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किसानों और बिल्डरों के बीच जमीन खरीद-फरोख्त संबंधी करार पर हाईकोर्ट नहीं कर सकता हस्तक्षेप
इलाहाबाद: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि संविदा अधिकार को अनुच्छेद 226 के तहत लागू नहीं कराया जा सकता। ऐसे में किसानों और बिल्डर कंपनी के बीच जमीन खरीदने के करार को लेकर कोर्ट राहत नहीं दे सकती। कोर्ट ने कंपनी द्वारा गौतमबुद्ध नगर के किसानों की जमीन लेने के मामले में गजराज सिंह केस के तहत बढ़ा हुआ मुआवजा व प्लॉट देने का समादेश जारी करने से इंकार कर दिया है।
ये आदेश न्यायमूर्ति वीके शुक्ला तथा न्यायमूर्ति अशोेक कुमार की खंड पीठ ने अटारीदेवी सहित सैकड़ों अन्य किसानों की याचिका को खारिज करते हुए दिया है।
ये है मामला
याचिका के अनुसार गौतमबुद्ध नगर के दुजाना, कछेरा, कछेरा वर्साबाद, दुरीपाई और हाथीपुर खेरा गांव के किसानों की जमीन मेसर्स हाईटेक डेवलपमेंट प्रा.लि. कंपनी ने खरीदी। किसानों ने कंपनी के पक्ष मे बैनामा भी कर दिया। किसानों का कहना है कि उनकी जमीन काफी कम कीमत पर ली गई है। किसानों से 850 रुपए प्रति वर्ग गज जमीन ली गई और 1,200 रुपए प्रति वर्ग गज की दर से बेच दिया। याची किसानों का कहना था कि उन्हें भी गजराज सिंह केस के फैसले के तहत 64.7 फीसदी अधिक मुआवजा तथा 70 फीसदी विकसित प्लॉट देने के आदेश का पालन किया जाए।
याचिका को बलहीन माना
कोर्ट ने कहा कि बिल्डर कंपनी और किसानों के बीच जमीन का करार हुआ है। इस प्रक्रिया में अथॉरिटी भी शामिल थी। इस आधार पर कोर्ट प्राइवेट संविदा मामले में हस्तक्षेप नहीं कर सकती। कोर्ट ने कहा, कि पक्षकार कोर्ट के बाहर तय कर सकते हैं। यदि प्रकरण कोर्ट में लाया जाएगा तो वह कानून के मुताबिक फैसला सुनाएगी। कोर्ट ने याचिका को बलहीन मानते हुए हस्तक्षेप से इंकार कर दिया है।
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