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Hardoi News: पति ने दिया सुझाव तो पत्नी ने किया कुछ ऐसा कि हो रही सालाना हजारों की बचत, जाने क्या है मामला
Hardoi News: हरदोई जनपद के पिहानी ब्लॉक के गांव कुंवरपुर बसीठ के रहने वाली शैली राघव द्विवेदी ने अपने घर पर गोबर गैस प्लांट बनाकर उससे निकलने वाली बायोगैस का प्रयोग करना शुरू कर दिया है।शैली राघव द्विवेदी बायोगैस से घर के खाने पीने के काम निपटाती हैं।
Hardoi Gobar Gas Plant
Hardoi News: प्रधानमंत्री द्वारा लगातार प्राकृतिक चीजों के प्रयोग को लेकर लोगों को जागरूक किया जा रहा है।ऐसे में गोबर गैस को लेकर भी प्रधानमंत्री द्वारा देश के लोगों को जागरूक किया गया था। जनपद के रहने वाले एक दंपति ने एलपीजी गैस का प्रयोग ना करके स्वयं गोबर प्लांट बनाकर उसे निकलने वाली गैस से अपने घर पर पकने वाले खाने को बनाने का काम किया जा रहा है।इस दंपति की इस पहल से सालाना लगभग ₹12000 की बचत दंपति को होती है साथ ही खेती में भी रासायनिक खाद्य के स्थान पर प्राकृतिक खाद्य का प्रयोग किया जाता है।ऐसे में खेतों के उत्पादन क्षमता बढ़ती है साथ ही फसल से किसी को भी नुकसान नहीं पहुंचता है। सोशल मीडिया जानकारी के लिए एक अच्छा प्लेटफार्म है।हालांकि कुछ शरारती तत्व इस प्लेटफार्म का गलत दुरुपयोग करते हैं वहीं कुछ लोग इस प्लेटफार्म का ऐसा इस्तेमाल करते हैं जो की मिसाल बन जाता है।
पति ने दिया सुझाव तो पत्नी ने किया कुछ ऐसा कि हो रही सालाना हज़ारो की बचत, जाने क्या है मामला
महिला ने वीडियो देख बनाया प्लांट
हरदोई जनपद के पिहानी ब्लॉक के गांव कुंवरपुर बसीठ के रहने वाली शैली राघव द्विवेदी ने अपने घर पर गोबर गैस प्लांट बनाकर उससे निकलने वाली बायोगैस का प्रयोग करना शुरू कर दिया है।शैली राघव द्विवेदी बायोगैस से घर के खाने पीने के काम निपटाती हैं। शैली बताती है किस साल में लगभग ₹12000 तक की बचत उनको हो जाती है और कभी भी गैस की कमी नहीं होती है।शैली बताती है कि उन्होंने एलपीजी गैस सिलेंडर को लेना बीते 2 सालों से बंद कर दिया है।2 सालों से वह बायोगैस का ही प्रयोग कर रही हैं। शैली राघव द्विवेदी ने बताया कि उनके पति ने इस बाबत उन्हें सुझाव दिया था उनके पति ने कहा था कि घर में गाय तो पाली ही रखी है क्यों ना गोबर का इस्तेमाल कर एक बायोगैस प्लांट लगा दिया जाए।इस पर शैली ने सोशल मीडिया की मदद ली और अपने घर के प्रांगण में बायोगैस प्लांट बनाने का तरीका जाना और स्वयं घर के प्रांगण में बायोगैस प्लांट बनकर तैयार कर दिया।शैली ने बताया कि बायोगैस प्लांट से गैस तो मिलती ही है साथ ही इससे निकलने वाली सैलरी खेतों के लिए गोबर खाद भी मिल जाती है। इससे खेतों में छिड़काव हो जाता है और खेतों में रासायनिक छिड़काव की आवश्यकता नहीं पड़ती है।