TRENDING TAGS :
माध्यमिक स्कूलों में प्रधानाचार्य के खाली पदों के भरने की कार्ययोजना तलब
इलाहाबाद: हाईकोर्ट ने अपर मुख्य सचिव से बुधवार को पूछा है कि प्रदेश में कितने राजकीय एवं सरकारी सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालय हैं। उनमें से कितने में प्रधानाचार्य नियुक्त हैं और कितने में कार्यवाहक प्रधानाचार्य कार्यरत हैं। कोर्ट ने यह भी कहा है कि किन कारणों से सरकार वर्षों तक प्रधानाचार्य की नियमित नियुक्ति नहीं कर पा रही है। जबकि उसे पता है कि किस दिन पद खाली होगा। कोर्ट ने कहा है कि सरकार कितने समय में प्रदेश के सभी माध्यमिक विद्यालयों में प्रधानाचार्यो की नियुक्ति कर लेगी। और पद खाली होते ही नियुक्ति करने का तंत्र विकसित कर लिया जायेगा। जिससे पद खाली होते ही नियुक्ति की जा सके।कोर्ट ने अपर मुख्य सचिव से 16 अगस्त तक विस्तृत व्योरे के साथ व्यक्तिगत हलफनामा मांगा है और कहा है कि यदि हलफनामा दाखिल नही करते तो वे स्वयं विभागीय नियमों,निर्देशों के साथ कोर्ट में हाजिर हो।
यह आदेश न्यायमूर्ति एस पी केशरवानी ने श्री यशोदा लाल मिश्र उच्च माध्यमिक स्कूल बडागाव आजमगढ वरिष्ठ सहायक अध्यापक हरिश्चंद्र की याचिका की सुनवाई के दौरान दिया है ।कोर्ट ने प्रबंध समिति के याची को कार्यवाहक प्रधानाचार्य का दायित्व न सौंपने के आदेश पर रोक लगा दी है ।प्रबन्ध समिति वरिष्ठ अध्यापक होने के बावजूद याची को कार्यवाहक प्रधानाचार्य का कार्यभार नही सौप रही हैं।
कोर्ट ने कहा है कि प्रदेश के माध्यमिक विद्यालयों में नियमित प्रधानाचार्यो की नियुक्ति या कार्यवाहक प्रधानाचार्य की नियुक्ति विवाद के चलते शैक्षिक माहौल बिगड़ रहा है और छात्रों के शिक्षा पाने के मूल अधिकारों की पूर्ति नहीं हो पा रहीं हैं ।पद के संघर्ष के चलते पढ़ाने के बजाय वे मुकदमेबाजी में उलझे रहते हैं ।प्रबंधन व् अध्यापक पद को किसी भी प्रकार से हथियाने कि जुगत में जुटे रहते हैं ।सरकार की तरफ से स्थिति सुधारने के लिए ठोस कदम उठाने में देरी से शिक्षा के स्तर में गिरावट आ रही है ।ऐसी स्थिति में कोर्ट मूक दर्शक बनी नहीं रह सकती।कोर्ट ने कहा है कि संविधान के अनुच्छेद 21व21ए के अन्तर्गत छात्रों को मिले शिक्षा के मूल अधिकारों की रक्षा करने का वैधानिक दायित्व सरकार का है।और उसे संरक्षण देने के कदम उठाने चाहिए। सरकार की तरफ से सही प्रयास न होने के कारण स्थिति ठीक नहीं है।
कोर्ट की अन्य खबरें:
प्राथमिक विद्यालय भर्ती में गैर जिले के कैंडीडेट का हित करें सुरक्षित: हाईकोर्ट
इलाहाबाद: हाईकोर्ट ने प्राथमिक विद्यालयों में 12,460 सहायक अध्यापकों की भर्ती में अपने जिले की बजाय किसी दूसरे जिले से आवेदन करने वालों का हित सुरक्षित रखने का निर्देश दिया है।
यह आदेश न्यायमूर्ति एसपी केसरवानी ने अविनाश कुमार, सनी कपूर आदि की याचिकाओं पर दिया है। याचिकाओं के अनुसार अपने की बजाय किसी दूसरे जिले से आवेदन करने वाले याचियों को पहले चरण की काउंसिलिंग में चुने जाने के बावजूद नियुक्ति पत्र नहीं दिया जा रहा है। मामले के तथ्यों के अनुसार दिसंबर 2016 में विज्ञापित भर्ती की गाइडलाइन जनवरी 2017 में जारी हुई। गाइडलाइन के अनुसार जिस जिले से बीटीसी कोर्स किया, उसी जिले से आवेदन करना था। उस जिले में कोई विज्ञापित पद न होने की स्थिति में दूसरे जिले से आवेदन की छूट दी गई थी। याचियों ने मेरठ बीटीसी किया। पद विज्ञापित न होने के कारण रामपुर से आवेदन किया और वहां पहली काउंसिलिंग में चुन लिए गए। इसी दौरान गैर जिले के अभ्यर्थियों के चयन को लेकर लखनऊ खंडपीठ में याचिका हुई तो वहां से गैर जिले के अभ्यर्थियों के चयन पर रोक लग गई। लखनऊ खंडपीठ ने स्पेशल अपील निस्तारित होकर मामला फिर से एकल पीठ के समक्ष भेज दिया गया। इसके बाद रामपुर के बीएसए ने वहां से बीटीसी करने वाले अभ्यर्थियों को नियुक्ति पत्र जारी कर दिए जबकि उनके अंक याचियों से कम हैं। मामले पर अगली सुनवाई 13 अगस्त को होगी।
AI Assistant
Online👋 Welcome!
I'm your AI assistant. Feel free to ask me anything!