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हाईकोर्ट ने अवमानना केस में महाधिवक्ता राघवेंद्र सिंह को किया तलब
लखनऊ: इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने प्रदेश के महाधिवक्ता राघवेंद्र सिंह के अवमानना के एक मामले में 13 सितम्बर को आरेप तय करने के लिए व्यक्तिगत रूप से तलब किया है। राघवेंद्र सिंह ने इलाहाबाद एवं लखनऊ में महाधिवक्ता कार्यालय में तैनात 26 कर्मचारियें को गत दिसम्बर में सेवा से हटा दिया था। जिस पर कोर्ट ने 7 फरवरी को स्थगन दे दिया था। आरोप है कि इसके बाद भी इन कर्मचारियों को सेवा में वापस नहीं लिया जा रहा है। जिससे क्षुब्ध होकर के कर्मचारियों ने अवमानना याचिका दायर की थी। जिस पर कोर्ट ने महाधिवक्ता को तलब कर लिया है।
कोर्ट ने महाधिवक्ता को आरेप तय होने से बचने के लिए अगली सुनवाई से पूर्व गत 7 फरवरी के अंतरिम आदेश को खारिज करवाने का मौका दिया है। सिंह पहले भी कई बार अपने आचरण एवं बहस से कोर्ट के कोप का भाजन बन राज्य सरकार की किरकिरी करा चुके हैं।
दरअसल 21 एवं 22 दिसम्बर 2017 को महाधिवक्ता के आदेश से उनके कार्यालय में कार्यरत 26 कर्मचारियों को यह कहते हुए हटा दिया गया था कि उनकी नियुक्ति नियम विरूद्ध एवं अवैध थी। कर्मचारियों ने अलग-अलग याचिकायें दायर कर महाधिवक्ता के आदेश को चुनौती दी थी। इस पर कोर्ट ने महाधिवक्ता के आदेश के स्टे कर दिया था। आदेश न मानने पर कर्मचारियों राबिन श्रीवास्तव एवं विकास मिश्रा ने कोर्ट में 21 मई 2018 के अवमानना याचिका दायर कर दी। कोर्ट ने इस पर 17 जुलाई 2018 के महाधिवक्ता से कहा कि उन्हें 7 फरवरी 2018 के अंतरिम आदेश का पालन करना होगा अन्यथा वे इस अंतरिम आदेश को खारिज करवायें। कोर्ट ने उनको स्पष्ट निर्देश दिया था कि 7 फरवरी 2018 के अंतरिम आदेश का अनुपालन किया जाये। कोर्ट अन्यथा अग्रिम कार्यवाही को बाध्य होगी।
14 अगस्त को सुनवाई के समय महाधिवक्ता की ओर से अपर महाधिवक्ता एम एम पांडे ने दलील दी कि 7 फरवरी के अंतरिम आदेश के खारिज करने की अर्जी डाल दी गयी है। इस पर जस्टिस ए आर मसूदी ने कहा कि अर्जी डालने मात्र से अंतरिम आदेश रद नहीं हो जाता है अपितु वह बाध्यकारी बना रहता है। कोर्ट ने पाया कि उक्त अर्जी पर शीघ्र सुनवायी के लिए कोई खास प्रयास नहीं किया गया।
बतातें चलें कि महाधिवक्ता अदालतें से टकराव एवं सरकारी वकीलों की नियुक्तियें में हुई कथित अनियमितताओं को लेकर खासे चर्चा में रहते रहे हैं। एक मामले में जस्टिस रमेश सिन्हा की अध्यक्षता वाली बेंच के बुलाने पर केर्ट में पहुंच कर दलील देने से मना करने पर प्रकरण सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया था। जहां महाधिवक्ता को माफी मांगनी पड़ी थी। तो पिछले दिनें उन्नाव रेप केस में चीफ जस्टिस दिलीब बाबा साहेब भेंसले की अध्यक्षता वाली बेंच के समझ महाधिवक्ता के बयान ने राज्य सरकार के सामने असहज स्थिति पैदा कर दी थी।
कोर्ट की अन्य खबरें:
जीवित व्यक्ति का पुतला फूंकना प्रथम दृष्टया अपराध नहीं
इलाहाबाद: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि आन्दोलन के दौरान किसी जीवित व्यक्ति का पुतला फूंकना प्रथम दृष्टया अपराध नहीं है, जैसा कि कानून में वर्णित है। यह आदेश न्यायमूर्ति जे.जे.मुनीर ने एसीजेएम जलेसर इटावा के समय चल रही आपराधिक प्रक्रिया पर रोक लगाते हुए दिया है। कोर्ट ने सपा नेता धर्मेन्द्र यादव को नोटिस जारी कर इस मामले में अपना पक्ष रखने का आदेश दिया है। सत्येन्द्र सिंह जादौन और अन्य लोगों ने निचली अदालत में चल रही कार्यवाही को हाईकोर्ट में चुनौती दी है। याचीगण भाजपा कार्यकर्ता हैं, उन लोगों ने तत्कालीन मुख्यमंत्री का पुतला फूंका था। दो नवम्बर 14 को धर्मेन्द्र सिंह यादव ने थाना जलेसर एटा में इसकी प्राथमिकी दर्ज करायी। जिसमें कहा गया कि भाजपा के बीस सदस्यों ने अखिलेश यादव का पुतला फूंका जो यूनाइटेड प्रविंसेज स्पेशल पावर एक्ट 1932 की धारा 6 के तहत दण्डनीय अपराध है। कहा गया कि आरोपियों ने न सिर्फ पुतला फंूका बल्कि नारा लगाते हुए रास्ता अवरूद्ध कर दिया। कोर्ट नेनिचली अदालत में चल रही प्रक्रिया पर रोक लगाते हुए धर्मेन्द्र सिंह यादव को नोटिस जारी किया है। मामले की सुनवाई छह सप्ताह के बाद होगी।
डीआईजी पुलिस मुख्यालय अशोक कुमार को अवमानना नोटिस
इलाहाबाद: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने डीआईजी पुलिस (स्थापना) मुख्यालय इलाहाबाद अशोक कुमार को अवमानना नोटिस जारी की है और कोर्ट आदेश का जान बूझकर पालन न करने का कारण स्पष्ट करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने कहा है कि यदि स्पष्टीकरण तीन हफ्ते में दाखिल नहीं होता तो डीआईजी अगली सुनवाई की तिथि सात सितम्बर को कोर्ट में हाजिर हों। विपक्षी पर याचीगण हेड कांस्टेबल की उपनिरीक्षक पद पर प्रोन्नति की मांग में दाखिल प्रत्यावेदन दो माह में निर्णीत करने के आदेश की अवहेलना करने का आरोप है।
यह आदेश न्यायमूर्ति इरशाद अली ने महेश सिंह व राम दरश की अवमानना याचिकाओं पर दिया है। याचिका पर अधिवक्ता भरत सिंह पाल व मनी योगेश त्रिपाठी ने बहस की। याची का कहना है कि वे विभागीय प्रोन्नति की पात्रता रखते हैं किन्तु उन्हें प्रोन्नति नहीं दी जा रही है। कोर्ट ने डीआईजी को दो माह में प्रत्यावेदन तय करने का आदेश दिया था जिसका पालन न होने पर यह अवमानना याचिका दाखिल की गयी है।
नगरपालिका चेयरमैन के खिलाफ चुनाव याचिका की सुनवाई पर रोक, जवाब तलब
इलाहाबाद: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने नगर पंचायत मुहम्मदाबाद, गोहना जिला मऊ के चेयरमैन के चुनाव के खिलाफ दाखिल चुनाव याचिका की सुनवाई पर रोक लगा दी है और विपक्षी चुनाव को चुनौती देने वाले दीपक से चार हफ्ते में जवाब मांगा है। यह आदेश न्यायमूर्ति एम.सी.त्रिपाठी ने चेयरमैन शकील अहमद की याचिका पर दिया है। याचिका पर अधिवक्ता परवेज इकबाल अंसारी व अमित सक्सेना ने बहस की। मालूम हो कि नगर पंचायत का चुनाव एक दिसम्बर 17 को सम्पन्न हुआ और परिणाम घोषित हुआ। नगर पालिका अधिनियम की धारा 20 के तहत तीस दिन के भीतर चुनाव को चुनौती दी जा सकती है। चुनाव याचिका तय अवधि के बाद दाखिल की गयी। मुन्सरिम की रिपोर्ट को दरकिनार करते हुए याचिका सुनवाई हेतु मंजूर कर ली। याची की आपत्ति भी अस्वीकार कर दी गयी। इस आदेश को चुनौती दी गयी है। चुनाव याचिका एडीजे कोर्ट -2 मऊ की अदालत में विचाराधीन है।
खस्ताहाल स्कूलों का जिलाधिकारी को बीएसए के साथ निरीक्षण कर रिपोर्ट तलब
इलाहाबाद: इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने वाराणसी में प्राइमरी स्कूलों के भवन जर्जर होने से दुर्घटना की आशंका को देखते हुए जिलाधिकारी को दुर्घटना रोकने के तत्काल कदम उठाने का निर्देश दिया है और आदेश दिया है कि जिलाधिकारी वाराणसी, बीएसए को साथ लेकर प्राइमरी स्कूलों का 19 अगस्त को निरीक्षण करें और 21 अगस्त को कोर्ट में रिपोर्ट पेश करे।
इसके साथ ही कोर्ट ने खस्ताहाल स्कूल भवनों को देखते हुए सुरक्षा के कदम उठाने का भी निर्देश दिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति गोविन्द माथुर तथा न्यायमूर्ति सी.डी सिंह की खण्डपीठ ने जन अधिकार मंच की जनहित याचिका पर दिया है। याचियों का कहना है कि उनकी संस्था के सदस्यों ने वाराणसी के 17 प्राइमरी स्कूलों का निरीक्षण किया। कई स्कूलों के भवन ऐसी हालत में पाये गये कि वे कभी भी गिर सकते हैं। कई स्कूल एक कमरे में चल रहे हैं। याचियों का कहना है कि औसानगंज में प्राइमरी स्कूल एक कमरे में चल रहा है। न तो लैब है और न ही शुद्ध पेयजल की व्यवस्था है। भवन कभी भी गिर सकता है। एक कमरे में 70 बच्चे पांच कक्षाएं तीन कमरे में 45 बच्चे तीन अध्यापक पढ़ा रहे हैं। औसानगंज की भी जर्जर हालत है। सोनारपुर, रामघाट, राजघाट, पीली कोठी, मछोधरी, कमला गढ़, कालभैरव, दुर्गाघाट आदि कई जगहों पर स्थित स्कूलों में सुविधाओं का अभाव है। एक या दो कमरों में स्कूल चल रहे हैं। गणेश महल में एक कमरे में 53 बच्चे पढ़ रहे हैं। भवन जर्जर है। जगतगंज 45 बच्चे टीनशेड के नीचे पढ़ते हैं। मैत्री मठ में 50 बच्चे जर्जर भवन में पढ़ रहे हैं। लक्खीघाट पर दो कमरों में 90 बच्चे तीन अध्यापक पढ़ा रहे हैं। एक स्कूल की छत से पत्थर भी गिरा। बिना मूलभूत सुविधाओं के जर्जर भवन में विद्यालय में बच्चों की दुर्घटना होने की संभावना है। कोर्ट ने याचिका को गंभीरता से लिया है। सुनवाई 21 अगस्त को होगी।
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