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HC: दैनिक कर्मियों के नियमितीकरण में धांधली का आरोप, प्रमुख वन संरक्षक से मांगा ब्यौरा
कोर्ट ने प्रमुख मुख्य वन संरक्षक से पूछा है कि नियमित किए गए इन कर्मियों की नियुक्ति तिथि क्या है और उन्होंने कितने समय तक काम किया है। कोर्ट ने कर्मियों की न्यूनतम अर्हता का भी ब्योरा मांगा है। कोर्ट ने यह भी पूछा है कि दैनिक कर्मी स्थायी या अस्थायी, किस तरह के पद पर कार्यरत थे।
इलाहाबाद: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने वन विभाग में नियमित किये गये 4,571 दैनिक कर्मियों का ब्योरा मांगा है। कोर्ट ने प्रदेश के प्रमुख वन संरक्षक से 70 डिवीजनों में इस नियमितीकरण के ब्यौरे के साथ व्यक्तिगत हलफनामा भी मांगा है। कोर्ट ने पूछा है कि क्या इन्हें नियमित किए जाने के समय नियमितीकरण का नियम लागू था और क्या ये न्यूनतम अर्हता रखते थे।
नियमितीकरण पर सवाल
-कोर्ट ने प्रमुख वन संरक्षक से पूछा है कि नियमित किए गए इन कर्मियों की नियुक्ति तिथि क्या है और इन्होंने कितने समय तक काम किया है।
-कोर्ट ने इनके नियमितीकरण के समय इससे संबंधित नियम और कर्मियों की न्यूनतम अर्हता का भी ब्योरा मांगा है।
-कोर्ट ने यह भी पूछा है कि दैनिक कर्मी स्थायी या अस्थायी, किस तरह के पद पर कार्यरत थे।
-हाईकोर्ट ने नियमितीकरण कमेटी की बैठक का मिनट और वरिष्ठता सूची भी मांगी है।
-प्रमुख वन संरक्षक से कोर्ट ने 9 जनवरी 2017 तक जवाब देने को कहा है।
-यह आदेश न्यायमूर्ति सुनीता अग्रवाल ने चन्द्रपाल सिंह की याचिका पर दिया है।
मनमानी नियुक्ति का आरोप
-मालूम हो कि पुत्ती लाल केस में सुप्रीम कोर्ट ने दैनिक कर्मियों को नियमित करने का निर्देश दिया था जिसके बाद ग्रुप सी और डी में कार्यरत दैनिक कर्मियों को नियमित किया गया है।
-2002 से 2016 तक 4571 दैनिक कर्मियों को पद व धन की उपलब्धता पर नियमित किया गया है।
-याची अधिवक्ता का कहना था कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद 2010 में बनी वरिष्ठता सूची की अनेदखी कर मनमानी नियुक्ति की गयी है।
-याचिका में मांग की गई है कि नियमितीकरण में घोटाले की जांच सीबीआई से कराई जाय।
-कोर्ट ने नियमितीकरण का रिकॉर्ड मांगा था किन्तु रिकॉर्ड भारी होने के कारण पेश नहीं हो सका।
-नियमितीकरण में अनियमितता की शिकायत पर कोर्ट ने अब 70 डिवीजनों के नियमित हुए कर्मियों का विस्तृत ब्यौरा मांगा है।
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