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गजलकार चन्द्रमणि त्रिपाठी सहनशील का निधन, साहित्यकारों में गहरा शोक
1980 के आसपास के फैज़ाबाद की साहित्यिक गतिविधियों में सहनशील जी बेहद सक्रिय थे।
गजलकार चंद्रमणि त्रिपाठी(फाइल फोटो: सोशल मीडिया)
लखनऊ: फैज़ाबाद हिन्दी के जाने-माने ग़ज़लकार, गीतकार एवं सम्पादक चन्द्रमणि त्रिपाठी सहनशील नहीं रहे। उन्होंने लखनऊ में स्थित अपने आवास पर अन्तिम सांस ली। अपने जीवन का लम्बा समय उन्होंने फैज़ाबाद में ही बिताया जिसे वे अपनी कर्मभूमि मानते थे। उनके निधन की सूचना से साहित्यकारों में गहरा शोक व्याप्त हो गया।
1980 के आसपास के फैज़ाबाद की साहित्यिक गतिविधियों में सहनशील जी बेहद सक्रिय थे। वे दुष्यंत कुमार की परम्परा में ग़ज़लें लिखते थे जिनमें रूमानियत की जगह पर समय का सच होता था। वे सुन्दर गीत भी लिखते थे और कविता पढ़ने का उनका तरीका सबसे अलग था। उन्हें कविता के समझदार बहुत गंभीरता से सुनते थे।उन्होंने फैज़ाबाद जैसे छोटे शहर में सीमित साधनों में सूर्यबाला जैसी श्रेष्ठ साहित्यिक पत्रिका निकाली। बाद में वे मारक कुण्डलियां भी लिखते थे।
सहनशील जी का जीवन संघर्षों से भरा था। वे बहुत दुनियादार नहीं थे और उनकी समझौता न करने की प्रवृत्ति ने उन्हें ऐसी खुद्दारी दी जो हमेशा उनके साथ रही। इन कारणों से भौतिक सफलता उनसे बहुत दूर रही। फैज़ाबाद में वे एक दौर में सूर्यबाला प्रेस भी चलाते थे। मगर व्यावसायिक प्रवृत्ति न होने के कारण वे इस उपक्रम में भी असफल रहे। बाद में कई शहरों में पत्रकारिता करने के उपरांत लखनऊ से प्रकाशित स्वतंत्र भारत में अन्तिम और सबसे लम्बी सेवा की। इधर वे कुछ दिनों से लगातार बीमार चल रहे थे। उनकी हड्डियां कैल्शियम की कमी से कमजोर हो गयी थीं।
सहनशील जी अपनी मुफलिसी के दिनों में भी फाकामस्त रहा करते थे और लगातार हंसी-मजाक में सब कुछ लपेट लेते थे। वे स्वयं और अपनी कविता के प्रति वे बेहद लापरवाह थे। उनकी कविताएं "प्यास बुझती नहीं समुन्दर से" शीर्षक से पिछले वर्ष प्रकाशित हुई। उनकी कुण्डलियों का एक संग्रह प्रकाशनाधीन है। वे अन्तिम दिनों में फैज़ाबाद की यात्रा करना चाहते थे। मित्रों ने उनके काव्यपाठ की योजना भी बना रखी थी। मगर कोरोनावायरस के बढ़ते संक्रमण के चलते बात स्थगित हो गयी।
वे फैज़ाबाद की प्रमुख साहित्यिक संस्था सम्पर्क के महासचिव थे। संस्था के अध्यक्ष डाॅ जगन्नाथ त्रिपाठी ,महासचिव दीपक मिश्र,डा.रघुवंशमणि,स्वप्निल श्रीवास्तव, राजेश श्रीवास्तव, ब्रह्मा प्रसाद गुप्त, विशाल तिवारी आदि ने उनके निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया है। नामचीन साहित्यकार विजय रंजन ने अवध अर्चना परिवार की ओर से उन्हें अपनी श्रद्धांजलि दी है।
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