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HC का आदेश- संविदाकर्मियों की मैटरनिटी लीव पर 3 महीने में नीतिगत निर्णय ले सरकार
इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने शनिवार (22 अप्रैल) को राज्य सरकार को प्राथमिक शिक्षा विभाग की महिला संविदाकर्मियों के मातृत्व अवकाश के लिए तीन महीने में नीतिगत निर्णय लेने का आदेश दिया है।
लखनऊ: इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने शनिवार (22 अप्रैल) को राज्य सरकार को प्राथमिक शिक्षा विभाग की महिला संविदाकर्मियों के मातृत्व अवकाश के लिए तीन महीने में नीतिगत निर्णय लेने का आदेश दिया है। एक याचिका दायर कर कोर्ट के समक्ष फरियाद की गई थी कि मातृत्व अवकाश की अवधि का मानदेय दिए जाने से प्राथमिक शिक्षा विभाग की ओर से इनकार कर दिया गया है।
यह आदेश जस्टिस राजन रॉय की एकल सदस्यीय पीठ ने गीता देवी की याचिका पर दिया। याचिका में कहा गया था कि याची ने 180 दिन का मातृत्व अवकाश लिया था, लेकिन अब विभाग उसे अवकाश की अवधि का मानदेय दिए जाने से इंकार कर रहा है। याची की ओर से 30 अगस्त 2013 के एक शासनादेश का हवाला दिया गया जिसके अनुसार संविदाकर्मी भी मातृत्व अवकाश के उसी प्रकार हकदार हैं जिस प्रकार सरकारी कर्मचारी।
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कोर्ट ने राज्य सरकार को दिए अपने निर्णय में कहा कि एक व्यक्तिगत मामले में निर्णय लिए जाने के बजाए उचित होगा कि सरकार सभी संविदाकर्मियों के मातृत्व अवकाश के सम्बन्ध में नीतिगत निर्णय ले। कोर्ट ने कुसुमा देवी मामले का जिक्र भी किया, जिसमें पूर्व में भी सरकार को प्राथमिक शिक्षा विभाग के ही एक ऐसे ही मामले में 17 नवंबर 2016 को आदेश दिया जा चुका है कि इस संबंध में स्पष्ट नीति बनाई जाए।
कोर्ट ने कहा कि ऐसे में राज्य सरकार तीन महीने के अंदर इस संबंध में नीतिगत निर्णय लें। वहीं याची के मामले में कोर्ट ने प्रमुख सचिव प्राथमिक शिक्षा को आदेश दिया कि उक्त शासनादेश और संबंधित प्रावधानों को दृष्टिगत रखते हुए याची के मातृत्व अवकाश की अवधि के मानदेय को दिलाया जाना सुनिश्चित किया जाए।
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