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इलाहाबाद को प्रयागराज करने की वैधता को चुनौती याचिका
प्रयागराज : इलाहाबाद का नाम बदलकर प्रयागराज करने के राज्य सरकार के फैसले की वैधता की चुनौती में इलाहाबाद उच्च न्यायालय में
अधिवक्ता सुनीता शर्मा ने जनहित याचिका दाखिल की है। याचिका में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को भी पक्षकार बनाया गया
है। याची अधिवक्ता विजय चन्द्र श्रीवास्तव ने बताया कि इला के नाम से इलावास बसाया गया था, जिसे बाद में इलाहाबाद कहा जाने लगा। लोग सैकड़ों साल से प्रयाग को इलाहाबाद के नाम से जानते हैं। याचिका में अर्द्धकुम्भ को कुम्भ घोषित करने पर भी आपत्ति की गयी है। याचिका में 18 अक्टूबर 2018 को जारी राज्य सरकार के इलाहाबाद का नाम प्रयागराज घोषित करने की वैधता को चुनौती दी गयी है।
एसपी मिर्जापुर प्रगति रिपोर्ट के साथ तलब
इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने एसपी मिर्जापुर को प्रगति रिपोर्ट के साथ तीस अक्टूबर को हाजिर होने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने इससे पहले विवेचनाधिकारी को तलब किया था। स्माल पॉक्स होने के कारण दरोगा राकेश कुमार वर्मा हाजिर हुए किन्तु याचिका से संबंधित उन्हें कोई जानकारी नहीं थी। कोर्ट ने विपक्षियों को नोटिस जारी की है। यह आदेश न्यायमूर्ति नीरज तिवारी ने अंजनी उर्फ अंजली व अन्य की
याचिका पर दिया है। कोर्ट ने बन्दी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर दर्ज प्राथमिकी की विवेचना की प्रगति रिपोर्ट मांगी थी और तलब किया था।
रिहायशी कालोनी में व्यावसायिक गतिविधियों पर जवाब तलब एसएसपी से यातायात व्यवस्था पर कार्यवाही रिपोर्ट तलब
इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने गाजियाबाद की रिहायशी कालोनी इंदिरापुरम् में व्यावसायिक दुकानों को सीज करने की मांग में दाखिल जनहित याचिका पर गाजियाबाद विकास प्राधिकरण व अन्य विपक्षियों से जवाब मांगा है। इसके साथ एसएसपी गाजियाबाद को यातायात व्यवस्था सुचारू करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने एसएसपी से कहा है कि वह एसपी रैंक के अधिकारी की अध्यक्षता में एक टीम गठित करे जो क्षेत्र की यातायात समस्या की निगरानी करते हुए समस्या का निराकरण करे। कोर्ट ने यातायात व्यवस्था दुरूस्त करने के उठाये गये कदमों की रिपोर्ट तलब की है। याचिका की सुनवाई 14 नवम्बर को होगी। यह आदेश कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश गोविन्द माथुर तथा
न्यायमूर्ति सीडी सिंह की खण्डपीठ ने फेडरेशन ऑफ अपार्टमेंट ओनर्स एसोसिएशन इंदिरापुरम् की जनहित याचिका पर दिया है। याची का कहना है कि रिहायशी कालोनी में व्यावसायिक कारोबार नहीं किये जा सकते। यह कानून के विपरीत है। अवैध व्यवसाय से क्षेत्र की शांति भंग होती है। याची संस्था की शिकायत पर जीडीए ने 1494 दुकानों व व्यावसायिक संस्थानों को व्यावसायिक कार्य बंद करने की नोटिस भी दी है। किन्तु कोई ठोस कार्यवाही नहीं की गयी। एरिया में पार्किंग व्यवस्था न होने से आए दिन टैफिक जाम रहता है। रिहायशी कालोनी के लोगों को भारी परेशानी उठानी पड़ती है।
बार एसोसिएशन के पूर्व उपाध्यक्ष ने भारत के मुख्य न्यायाधीश को दिये सुझाव
इलाहाबाद हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के पूर्व उपाध्यक्ष एसके गर्ग ने मुकदमों के त्वरित निस्तारण के भारत के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई के प्रयासों की सराहना करते हुए कई सुझाव दिए हैं। उनका कहना है कि सुप्रीम कोर्ट व हाईकोर्ट के ग्रीष्मकालीन, शीतकालीन सहित अन्य अनावश्यक अवकाशों में कटौती की जाए। अभी सुप्रीम कोर्ट ने 180 दिन व हाईकोर्ट में 210 दिन साल में काम होता है। इस समय को बढ़ाकर क्रमशः 225 और 300 दिन किए जाने की मांग की है। गर्ग ने कहा कि दो की बजाय साल में न्यायमूर्तियों को केवल एक एलटीसी ही दी जाए। कार्य अवधि 10 से 4 बजे तक ही रहे। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का उल्लंघन करने पर पुलिस को स्वतः दंडात्मक कार्रवाई का अधिकार भी दिया जाए।
भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण ने नियुक्त किया नोडल अधिकारी
भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में प्राधिकरण के खिलाफ दाखिल होने वाली याचिकाओं के पैनल अधिवक्ताओं में समान रूप से वितरण के लिए इलाहाबाद में एक नोडल अधिकारी नियुक्त किया है। वही प्राधिकरण की तरफ से मुकदमों के नोटिस प्राप्त
करेंगे। प्राधिकरण के क्षेत्रीय अधिकारी राजीव अग्रवाल ने कई पैनल अधिवक्ताओं द्वारा सीधे नोटिस लेकर परियोजना निदेशकों स्व वकालतनामा लेकर बहस करने व कुछ ही वकीलों को केसों के आवंटन की शिकायतों को देखते हुए यह आदेश जारी किया है। परियोजना निदेशकों पर अपने चहेते वकीलों को ही केस आवंटित करने का आरोप लगाया गया था । प्राधिकरण ने सभी परियोजना निदेशकों को निर्देश
दिया है कि नोडल अधिकारी से संपर्क करें। साथ ही वित्त विभाग को भी ऐसे वकीलों का भुगतान रोकने को कहा गया है जो, बिना आवंटन के बहस कर बिल भेज रहे हैं। नोडल अधिकारी के अनुमोदन व केस आवंटन से ही अधिवक्ताओं को बहस का अधिकार दिया गया है।
सोसाइटी में पैसे लगाने के बाद वापसी न करने पर दर्ज केस के खिलाफ याचिका
इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने एवीए बिल्डर्स गाजियाबाद व शेयर होल्डर अंजुला नागपाल के बीच शेयर भुगतान विवाद को लेकर अधीनस्थ न्यायालय में चल रहे आपराधिक मुकदमे की वैधता के खिलाफ याचिका पर सुनवाई के लिए 30 अक्टूबर की तारीख तय की है।
यह आदेश न्यायमूर्ति अरविंद कुमार मिश्र ने रामऔतार व तीन अन्य आरोपियों की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया है। कोर्ट में यह बहस की गई कि विवाद शेयर भुगतान को लेकर सिविल प्रकृति का है। एफ आई आर के आरोपों के आधार पर आरोपियों को सजा नहीं हो सकती। कोर्ट ने इस तर्क को नहीं माना। इस पर याची अधिवक्ता ने बहस के लिए अतिरिक्त समय मांगा। इसे देखते हुए कोर्ट ने सुनवाई स्थगित करते हुए अगली तिथि 30 अक्टूबर तय की है। मालूम हो कि एवीए बिल्डर्स ने 2006 में अंजुला नागपाल से करोड़ों रूपये लेकर भागीदारी में सोसाइटी का गठन किया और नागपाल को 25 फीसदी हिस्से का भुगतान किया जाना था। लेकिन बिल्डर भुगतान नहीं किया । जिस पर
बिल्डर फर्म के निदेशकों के खिलाफ एफ आई आर दर्ज हुई। पुलिस ने इसे शेयर विवाद मान फाइनल रिपोर्ट लगा दी। विपक्षी के प्रोटेस्ट पर कोर्ट ने समन जारी किया है जिसे याचिका में चुनौती दी गई है।
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