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Mahoba News: जिला पंचायत की संपत्ति पर 46 साल से अवैध कब्ज़ा, कब्जाधारी भेजा गया जेल
Mahoba News: महोबा में जिला पंचायत की संपत्ति पर अवैध कब्जे को हटाने के लिए अब जिला पंचायत ने कब्जा धारी के खिलाफ 3 करोड़ 71 लाख 59 हजार रुपये रिकवरी का नोटिस जारी किया है।
महोबा: जिला पंचायत की संपत्ति पर 46 साल से अवैध कब्ज़ा, बेदखली का नोटिस, 3.7 करोड़ की होगी रिकवरी
Mahoba News: महोबा में जिला पंचायत की बेशकीमती संपत्ति पर 46 साल से अवैध कब्जा जमाये भू माफिया पर करोड़ों रुपये रिकवरी का नोटिस जारी होने के बाद भी आरसी की रकम जमा न करने पर तहसीलदार ने आज अवैध कब्जाधारी को जेल भेज दिया। इस कार्यवाही के बाद से सरकारी जमीनों पर अवैध कब्जा किए भूमाफिया में भी हड़कंप मच गया है।
दरअसल आपको बता दें कि महोबा शहर के आल्हा चौक के समीप जिला पंचायत की बेशकीमती संपत्ति पर माधव खरे का अवैध कब्जा है। जिसको लेकर जिला पंचायत ने बेदखली के नोटिस सहित 3 करोड़ 71 लाख 59 हजार रुपये का रिकवरी नोटिस भेजा था। जिस पर राजस्व विभाग ने जिला पंचायत से जारी हुई आरसी के तहत इनको नोटिस और मांग पत्र दिया था लेकिन15 दिन बीत जाने के बाद भी कोई धनराशि जमा नही की गई। जिस पर आज तहसीलदार बालकृष्ण सिंह के निर्देश पर राजस्व की टीम मौके पर पहुंची जहां तकरीबन 5 घंटे तक राजस्व कर्मियों को उक्त कब्जाधारी को पकड़ने के लिए मशक्कत करनी पड़ी। इसके बाद तहसील से आरोपी को जेल भेज दिया गया। तहसीलदार बालकृष्ण सिंह बताते हैं कि जिला पंचायत विभाग द्वारा जारी की गई आरसी की रकम जमा न किए जाने पर जेल भेजने की कार्रवाई की गई है।
वही इस पूरे मामले को लेकर समाजसेवी और आरटीआई कार्यकर्ता जीवनलाल चौरसिया बताते हैं कि जिला पंचायत की बेशकीमती जमीन पर 46 साल से माधव खरे कब्जा किए हैं और गलत तरीके से सरकारी जमीन की न केवल रजिस्ट्री की गई बल्कि किराए पर उठाकर सरकारी जमीन अवैध कब्ज़ा किया गया। इस अवैध कब्जों की शिकायतों के बाद अब कार्यवाही होती दिख रही है। बीते दिनों जिला पंचायत विभाग ने कब्जेधारी माधव खरे को 3 करोड़ 71 लाख 59 हजार रुपये का रिकवरी नोटिस भेजा फिर भी कोई बड़ी कार्यवाही अमल में नहीं लाई गई।
जीवनलाल का आरोप है कि सत्ता पक्ष और प्रशासन के लोगों की मिलीभगत के चलते कब्जा धारी बेखौफ था। सरकारी संपत्ति को कब्ज़ा मुक्त कराने के लिए समाजसेवी जीवनलाल चौरसिया साढ़े 4 वर्ष से लड़ाई लड़ रहे है। उनके द्वारा भू माफिया के खिलाफ जो अभियान चलाया जा रहा है उससे उसकी जान को भी खतरा है। वह बताता है कि आरसी की रकम जमा न करने वाले कब्जेधारी को पकड़ने गई राजस्व टीम को पांच घंटे लग गए जो कही न कही सत्ता पक्ष के दबाब को दर्शाता है उसका आरोप है कि सत्ता पक्ष के लोग ही भू माफिया को बचाने में जुटे थे मगर अब उसे जेल भेज दिया गया है।
बताया जाता है कि जिला पंचायत विभाग की इस बेशकीमती संपत्ति का वर्ष 1946 में 30 साल के लिए पट्टा हुआ था और 1975 में उक्त आवासीय पट्टा समाप्त हो जाने के बावजूद भी उस पर भू माफिया ने कब्जा जमा लिया, जबकि दिए गया पट्टा आवासीय था उसके बाद भी दुकानों का निर्माण कर व्यवसायिक कार्य किए गए। चार बार गजट कर उक्त जमीन को जिला पंचायत की बताया जा चुका है लेकिन फिर भी जिम्मेदार अधिकारियों ने इस पर कोई कार्यवाही नहीं की। आखिरकार जिला पंचायत ने अब बेशकीमती जमीन को कब्जा मुक्त कराने के लिए आरोपी भूमाफिया को 3 करोड़ 71 लाख 59 हजार का रिकवरी नोटिस थमा दिया है साथ ही अन्य कब्जे धारियों को भी बेदखली के नोटिस देते हुए कार्यवाही के निर्देश दिए हैं।
सरकारी जमीन पर दुकान संचालित किए वीरेंद्र कुमार का कहना था कि वह दुकान 22 वर्ष से किराये पर लिए है। उसे नहीं पता कि उक्त जमीन का क्या मामला है और किसकी संपत्ति है। लेकिन जिला पंचायत विभाग से नोटिस आए हैं जबकि उसने दुकान किराए पर ली है उसे लगता है कि उसके साथ धोखाधड़ी हुई है।
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