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बेबस परिवार की गुहार: योगी जी अब बस आपका सहारा, बचा लो मेरी बिटिया की जान
शहर में एक 11 महीने की मासूम शिवान्या के दिल में छेद है। उसके गरीब मां-बाप के पास इतने पैसे नहीं कि वह उसका इलाज करा सकें।
कानपुर: शहर में एक 11 महीने की मासूम शिवान्या के दिल में छेद है। उसके गरीब मां-बाप के पास इतने पैसे नहीं कि वह उसका इलाज करा सकें। स्थानीय विधायक से लेकर लखनऊ में सीएम योगी के दरबार से खाली हाथ लौटने के बाद अब बीमार बच्ची के बेबस मां-बाप भगवान के साथ-साथ प्रदेश के मुखिया योगी आदित्यनाथ की फोटो के आगे पूजा आरती कर मदद की गुहार कर लगा रहे हैं।
क्या है मामला ?
कानपुर शहर के बर्रा आठ इलाके में रहने वाले अजय गुप्ता की आर्थिक स्थिति बहुत ही खराब है। अजय किसी तरह पानी के बताशे का ठेला लगाकर अपने परिवार का पालन पोषण करते हैं। परिवार में अजय की पत्नी सीमा और तीन बच्चे हैं। जिसमें उनका 11 साल का बेटा हिमांशु और 8 साल की बेटी कोमल और 11 महीने की सबसे छोटी बेटी शिवान्या है।
थोड़े से पैसों से 2 जून की रोटी के साथ अजय अपने 2 बच्चों को स्कूल भी भेजते थे, पर छोटी बेटी शिवान्या की गंभीर बिमारी के बाद घर की स्थिति और बिगड़ गई यी। किराये के घर में न तो पानी की कोई व्यवस्था है और न ही बिजली है। अब बच्चों की पढाई भी छूट गई क्योंकि छोटी बेटी शिवान्या के दिल में छेद है और उसके दिमाग की नसें भी सिकुड़ गई हैं।
बीजेपी विधायक का शर्मनाक बयान
स्थानीय डॉक्टर्स के पास पीड़ित मां-बाप किसी तरह कर्ज लेकर गए और उसका इलाज करा रहे थे। पैसों की कमी के चलते आगे का इलाज नहीं हो पा रहा था। जिसके बाद मां-बाप किदवई नगर के बीजेपी विधायक के पास बेटी की जिंदगी के लिए मदद मांगने गए।
विधायक ने मदद की बजाए शर्मनाक जवाब दे दिया कि अभी हम नए विधायक बने हैं अभी मदद नहीं कर सकते। यहां से मदद न मिलने के बाद दुखी मां-बाप यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ के दरबार भी गए पर वहां से भी उन्हें खाली हाथ ही लौटना पड़ा।
क्या कहती हैं मां ?
पड़ोसियों की मदद से पीड़ित परिवार का पेट तो भर जा रहा है, पर मासूम की बिमारी नहीं ठीक हो पा रही है। पीड़ित बच्ची की मां का रो-रो कर बुरा हाल है। मां सीमा ने बताया कि अब जिंदगी कट नही रही। आंखों के सामने अपने कलेजे के टुकड़े को तिल-तिल मरता हुआ नहीं देख सकते। अब ईश्वर की पूजा और सीएम योगी से मदद की ही आस बची है।
क्या कहना है पिता का ?
मासूम बच्ची के पिता अजय बताते हैं कि पहले से ही घर का गुजारा नहीं हो पा रहा था। अब बेटी की बीमारी से हिम्मत टूट गई है। बिमारी के इलाज के लिए कई लोगों से कर्ज भी ले रखा है। अभी इलाज के लिए और पैसों की जरुरत है। कहीं से कोई भी आशा की किरण नहीं दिखाई दे रही है। अपनी बच्ची को पैसों की कमी के चलते मरता नही देख सकता।
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