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फर्जी लोगों में मुुआवजा बांटने के आरोप पर HC सख्त, हाई पावर कमेटी से जांच के दिए आदेश
लखनऊ: हाईकोर्ट ने गोमतीनगर विस्तार क्षेत्र में द्वितीय गोमती बैराज से लामार्टीनियर तक भूमि रिक्लेम करने हेतु प्रस्तावित रिंग रोड योजना के लिए अधिगृहित की जा रही भूमि का मुआवजा फर्जी लोगों द्वारा सरकारी अफसरों की मिलीभगत से हथिया लेने को गंभीर माना है।
कोर्ट ने राज्य सरकार को दस दिन के भीतर हाई पावर कमेटी बनाकर तीन माह में जांच कराकर 30 जनवरी 2017 को रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया है। कमेटी में स्पेशल सेक्रेटरी रेवेन्यू और एडीशनल लीगल स्तर के अधिकारी होंगे। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यदि इस दौरान किसी को मुआवजा दिया जाता है और वह मुआवजा बाद में वापस रिकवर नहीं हो पाता है तो वह जिम्मेदार अफसर से वसूला जाएगा। कोर्ट ने यह भी कहा कि संबंधित जमीन पर यदि कोई निर्माण किया जाता है तो वह भी कोर्ट के अग्रिम आदेशों के अधीन रहेगा।
यह आदेश जस्टिस सुधीर अग्रवाल व जस्टिस राकेश श्रीवास्तव की बेंच ने हरीश चंद्र वर्मा की ओर से दायर एक पीआईएल पर पारित किया। याचिका पर बहस करते हुए वकील अनु प्रताप सिंह नेें सरकार पर आरेाप लगाया गया कि गोमतीनगर के जियामउ व भीखमपुर गावों की जमीन उक्त बैराज के निर्माण के लिए अधिग्रहीत की जा रही है। इन गांवों की कई एकड़ जमीनें सरकारी रिकार्ड में दर्ज थी परंतु कागजातों में हेराफेरी कर उन जमीनों का भारी मुआवजा लिया जा रहा है। इसमें सरकारी अफसर भी मिले हुए हैं।
याचिका में मजाहर अली खान पर सीधे आरोप लगाये गए हैं कि है वह सरकारी जमीनों का लाखों का मुआवजा अफसरों से मिलकर हड़प रहे हैं। मामले की सीबीआई जांच की मांग की गई है।
कोर्ट ने सारे तथ्यों पर गौर करने पर पाया कि उक्त विवादित जमीनों का मुआवजा बांटा जा रहा है। यहां तक कि याचिका दाखिल होने के बाद मुआवजा बांटने का काम और तेज कर दिया गया है। कोर्ट ने कहा कि मुआवजा देने के पहले अफसरों ने कोई जांच या छानबीन नहीं कराई और खान को विवादित जमीनों का मुआवजा लगातार दिया जा रहा है जबकि ये जमीनें गोमती नदी का जलमग्न क्षेत्र के रूप में दर्ज बताई जाती है।
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