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हाईकोर्ट ने LDA से पूछा- पैसे की बर्बादी करने वाले अफसरों के खिलाफ क्या हुई कार्यवाही?
लखनऊ: लखनऊ विकास प्राधिकरण (एलडीए) ने कानपुर रोड के पास देवपुर पारा में करोड़ों खर्च कर पहले आवास बनाए फिर पता चला कि इन आवासों में तो टॉयलेट और किचन जैसी बुनियादी सुविधाएं ही नहीं, तो इन्हें ढहा दिया।
मामला संज्ञान में आने पर अब हाईकोर्ट ने एलडीए से पूछा है कि इसमें हुए पैसों की बर्बादी का जिम्मेदार कौन है? कोर्ट ने यह भी बताने के आदेश दिए हैं कि क्या दोषियों के खिलाफ कोई प्रभावी कार्रवाई की गई। यह आदेश जस्टिस सुधीर अग्रवाल और जस्टिस वीरेंद्र कुमार (द्वितीय) की खंडपीठ ने एक जनहित याचिका पर दिया।
ये है मामला
याची के अनुसार वर्ष 2000 में एलडीए ने देवपुर पारा में आश्रयहीन लोगों के लिए 1968 आवास बनाए थे। लेकिन इन आवासों में टॉयलेट और किचन जैसी बुनियादी सुविधाएं भी नहीं थीं। इन आवासों के निर्माण कार्य में तमाम अनियमितताएं बरती गईं। परिणामस्वरूप ये 10 वर्ष में ही जर्जर होने लगे। याची ने आरोप लगाया है कि जांच से बचने के लिए इन आवासों को ढहा दिया गया।
एलडीए ने मानी गलती
मामले की सुनवाई के दौरान एलडीए की ओर से आवासों में टॉयलेट और किचन न होने की बात को स्वीकार किया गया।
कोर्ट ने पूछा- इस बर्बादी का जिम्मेदार कौन?
इस पर कोर्ट ने पूछा कि जनता के पैसों की इतनी बड़ी बर्बादी का जिम्मेदार कौन है? कोर्ट ने मामले की अग्रिम सुनवाई जुलाई के पहले सप्ताह में करने का निर्देश देते हुए प्रमुख सचिव आवास और एलडीए वीसी को आदेश दिया है कि यदि इस मामले में दोषियों के खिलाफ सिविल, विभागीय या आपराधिक कोई कार्रवाई नहीं हुई है तो वे हलफनामा दाखिल कर इसका कारण बताएं।
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