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50-50 लाख लेकर विदेश से कराते थे MBBS, ऐसे बनाते थे डॉक्टर
नोएडा: मोटी रकम लेकर डॉक्टर बनाने वाले गिरोह का भंडाफोड़ हुआ है। जालसाज एक-एक क्लाइंट से 50-50 लाख रूपये लेकर एमबीबीएस की डिग्री देते थे। एमबीबीएस कराने वाले पांच आरोपियों को गिरफ्तार करके पुलिस ने इस गैंग का पर्दाफाश किया है। फर्जी दस्तावेजों के आधार विदेशी यूनिवर्सिटी में एमबीबीएस में दाखिला कराने वाले पांच आरोपियों को थाना सेक्टर-20 पुलिस ने अरेस्ट किया है। पुलिस को इनके पास से फर्जी मेडिकल सर्टिफिकेट, पुलिस सत्यापन और जन्म प्रमाण पत्र बरामद हुए हैं। पुलिस को आरोपियों के पास से पुलिस और डॉक्टर समेत कईयों की फर्जी मोहरें और लेटर हेड भी बरामद हुए हैं। इस मामले में कई यूनिवर्सिटी के डाक्टरों की मिलीभगत की बात सामने आई है। ऐसे में पुलिस गंभीरता से इसकी जांच कर गिरोह के सभी सदस्यों को गिरफ्तार करने का प्रयास कर रही है।

इनकी हुई गिरफ्तारी
नोएडा पुलिस ने जिन लोगों को गिरफ्तार किया है, उन आरोपियों की पहचान दिलशाद कॉलोनी दिल्ली निवासी अनुज द्विवेदी, लाजपत नगर दिल्ली निवासी सुशील कुमार, कृष्णा विहार लोनी गाजियाबाद निवासी राघव सिंह, सेक्टर-58 फरीदाबाद निवासी मारूत शर्मा और शकूर बस्ती सरस्वती विहार दिल्ली निवासी हरजीत सिंह के रूप में हुई है। इनके फरार साथियों की पहचान संजय शर्मा, वरूण सेठ व ललित अरोड़ा के रूप में हुई है। पुलिस इनकी सरगर्मी से तलाश कर रही है। आरोपी ए-68 सेक्टर-58 में सात साल से सैंट मार्टिन एडमिनिस्ट्रेटिव सर्विस के नाम से ऑफिस चला रहे थे। ये लोगों को नीदरलैंड की सेंट मार्टिनस यूनिवर्सिटी में एमबीबीएस में दाखिला दिलाने का दावा करते थे। इसके लिए ये आवेदकों से 35 से 50 लाख रुपये वसूलते थे।
पुलिस ने छापा मारकर कंपनी से किया गिरफ्तार
अनुज द्विवेदी इस ऑफिस में डायरेक्टर है। सुशील कुमार डाटा एंट्री आपरेटर है। राघव सिंह मुख्य वित्त अधिकारी है। मारूत शर्मा काउंसलर और एडमिशन मैनेजर है। हरजीत सिंह आईटी हेड का काम करता है। पुलिस ने इन्हें बृहस्पतिवार को इनके सेक्टर-58 स्थित ऑफिस से गिरफ्तार किया है। पुलिस को इनके ऑफिस से 5.60 लाख रुपये नकद, एक लैपटॉप, दो प्रिंटर, एक सीपीयू, डॉक्टर और पुलिस के फर्जी प्रमाण पत्र और मोहरें बरामद हुई हैं। फरार आरोपियों में संजय शर्मा एजेंसी का मालिक है, जो अमेरिका में रह रहा है। वरूण सेठ काउंसलर और ललित अरोड़ा डायरेक्टर एडमिशन का काम करता है।
12वीं पास छात्रों को बनाते थे शिकार
पुलिस के अनुसार ये लोग 12वीं की परीक्षा देने के बाद छात्रों को नीदरलैंड की यूनिवर्सिटी में एमबीबीएस में दाखिला दिलाते थे। इसके लिए आवेदक को पुलिस सत्यापन, चिकित्सकीय प्रमाण पत्र और जन्म प्रमाण पत्र की जरूरत पड़ती है। आरोपी आवेदक से इन चीजों के लिए मोटी रकम लेकर खुद फर्जी पुलिस सत्यापन, प्रमाण पत्र, जन्म तिथि प्रमाण पत्र और चिकित्सकीय प्रमाण पत्र बना लेते हैं। इसके लिए ये लोग गाजियाबाद के डॉक्टर एआर खान के फर्जी लेटर हेड का वर्ष 2012 से इस्तेमाल कर रहे हैं। डॉक्टर एआर खान को सभी आरोपियों की गिरफ्तारी के बाद उनका फर्जी लेटर हेड और मोहर के प्रयोग होने का पता चला। इसके अलावा आरोपी गाजियाबाद के शिप्रा चौकी की फर्जी मोहर व लेटर हेड बना पुलिस सत्यापन जारी कर देते हैं।
धोखाधड़ी की शिकायत के बाद हुआ खुलासा
आरोपियों के खिलाफ लावन्या अपार्टमेंट सेक्टर-62 में रहने वाले राम प्रकाश शर्मा ने थाना सेक्टर-20 में धोखाधड़ी की रिपोर्ट दर्ज कराई थी। उन्होंने अपने किसी परिचित के बेटे का एमबीबीएस में दाखिला कराने के लिए आरोपियों से संपर्क किया था। आरोपियों ने उनसे 50 हजार रुपये ले लिए थे। इसके बाद फर्जी दस्तावेज बनाने की बात कहने लगे। जिस पर उन्होंने एफआईआर दर्ज करा दी।
सीओ द्वितीय राजीव कुमार सिंह ने बताया कि आरोपी नीदरलैंड की यूनिवर्सिटी में दाखिला सही कराते थे, लेकिन उसकी प्रक्रिया पूरी करने के लिए फर्जी दस्तावेजों का प्रयोग करते थे। इस संबंध में यूनिवर्सिटी से भी संपर्क किया जा रहा है। शिकायकर्ता ने आरोपियों द्वारा एमबीबीएस की फर्जी डिग्री दिलाने का भी आरोप लगाया है। इसकी भी जांच की जा रही है।
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