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Gorakhpur News: युवाओं में शराब की लत कमजोर कर रहीं हड्डियां, कोरोना के बाद क्यों बदला ट्रेंड?
Gorakhpur News: कोविड के बाद युवाओं में बढ़ा हड्डियों का क्षय, शराब और स्टेरॉयड जिम्मेदार
Alcohol Addiction Weakening Youth Bones ( Gorakhpur News)
Gorakhpur News: शराब के सेवन के तो वैसे रोज तमाम दुष्प्रभाव पर चर्चा होती है। लेकिन गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में हड्डी रोग विशेषज्ञों के कॉन्फ्रेंस ऑर्थो एज-2025 में शराब का हड्डियों के साथ अन्य अंगों पर दुष्प्रभाव पर विस्तार से चर्चा हुई। बीआरडी मेडिकल कॉलेज के हड्डी रोग के विभागाध्यक्ष डॉ. पवन प्रधान का कहना है कि युवाओं में शराब का शौक उनकी हड्डियों को कमजोर कर रहा है। इसका सबसे ज्यादा असर कूल्हे की हड्डियों पर पड़ रहा है।
डॉ.प्रधान कहते हैं कि कूल्हे की हड्डियों में खून की आपूर्ति बाधित हो रही हैं। खून आपूर्ति करने वाली धमनियों में ब्लॉकेज हो रहा है। इससे कूल्हे की हड्डी सूखने लगती हैं। इसे ए-वैस्कुलर नैक्रोसिस (एवीएन) कहते हैं। कोविड के बाद युवाओं में यह बीमारी ज्यादा मिल रही है। डॉक्टर का कहना है कि कोविड की दवाओं या जिम में लेने वाले प्रोटीन में मिले स्टेरॉयड के सेवन से भी कूल्हा गल हरा है। एक बार कूल्हा प्रत्यारोपण की उम्र करीब 20 वर्ष की होती है। हालत यह हो गई है कि युवाओं को उनके जीवन में दो बार कूल्हा बदलवाना पड़ रहा है।
स्क्रू के हड्डियों को कसना पड़ रहा
अहमदाबाद से आए डॉ. निमिष पटेल ने कूल्हे की गर्दन (नेक फीमर) और उसके सिर में होने वाले फ्रैक्चर पर चर्चा की। डॉ. ने कहा कि ज्यादातर बुजुर्गों में यह फ्रैक्चर तब होता है, जब वे बाथरूम में फिसलकर या चलते हुए कहीं गिर जाते हैं। यह सड़क हादसे में घायल युवाओं में भी होता है। इसकी सर्जरी जटिल है। कभी-कभी सटीक परिणाम नहीं मिलता। ओपन सर्जरी करनी पड़ती है।
स्क्रू से ही हड्डियों को कसना पड़ता है। कान्फ्रेंस में चिकित्सकों ने सलाह देते हुए कहा कि बच्चों में हड्डी टूटने को अक्सर सामान्य चोट समझकर नजरअंदाज कर दिया जाता है। इस तरह के फ्रैक्चर समय पर इलाज न मिलने से गंभीर रूप ले सकते हैं। ऐसे में इलाज में देरी से हड्डियों का गलत जुड़ना, दर्द बने रहना और आगे चलकर विकलांगता का खतरा बढ़ सकता है।
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