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समलैंगिकता: आसमानी मजहब इन रिश्तों की इजाजत नहीं देता-मौलाना मसूदी
उच्चतम न्यायालय द्वारा समलैंगिकता पर अपने पूर्व के निर्णय पर पुन: विचार करने फैसले पर दोनों ही धर्म के धर्मगुरुआें ने आपत्ति दर्ज कराई है। धर्मगुरुओं ने हिंदुस्तानी संस्कृति की दुहाई देते हुए कहा कि समलैंगिता धर्म ही नहीं समाज पर भी कलंक है, इसलिए इस पर लगा प्रतिबंध बरकरा
सहारनपुर: उच्चतम न्यायालय द्वारा समलैंगिकता पर अपने पूर्व के निर्णय पर पुन: विचार करने फैसले पर दोनों ही धर्म के धर्मगुरुआें ने आपत्ति दर्ज कराई है। धर्मगुरुओं ने हिंदुस्तानी संस्कृति की दुहाई देते हुए कहा कि समलैंगिता धर्म ही नहीं समाज पर भी कलंक है, इसलिए इस पर लगा प्रतिबंध बरकरार रहना चाहिए।
प्रख्यात इस्लामिक शिक्षण संस्था दारुल उलूम वक्फ के शेखुल हदीस मौलाना अहमद खिजर मसूदी ने कहा कि इस्लाम मजहब में किसी मर्द का मर्द या औरत का औरत के साथ किसी भी सूरत में निकाह नहीं हो सकता। मौलाना मसूदी ने कहा कि इस्लाम ही नहीं कोई भी आसमानी मजहब इस तरह के रिश्तों की इजाजत नहीं देता। कहा कि इस्लाम मजहब में यह बड़ा गुनाह है और कुरान-ए-करीम में इसकी सजा भी बताई गई है।
श्री त्रिपुर मां बाला सुंदरी देवी मंदिर सेवा ट्रस्ट के अध्यक्ष पंड़ित सतेंद्र शर्मा ने कहा कि समलैंगिक विवाह हिंदू संस्कृति में अमान्य और शास्त्रों के विरुद्ध है। इस लिए वह इस तरह के प्रस्ताव का खुला विरोध करते हैं। उन्होंने कहा कि यूरोपीय कल्चर को हिंदुस्तान में नहीं थोपा जा सकता, प्रत्येक हिंदुस्तानी इसके खिलाफ है। उन्होंने कहा कि हिंदू धर्म के हिसाब से यह अनुचित है जिसका सर्वसमाज को विरोध करना चाहिए।
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