के लक्षण:-
● तेज सिरदर्द।
● उल्टी होना।
● डंक मारने का घाव और रैशेज।
● बुखार आना।
● हाथों-पैरों में बहुत अधिक दर्द।
● आंखों के आसपास दर्द महसूस होना।
● डाइजेस्टिव प्रॉब्लम्स बने रहना।
स्क्रब टाइफस से बचाव:-
ये बच्चों में फैलने वाली बीमारी है। इसीलिए, बच्चों को साफ-सुथरे कपड़े पहनाएं, घर के बाहर जाते समय बच्चों को जूते अवश्य पहनायें और उन्हें पार्क और बगीचों में झाड़ियों के आस-पास जाने खेलने-कूदने से रोकें, बच्चों को धूल-मिट्टी और घास के सम्पर्क में आने से बचाना चाहिए, बच्चे को बुखार आने पर उसे डॉक्टर से परामर्श के बाद दवा दें।
बीमारी बढ़ने पर मल्टी ऑर्गन फेल्योर का ख़तरा
राजधानी में स्क्रब टाइफस के कुछ मामलों का पता लगने के वाद स्वास्थ्य अधिकारियों की चिंता बढ़ रही है। डाक्टरों के अनुसार, स्क्रब टाइफस के अधिकांश मामलों में अभी वयस्क लोग ही है। विशेषज्ञों के अनुसार, बरसात के मौसम में स्क्रब टाइफस की बीमारी फैलने की ज्यादा संभावना रहती हैं। उन्होंने बताया कि स्क्रब टाइफस की बीमारी एक विशेष कीड़े के डंक से होती है। थरोम्बोसाइटोपेनिक माइट्स नामक यह कीड़ा काटने के वाद जव शरीर में प्रवेश करता है, तो उससे शरीर में स्क्रब टाइफस के बैक्टीरिया बनने लगते है।
डाक्टरों ने यह सलाह दी है कि जब स्क्रब टाइफस की बीमारी के लक्षण दिखायी दें, तो साधारण पेनकिलर या पैरासिटामोल जैसी दवाइयां लेने की बजाय तुरंत अपने डॉक्टर से सम्पर्क करें। उनका मानना है कि स्क्रब टाइफस के लक्षणों की समय पर पहचान करके समय पर इलाज कराएं। स्क्रब टाइफस की बीमारी वढ़ जाने के कारण मल्टी ऑर्गन फेल्योर का खतरा भी बढ़ सकता है।
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