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Lucknow News: पद्मजा कला संस्थान का भव्य वार्षिकोत्सव परम्परा-2025: कथक की विविध रंगों में झलकी भारतीय सांस्कृतिक विरासत
अंतरराष्ट्रीय कथक नृत्यांगना डॉ. आकांक्षा श्रीवास्तव की सांस्कृतिक संस्था पद्मजा कला संस्थान की ओर से आयोजित वार्षिकोत्सव परम्परा-2025 मंगलवार को उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी के संत गाडगे जी महाराज प्रेक्षागृह में भव्य रूप से सम्पन्न हुआ।
Lucknow News: Photo-Social Media
Lucknow News: अंतरराष्ट्रीय कथक नृत्यांगना डॉ. आकांक्षा श्रीवास्तव की सांस्कृतिक संस्था पद्मजा कला संस्थान की ओर से आयोजित वार्षिकोत्सव परम्परा-2025 मंगलवार को उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी के संत गाडगे जी महाराज प्रेक्षागृह में भव्य रूप से सम्पन्न हुआ। कार्यक्रम में कथक नृत्य के विविध आयामों की एक से बढ़कर एक प्रस्तुतियां देखने को मिलीं। इस अवसर पर 4 वर्ष से लेकर 50 वर्ष तक के 70 से अधिक शिष्यों ने मंच पर अपनी नृत्य प्रतिभा का प्रभावशाली प्रदर्शन किया।
प्रमुख अतिथियों की उपस्थिति ने बढ़ाया आयोजन का गौरव
समारोह की मुख्य अतिथि पद्मश्री डॉ. विद्या बिंदु सिंह रहीं। वहीं विशिष्ट अतिथियों में उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी की पूर्व अध्यक्ष डॉ. पूर्णिमा पाण्डेय, बिरजू महाराज कथक संस्थान की अध्यक्ष डॉ. कुमकुम धर, और पूर्व प्रवक्ता पंडित धर्मनाथ मिश्रा की गरिमामयी उपस्थिति रही। आयोजन के दौरान विभिन्न कलाक्षेत्रों के प्रतिभाशाली कलाकारों को सम्मानित भी किया गया, जिनमें कथक में पं. अनुज मिश्रा, भरतनाट्यम में सय्यद शमसुर रहमान, गायन में बृजेन्द्र नाथ श्रीवास्तव, तबला में अरुण भट्ट, और रंगमंच में पुनीत अस्थाना शामिल रहे।
मंच पर सजी एक से बढ़कर एक प्रस्तुतियां
कार्यक्रम की शुरुआत अंत नामक प्रस्तुति से हुई, जिसमें संत कबीर दास का भजन “मत कर मोह तू हरि भजन को मान रे” पर भावपूर्ण नृत्य प्रस्तुत किया गया। डॉ. आकांक्षा श्रीवास्तव की परिकल्पना एवं निर्देशन में इस प्रस्तुति को शिजा राय, खुशी मौर्या, शैली मौर्या, प्रीति तिवारी समेत अन्य शिष्यों ने प्रस्तुत किया। संगीत में प्रखर पाण्डेय, तबला पर पं. विकास मिश्रा, सितार पर नीरज मिश्रा और बांसुरी पर दिपेन्द्र लाल कुंवर की प्रभावशाली संगत रही। वहीं समारोह का सफल संचालन राजेन्द्र विश्वकर्मा “हरिहर” ने किया और अंत में संस्था की सचिव डॉ. आकांक्षा श्रीवास्तव ने सभी अतिथियों, दर्शकों और प्रतिभागियों को धन्यवाद ज्ञापित किया।
वहीं अभिसार में राग मारू बिहाग और तीन ताल में निबद्ध एक श्रंगारात्मक प्रस्तुति “मन ले गयो रे सांवरा…” ने दर्शकों को भावविभोर कर दिया। इस नृत्य में शिष्यों के साथ स्वयं डॉ. आकांक्षा ने भी भाग लिया। तो वहीं कृष्ण लीला में नन्हें कलाकारों ने “मइया मोरी मैं नहीं माखन खायो” पर मनमोहक अभिनय किया। यशोदा की भूमिका गौरी शर्मा ने निभाई, जबकि संगीत में दिनकर द्विवेदी (गायन), नीतीश भारती (तबला) और डॉ. नवीन मिश्रा (सितार) की संगति रही।