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Hapur: Shaheed Diwas 2024 पर यज्ञ का आयोजन कर किया गया शहीदों को याद
Hapur News: शहीद भगत सिंह पार्क आवास विकास कॉलोनी हापुड़ में सामूहिक यज्ञ के कार्यक्रम का आयोजन किया गया, समिति द्वारा हापुड़ में बलिदान दिवस पिछले 10 वर्षों से मनाया जा रहा है।
सामूहिक यज्ञ कर शहीदों को किया याद। (Pic: Newstrack)
Hapur news: अंग्रजों से लड़ाई लड़ते हुए भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु का बलिदान कभी भुलाया नहीं जा सकता है। आज इन तीनों सेनानियों के बलिदान के 92 साल पूरे हो चुके हैं। अदालती आदेश के मुताबिक इन देश के वीरों को 24 मार्च 1931 को सुबह आठ बजे फांसी लगाई जानी थी, लेकिन 23 मार्च 1931 को ही इन तीनों को देर शाम करीब सात बजे फांसी लगा दी। आज के दिन ही 23 मार्च 1931 को हुई इतिहास की इस बड़ी घटना को ''शहीद दिवस'' के रूप में मनाया जाता है।
यज्ञ करके मनाया बलिदान दिवस
कार्यक्रम के प्रारंभ करते हुए पुनीत शर्मा नें बताया की 23 मार्च को पूरे देश में बलिदान दिवस मनाया जाता है। उसी श्रृंखला में शहीद भगत सिंह पार्क आवास विकास कॉलोनी मेरठ रोड हापुड़ में सामूहिक यज्ञ के कार्यक्रम का आयोजन किया गया, समिति द्वारा हापुड़ में बलिदान दिवस पिछले 10 वर्षों से मनाया जा रहा है। यह कार्यक्रम प्रत्येक वर्ष शोभायात्रा के माध्यम से और यज्ञ के माध्यम से किया जाता रहा है। लेकिन इस वर्ष आंचार संहिता और धारा 144 लगने के कारण केवल यज्ञ के माध्यम से एवं पुष्पांजलि अर्पित करके अपने क्रांतिकारी बलिदानियों का स्मरण किया गया।
युवाओं के लिए है बहुत ही महत्वपूर्ण दिन
मंजीत सिंह नें कहा कि आज का दिन हम सबके लिए बहुत ही का महत्वपूर्ण दिन है। उन्होंने कहा कि वास्तव में 23 मार्च का दिन युवाओं को प्रेरणा देने वाला एक राष्ट्रीय उत्सव का दिन है। 23 मार्च के दिन ही सरदार भगत सिंह सुखदेव व राजगुरु वीरों ने अपना बलिदान देकर देश की आजादी की नींव रखी व पूरे देश को आजादी पाने के लिए उद्देलित किया, यही वो बलिदानी थे जिनके बाद अंग्रेजों को लगने लगा था कि अब वो अधिक समय तक भारत को गुलाम बनाकर नहीं रख सकते हैं। आज प्रत्येक युवा को इनके जीवन चरित्र का अध्धयन करके उसे अंगीकार करना चाहिए।
जानें क्यों दी गई थी भगत सिंह को फांसी
सरदार जसमीत सिंह नें बताया कि भगत सिंह ने देश को आजादी दिलाने के लिए अंग्रेजों के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था। भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु ने 1928 में लाहौर में एक ब्रिटिश जूनियर पुलिस अधिकारी जॉन सॉन्डर्स की गोली मारकर हत्या कर दी थी। भारत के तत्कालीन वायसरॉय लॉर्ड इरविन ने इस मामले पर मुकदमे के लिए एक विशेष ट्राइब्यूनल का गठन किया, जिसने तीनों को फांसी की सजा सुनाई। तीनों को 23 मार्च 1931 को लाहौर सेंट्रल जेल के भीतर ही फांसी दे दी गई। इस मामले में सुखदेव को भी दोषी माना गया था।
कार्यक्रम के यह लोग रहे मौजूद
कार्यक्रम में प्रमुख रूप से मंजीत सिंह, सचिन तेवतिया,गौरव त्यागी नगर कार्यवाह, अनिल शर्मा, पवन त्यागी भाजपा नेता, अभिषेक त्यागी, सत्येंद्र विभु सिसोदिया, रोहित सिरोही, मनजीत सिंह, अर्जुन पुंडीर, विदित शर्मा, रोहित संधू, बॉबी पाठक यश त्यागी, विवेक जी आरएसएस जिला प्रचारक आदि उपस्थित रहे।
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