फूड प्वाइजनिंग से बीमार हुए थे 19 बच्चे, संस्थान बंद करने की याचिका खारिज

sudhanshu
Published on: 27 July 2018 7:08 PM IST
फूड प्वाइजनिंग से बीमार हुए थे 19 बच्चे, संस्थान बंद करने की याचिका खारिज
X

इलाहाबाद: हाईकोर्ट ने आगरा के दुर्गा बाल सेवा संस्थान को बंद करने के सिटी मजिस्ट्रेट के आदेश के खिलाफ याचिका खारिज कर दी है। पांच जून 18 व 6 जून 18 को संस्थान में 19 बच्चे फूड प्वाइजनिंग से बीमार हो गये थे। बच्चों को बाल कल्याण समिति आगरा के मार्फत परिवार को सौंप दिये गये। इस घटना के बाद बाल संरक्षण कानून की धारा 41 के अन्तर्गत पंजीकृत न होने के कारण सिटी मजिस्ट्रेट ने संस्थान को बंद करने का आदेश दिया जिसकी वैधता को चुनौती दी गयी थी। यह आदेश न्यायमूर्ति शशिकांत गुप्ता तथा न्यायमूर्ति राजीव गुप्ता की खण्डपीठ ने नेहा यादव की याचिका पर दिया है। याचिका पर प्रतिवाद स्थायी अधिवक्ता अनिल पाण्डेय ने किया। इनका कहना था कि अधिनियम के अन्तर्गत संस्थान को पंजीकृत होना अनिवार्य है और याची की संस्था पंजीकृत संस्था नहीं है। बच्चों के रिहायशी संस्थानों का पंजीकरण होना जरूरी है। शर्ताें का पालन न करने पर एक लाख के अर्थदण्ड सहित एक साल की सजा का नियम है। कोर्ट ने हस्तक्षेप से इंकार कर दिया।

कोर्ट की अन्‍य खबरें

कौशांबी के डीएम-एसपी तलब, ईसाइयों को प्रार्थना करने से रोकने का मामला

इलाहाबाद: हाईकोर्ट ने कौशाम्बी के जिलाधिकारी व एसपी को 31 जुलाई को हाजिर होने का निर्देश दिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति गोविन्द माथुर तथा न्यायमूर्ति सी.डी.सिंह की खण्डपीठ ने रोशनलाल व 44 अन्य की जनहित याचिका पर दिया है। याची अधिवक्ता स्वाती अग्रवाल का कहना है कि कौशाम्बी में ईसाइयों को रविवार की प्रार्थना नहीं करने की दी जा रही है। शिकायत के बावजूद जिला प्रशासन प्रार्थना में अवरोध उत्पन्न करने वालों पर कार्यवाही नहीं कर रही है। कोर्ट ने डीएम, एसपी व एसएचओ सरायअकिल से जवाबी हलफनामा मांगा था। हलफनामा दाखिल होने के बाद कोर्ट ने याची अधिवक्ता को प्रत्युत्तर शपथ पत्र दाखिल करने का समय दिया है और दोनों शीर्ष अधिकारियों को तलब कर लिया है।

चेयरमैन पुलिस भर्ती बोर्ड से हलफनामा तलब

इलाहाबाद: उच्च न्यायालय ने मृतक आश्रित कोटे में उप निरीक्षक पद पर नियुक्ति के लिए जाते समय दुर्घटना में घायल अभ्यर्थी को बाद में शारीरिक दक्षता परीक्षा में शामिल करने से इंकार को मनमानापूर्ण करार दिया और कहा कि पुलिस भर्ती बोर्ड से उम्मीद की जाती है कि वह तार्किक व निष्पक्ष तरीके से कार्य करेगी। कोर्ट ने कहा कि जो व्यक्ति दुर्घटना में घायल हो गया हो, पैर की हड्डी टूटी हो, उससे दौड़ में भाग लेने की उम्मीद नहीं की जा सकती। कोर्ट ने कहा कि साक्षात्कार में नया अवसर न देने की शर्त को कानून के रूप में नहीं देखा जा सकता। कोर्ट ने कहा कि दुबारा मौका देने से इंकार के आदेश पर बोर्ड को दो हफ्ते में पुनर्विचार करना चाहिए। कोर्ट ने पुलिस भर्ती बोर्ड के चेयरमैन से व्यक्तिगत हलफनामा मांगा है और विशेष परिस्थिति पर बोर्ड का क्या रूख है। याचिका की सुनवाई नौ अगस्त 2018 को होगी।

यह आदेश न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार मिश्र ने आशिफ अली की याचिका पर दिया है। याचिका पर अधिवक्ता ओम प्रकाश सिंह ने बहस की। मालूम हो कि याची के पिता की सेवा काल में 31 मार्च 2015 को मष्त्यु हो गयी। जब तक पुलिस उपनिरीक्षक की आश्रित कोटे में नियुक्ति प्रक्रिया शुरू नहीं की गयी याची की अर्जी विचाराधीन रही। सात मई 2018 को याची को शारीरिक दक्षता के लिए उपस्थित होने की सूचना दी गयी। दुर्भाग्यवश लखनऊ जाते समय याची दुर्घटनाग्रस्त हो गया, हड्डी टूटने के कारण डाॅक्टर ने आराम करने की सलाह दी। जिला अस्पताल आगरा का मेडिकल प्रमाणपत्र के साथ बोर्ड को सूचित भी कर दिया गया। बोर्ड ने कहा कि टेस्ट नहीं देते तो उन्हें आगे अवसर नहीं दिया जायेगा। टेस्ट में उपस्थित न होने के कारण याची को फेल कर दिया गया और स्वस्थ होने पर टेस्ट के लिए मौका मांगा तो बोर्ड ने अस्वीकार कर दिया। कोर्ट ने कहा कि मानवीय दष्ष्टिकोण अपनाना चाहिए।

sudhanshu

sudhanshu

Next Story

AI Assistant

Online

👋 Welcome!

I'm your AI assistant. Feel free to ask me anything!