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हाईकोर्ट ने दुधवा में महिला सुरक्षाकर्मियों की जताई आवश्यकता
इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने दुधवा नेशनल पार्क में महिला सुरक्षाकर्मियों की तैनाती की आवश्यकता पर बल देते हुए कि केंद्र व राज्य सरकार से अपेक्षा की है कि दोनों सरकारें इस वन्य क्षेत्र में महिला सुरक्षाकर्मियों की तैनाती करेंगी।
लखनऊ: इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने दुधवा नेशनल पार्क में महिला सुरक्षाकर्मियों की तैनाती की आवश्यकता पर बल देते हुए कि केंद्र व राज्य सरकार से अपेक्षा की है कि दोनों सरकारें इस वन्य क्षेत्र में महिला सुरक्षाकर्मियों की तैनाती करेंगी। कोर्ट ने कहा कि इससे कानून व्यवस्था व आपराधिक गतिविधियों को प्रभावी ढंग से संभाला जा सकता है।
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यह आदेश जस्टिस एआर मसूदी की बेंच ने प्रेम सिंह नाम के व्यक्ति की जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान दिया। कोर्ट ने मामले की सुनवाई के दौरान दुधवा नेशनल पार्क में बड़े पैमाने पर हो रही घुसपैठ को गम्भीरता से लेते हुए वहां की सुरक्षा के लिए इंडो-नेपाल बॉर्डर पर तैनात एसएसबी (सीमा सुरक्षा बल) की मदद लेने के बावत जवाब मांगा था।
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इस पर राज्य सरकार की ओर से बताया गया है कि बॉर्डर पर तैनात एसएसबी 15 किलोमीटर अंदर तक मूवमेंट कर सकती है व एसएसबी की ओर से यह भी भरोसा दिया गया है कि वन विभाग की ओर से वन सम्पत्ति की सुरक्षा के लिए जब भी जरूरत होगी तुरंत मदद की जाएगी।
वहीं जमानत याचिका पर सुनवायी के दौरान ही कोर्ट ने वन्य क्षेत्र की सुरक्षा के लिए महिला सुरक्षाकर्मियों की तैनाती की आवश्यकता पर बल देते हुए राज्य व केंद्र सरकार से महिला सुरक्षाकर्मियों की तैनाती की उम्मीद जताई। जिस पर केंद्र सरकार की ओर से इस सम्बंध में जवाब देने के लिए एक दिन का समय दिए जाने की मांग की। कोर्ट ने वन क्षेत्र में रहने वाले जनजाति समूह के लोगों के व्यक्तिगत स्वतंत्रता का भी ध्यान रखने को कहा है। मामले की अगली सुनवाई के लिए 19 दिसम्बर को होगी।
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