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कुम्भ के दौरान चमड़ा उद्योग फैक्ट्रियां गंगा में नहीं गिरायेंगी गंदा पानी: कोर्ट
कोर्ट ने मामले की सुनवायी 4 जनवरी को नियत करते हुए राज्य सरकार केा इस प्रकरण में पूरी बात रखने का आदेश दिया है। यह आदेश जस्टिस रितुराज अवस्थी व जस्टिस राजीव सिंह की बेंच ने देां अलग अलग फैक्ट्रियों की याचिकाओं पर सुनवायी करते पारित किया। शीतकालीन अवकाश के चलते चीफ जस्टिस ने प्रकरण को सुनने के लिए उपरेाक्त विशेष पीठ का गठन किया था।
लखनऊ: इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने कानपुर व उन्नाव में चमड़े की फैक्ट्रियों केा कुम्भ के दौरान इस शर्त के साथ चलाने की अंतरिम अनुमति दे दी है कि ये फैक्ट्रियां गंगा में किसी प्रकार का अपशिष्ट पानी नहीं गिरायेंगी। सरकार ने कुम्भ के दौरान गंगा नदी की सफायी के मददेनजर इन फैक्ट्रियों को तीन महीने के लिए बंद करने के आदेश दे दिये थे।
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कोर्ट ने कहा कि याची फैक्ट्रियों को निर्बाध काम करने की इजाजत दी जाती है किन्तु वे गंगा में सीधे या किसी ऐसे नाले में फैक्ट्री का गंदा पानी नहीं गिरायेगी तो कि सीधे गंगा में खुलते हेा। कोर्ट ने मामले की सुनवायी 4 जनवरी को नियत करते हुए राज्य सरकार केा इस प्रकरण में पूरी बात रखने का आदेश दिया है। यह आदेश जस्टिस रितुराज अवस्थी व जस्टिस राजीव सिंह की बेंच ने देां अलग अलग फैक्ट्रियों की याचिकाओं पर सुनवायी करते पारित किया। शीतकालीन अवकाश के चलते चीफ जस्टिस ने प्रकरण को सुनने के लिए उपरेाक्त विशेष पीठ का गठन किया था।
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याचियों की ओर से कहा गया था कि प्रयागराज मेें हेाने वाले कुम्भ मेले के चलते राज्य सरकार के निर्देश पर यूपी प्रदूषण नियंत्रण बेार्ड ने गत 26 नवंबर को एक आदेश जारी करके 15 दिसम्बर 2018 से 15 मार्च 2019 के बीच तीन माह के लिए कानपुर व उन्नाव की सभी चमड़ा फैक्ट्रियों व उद्योगों केा बंद करने का आदेश दिया है। याचियेां ने बोर्ड के उक्त आदेश केा रद करने की मांग करते हुए कहा कि तीन माह उद्योग बंद होने से करीब बीस हजार लोग बेरोजगार हो जायेगें। कहा गया कि उनकी ओर से प्रस्ताव दिया गया था कि तीन माह के दौरान उनकी फैक्ट्रियों का गंदा पानी गंगा में न गिराकर अस्थायी तौर पर कहीं और गिराया जायेगा परंतु उस प्रस्ताव पर विचार ही नहीं किया गया।
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यह भी कहा गया कि चमड़ा उद्योग से काफी विदेशी मुद्रा अर्जित होती है जिसका नुकसान सरकार को उठाना पड़ेगा। यह भी कहा गया कि फैक्ट्रियां बंद होने से विदेशी व देशी कम्पनियेां से लिये गये ठेके भी पूरे नही हो पायेगें जिससे उन्हें बड़ा नुकसान होगा। वहीं यूपी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर से कहा गया कि सरकार के केवल एक मंतव्य है कि कुम्भ के दौरान गंगा का जल साफ व पीने योग्य बना रहे जिससे लेागों को कोई नुकसान न होने पाये।
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