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HC ने कहा- NHRC के आदेश पर पुलिसकर्मियों के वेतन से वसूली नहीं की जा सकती
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने सोमवार (30 जनवरी) को कहा है कि राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) के आदेश पर प्रदेश सरकार पुलिस अधिकारियों के वेतन से वसूली नहीं कर सकती।

इलाहाबाद: इलाहाबाद हाई कोर्ट ने सोमवार (30 जनवरी) को कहा है कि राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) के आदेश पर प्रदेश सरकार पुलिस अधिकारियों के वेतन से वसूली नहीं कर सकती।
मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम की धारा 16 के तहत आयोग इस प्रकार का आदेश नहीं दे सकता है। कोर्ट ने वसूली आदेश पर रोक लगाते हुए प्रदेश सरकार, आयोग और एसएसपी बिजनौर से जवाब मांगा है। यह आदेश जस्टिस बी.अमित स्थालेकर ने दारोगा धर्मपाल सिंह और अन्य की याचिका पर दिया है।
याची के वकील विजय गौतम का कहना था कि किसी भी पुलिस कर्मी के खिलाफ मानवाधिकार आयोग के आदेश के अनुपालन में प्रदेश सरकार उसके वेतन से सीधे वसूली का आदेश जारी नहीं कर सकती।
वकील का यह भी कहना था कि वेतन से वसूली बगैर उत्तर प्रदेश अधीनस्थ अधिकारी (दंड एवं अपील) नियमावली 1991 की धारा 14 (1) की कार्रवाई किए किसी भी पुलिस अधिकारी से वेतन की वसूली का आदेश जारी नहीं हो सकता।
मामले के अनुसार याचीगण के खिलाफ आयोग के आदेश पर प्रदेश सरकार ने 21 अक्टूबर 2016 और एसएसपी बिजनौर ने 27 अक्टूबर 2016 को आदेश जारी कर उनके वेतन से 50 हजार रुपए वसूली का आदेश जारी किया था। उन पर आरोप था कि उन्होंने किरातपुर थाने में तैनाती के दौरान नाबालिग रेप विक्टिम की प्राथमिकी दर्ज नहीं की थी।
अगली स्लाइड में पढ़ें पुलिस विभाग में मृतक आश्रित कोटे के तहत परीक्षा परिणाम पर से रोक हटाने से कोर्ट का इंकार

HC: मृतक आश्रित कोटे के तहत नियुक्ति हेतु परीक्षा परिणाम घोषित करने पर लगी रोक हटाने से इंकार
इलाहाबाद: हाई कोर्ट ने पुलिस विभाग में मृतक आश्रित कोटे के तहत नियुक्ति हेतु आयोजित लिखित परीक्षा का परिणाम घोषित करने पर लगी रोक हटाने से इंकार कर दिया है। सिंगल बेंच के आदेश को चुनौती देने वाली प्रदेश सरकार की अपील कोर्ट ने इस आदेश के साथ खारिज कर दी है। सरकार की विशेष अपील पर जस्टिस ए. पी.शाही और जस्टिस पी.सी.त्रिपाठी की बेंच ने सुनवाई की।
प्रतिपक्षी छाया मिश्रा के वकील के मुताबिक, मृतक आश्रित सेवा नियमावली 1974 की धारा 1 (2) में लिखित परीक्षा का प्रावधान नहीं है। इसके बावजूद पुलिस भर्ती बोर्ड ने 18 सितंबर 2015 को शासनादेश जारी कर मृतक आश्रितों के लिए लिखित परीक्षा का प्रावधान कर दिया।
24 नवंबर 2015 को इसका विज्ञापन जारी कर दिया और 25 जून 2016 को लिखित परीक्षा करा दी गई। शासनादेश और विज्ञापन को हाई कोर्ट में चुनौती दी गई। कोर्ट के सिंगल बेंच ने लिखित परीक्षा का परिणाम जारी करने पर रोक लगा दी।
प्रदेश सरकार ने विशेष अपील दाखिल कर रोक हटाने की मांग की थी। जिसपर बेंच ने अपील खारिज करते हुए प्रदेश सरकार को सिंगल बेंच के समक्ष अपना पक्ष रखने का निर्देश दिया है।
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