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Gorakhpur News: पत्नी को घर का एक कण नहीं ले जाने देना, ससुराल वालों को मेरी लाश छूने या देखने का अवसर नहीं मिले..आत्महत्या करने वाले युवक का दर्द
Gorakhpur News: गोरखनाथ इलाके के सुभाष चंद बोस नगर चौक के रहने वाले मालती लॉन के मालिक सुमित कुमार चौरसिया (40) ने 24 अप्रैल को खुदकुशी कर ली थी।
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Gorakhpur News: परिवार में पत्नी से कलह और जिम्मेदारियों के बोझ से व्यक्ति किस कदर टूट रहा है, इसका उदाहरण उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में देखने को मिला। गोरखनाथ इलाके में सुभाष चंद्र बोस नगर में मालती लॉन के मालिक सुमित ने आत्महत्या के पहले जो सुसाइड नोट लिखा उसने रिश्तों की परिभाषा पर समाज को सोचने को विवश कर दिया है।
गोरखनाथ इलाके के सुभाष चंद बोस नगर चौक के रहने वाले मालती लॉन के मालिक सुमित कुमार चौरसिया (40) ने 24 अप्रैल को खुदकुशी कर ली थी। उन्होंने छत पर टीनशेड में प्लास्टिक की रस्सी से लोहे की पाइप में फंदा लगाकर यह कदम उठाया। पुलिस को उनकी जेब में मिले सुसाइड नोट ने रिश्तों में उलझे सुमित की दुश्वारियों को बयां किया।
जिसमें पत्नी और सास को खुदकुशी के लिए जिम्मेदार बताया। गोरखनाथ इलाके में स्थित मॉलती लॉन सुमित के ही परिवार का है। सुमित चार भाई और छह बहनों में आठवें नम्बर के थे। बड़े भाई अनिल (60), सुशांत (44), सुमित (40) और सबसे छोटे हिमांशु हैं। सुमित से बड़ी छह बहनें लता, ज्योति, रंजना, संध्या, प्रीति और श्वेता हैं। सभी की शादी हो गई है और और वे अपने घर रहती हैं। अनिल फास्ट फूड की दुकान चलाते हैं और सुशांत प्राइवेट गाड़ी चलवाते हैं, दोनों अलग रहते हैं।
जबकि सुमित और छोटा हिमांशु एक साथ मां के साथ रहते थे। हिमांशु एक कम्पनी में सुपरवाइजर था। जबकि सुमित वर्तमान में कुछ नहीं कर रहा था इसको लेकर घर में कलह होती थी। मां मालती देवी को एक सप्ताह पहले ही फालिज मार दिया है। हिमांशु ने बताया कि गुरुवार की रात में 12 बजे वह घर लौटा। मां मालती देवी की वही देखभाल करता है, लिहाजा सुबह उठा तो देखा की भाई ने खुदकुशी कर ली है। फिर पुलिस को सूचना दी।
राखी को इस घर से बालू का एक कण भी मत ले जाने देना
सुमित चौरसिया के जेब से मिले सुसाइड नोट में लिखा है कि मैने बहुत कोशिश की लेकिन अब हार मान रहा हूं, अन्ततोगत्वा जीवन साथी के रूप में मैने गलत इंसान को चुन लिया, जिसका अंत ऐसे ही होना था। मेरा चरित्र हनन किया गया किन्तु हर दुश्कृत्य की एक सीमा होती है, आज उस सीमा का अंत हो चुका है। मैने अपने जीवन को सार्थक बनाने का प्रयास किया और बहुत हद तक सफल भी रहा। पूरी कोशिश रही की सबका जीवन स्तर सुधार सकूं लेकिन मैं अपनी पत्नी का सुरसा रूपी मुंह भर नहीं पाया। अत: मेरा जीवन व्यर्थ है।
अपनी सास और पत्नी की रोज-रोज की प्रताड़ना से मैं तंग आ चुका हूं। मेरी मृत्यु की जिम्मेदार भी यही दोनों हैं। मेरी प्यारी छह बहनों से जीवन पर्यन्त प्रेम मिलता रहा है। अत: मेरी मां समान बहनों से मेरी एक अन्तिम आशा है कि मेरी दोनों बेटियों की शादी अच्छे घर में कराना। आप लोगों और मां से कहना चाहता हूं मुझे माफ कर देना। मैं जा रहा हूं अगली बार फिर इसी परिवार में जन्म लूंगा। मेरे ससुराल पक्ष को मेरी लाश छूने या देखने का अवसर नहीं मिलना चाहिए। हिमांशु घर परिवार की जिम्मेदारी अब तुम्हारी है। मैने अपने फोन के एक्सल सीट में सारा हिसाब लिख रखा है, देख लेना और संभाल लेना। अब पूर्ण विराम लग रहा है। राखी को इस घर से बालू का एक कण भी मत ले जाने देना।