'भारत को सांस्कृतिक आधार पर आत्मनिर्भर बनना है, आर्थिक आधार पर नहीं'

पन्द्रह दिवसीय कार्यशाला "कोविड-19 के साथ जीवन:स्वावलंबी भारत की रूपरेखा" विषय पर आयोजित ई-कार्यशाला के द्वितीय दिवस में डॉ राजेंद्र कुमार पांडेय सह आचार्य राजनीति विज्ञान विभाग ने अतिथियों का स्वागत एवं परिचय कराया।

Dharmendra kumar
Published on: 26 May 2020 9:31 PM IST
भारत को सांस्कृतिक आधार पर आत्मनिर्भर बनना है, आर्थिक आधार पर नहीं
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मेरठ: आज यहां चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय के राजनीति विज्ञान विभाग एवं पंडित दीनदयाल उपाध्याय शोध पीठ के तत्वाधान में पन्द्रह दिवसीय कार्यशाला "कोविड-19 के साथ जीवन:स्वावलंबी भारत की रूपरेखा" विषय पर आयोजित ई-कार्यशाला के द्वितीय दिवस में डॉ राजेंद्र कुमार पांडेय सह आचार्य राजनीति विज्ञान विभाग ने अतिथियों का स्वागत एवं परिचय कराया।

प्रोफेसर पवन कुमार शर्मा विभागाध्यक्ष राजनीति विज्ञान विभाग एवं निदेशक पंडित दीनदयाल उपाध्याय शोध पीठ चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय मेरठ ने विषय प्रवेश कराते हुए कहा कि वर्तमान में यह ई-कार्यशाला उत्तर प्रदेश शासन द्वारा स्थापित पंडित दीनदयाल शोध पीठ के अंतर्गत की जा रही है। इसकी स्थापना राजनीति विज्ञान विभाग चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय में 2 जनवरी सन 2018 में हुई थी। इस शोध पीठ के अंतर्गत अब से पहले बहुत सी सेमिनार,कार्यशाला एवं शोध अध्ययताऔ के लिए बहुत सी सामग्री दीनदयाल उपाध्याय के कृतित्व एवं विचार से संबंधित प्रकाशित की गई है।

इसके पश्चात प्रोफेसर पवन कुमार शर्मा ने ई-कार्यशाला का विषय प्रवेश कराते हुए कहा कि पंडित दीनदयाल उपाध्याय बीसवीं सदी के महान चिंतक हुए जिन्होंने आर्थिक,सामाजिक एवं राजनीतिक चिंतन को सूत्र रूप में एकात्म मानव दर्शन के नाम से प्रस्तुत किया जिससे संपूर्ण विश्व का एवं मानवता का कल्याण हो सके। और इसके अलावा महात्मा गांधी जयप्रकाश नारायण अरविंद घोष स्वामी विवेकानंद दयानंद सरस्वती और भी बहुत से चिंतक हुए हैं जिन्होंने मनुष्य को केंद्र में रखकर विश्व के कल्याण की बात की है।

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प्रथम सत्र की मुख्य वक्ता प्रोफेसर नीलू जैन गुप्ता आचार्य जंतु विज्ञान विभाग चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय ने भारतीय जीवनशैली व जैविक घड़ी विषय पर अपना वक्तव्य प्रस्तुत किया उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में कोरोना महामारी संकट से पूरा विश्व जूझ रहा है इसका कारण मनुष्य की दिनचर्या कार्यकलापों एवं खानपान का सुचारू रूप से लागू ना हो पाना है। उन्होंने पावर पॉइंट प्रेजेंटेशन के माध्यम से पृथ्वी की उत्पत्ति के बारे में और जैविक घड़ी के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने कहा कि मानव शरीर की कुछ मूलभूत आवश्यकताएं होती है जैसे भोजन व्यायाम नियम ध्यान योग जिनसे मानव की शारीरिक संरचना पूर्ण तरीके से कार्य करती रहे लेकिन आज वर्तमान समय में हमने भारतीय जीवन शैली एवं वेदों आयुर्वेद एवं चरक संहिता के ज्ञान को भुला दिया है जबकि हमारे यहां मनुष्य के सूर्य उदय होने से लेकर रात्रि के समय तक सभी आचार्य एवं नियम निर्धारित किए गए हैं जिससे हम अपने शरीर को स्वस्थ रख सके अपने परिवार को स्वस्थ रख सके अपने समाज को स्वस्थ रख सके और इस पूरे विश्व को स्वस्थ रख सकें उन्होंने कोरोना वायरस के प्रभाव शरीर पर किस तरह से कार्य करता है उसके बारे में भी बताया और इस कोरोनावायरस से हम अपने आप को कैसे बचा सकते हैं इसके उपायों के बारे में भी विस्तार से बताया। हमें और पूरे विश्व को अगर जो स्वस्थ रहना है तो हमें भारतीय जीवन शैली को अपनाना होगा जिसमें आयुर्वेद वेदों का ज्ञान आयुर्वेद एवं योग को अपनाना होगा।

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द्वितीय सत्र के मुख्य वक्ता प्रोफेसर कुलदीप चंद अग्निहोत्री कुलपति हिमाचल केंद्रीय विश्वविद्यालय शिमला ने स्वावलंबन एवं पंडित दीनदयाल उपाध्याय एकात्म मानव दर्शन विषय पर वक्तव्य देते हुए कहा कि वैश्विक स्तर पर विश्व में जो व्यवस्था है चल रही है वह शोषणकारी है वे व्यवस्था अपने से निर्बल देशों का समाज समाज का व्यक्तियों का शोषण करती हैं जबकि पंडित दीनदयाल उपाध्याय का एकात्म मानव दर्शन सर्वजन हिताय सर्वजन सुखाय की बात करता है। उन्होंने कहा कि भारत को आत्मनिर्भर जो बनना है वह सांस्कृतिक आधार पर बनना है ना कि आर्थिक आधार पर। भारत को आत्मनिर्भर बनना है विश्व के कल्याण के लिए मनुष्यता के कल्याण के लिए ना की दूसरों के शोषण के लिए जैसा कि वर्तमान परिदृश्य में इस महामारी के संकट में कुछ देशों के द्वारा किया जा रहा है।

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कुलपति नरेंद्र कुमार तनेजा जीने ई कार्यशाला के आयोजन के लिए राजनीति विज्ञान विभाग एवं पंडित दीनदयाल उपाध्याय शोध पीठ को शुभकामनाएं दी यह आयोजन सफल हो और इस वैश्विक महामारी के काल में ज्यादा से ज्यादा विद्यार्थी शिक्षार्थी एवं शोध अध्ययन इसका लाभ ग्रहण कर सकें। उन्होंने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहां की भारत का प्राचीन ज्ञान उच्च कोटि का है और मानवता के कल्याण के मार्ग को प्रशस्त करता है आज वर्तमान समय में विश्व की बड़े से बड़े देश चिंतक इस बात को मान रहे हैं। उन्होंने कहा कि वर्ष 2000 एवं वर्ष 2015 में संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा बनाए गए संपोषणीय विकास के मापदंड आज से 50 वर्ष पूर्व लगभग पंडित दीनदयाल उपाध्याय एकात्म मानव दर्शन एवं चिंतन में हमें मिलते हैं।पंडित दीनदयाल उपाध्याय का चिंतन व्यक्ति समाज प्रकृति एवं जो भी जो प्राणी इस ब्रह्मांड में चाहे वह चर रूप में हो या अचर रूप में हो सभी को अपने से घनिष्ठ रूप में देखता है।

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प्रोफेसर वाई विमला प्रतिकुलपति चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय ने अपने उद्बोधन में कहां की पंडित दीनदयाल उपाध्याय का एकात्म मानव दर्शन मानव का मानव में विश्वास समाज के साथ संबंध एवं प्रकृति के साथ संबंध है जो हमें धर्म के मार्ग पर चलने की प्रेरणा एवं मार्गदर्शन प्रस्तुत करता है जिससे इस संपूर्ण विश्व का संतुलन बना रहे चाहे वह मनुष्यता का हो या प्रकृति का हो या इस ब्रह्मांड का सभी का एक दूसरे से जुड़ाव ही सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है।

ई कार्यशाला के आयोजक प्रोफेसर पवन कुमार शर्मा ने सभी अतिथियों का एवं सहभागियों का धन्यवाद ज्ञापित किया। मंच का संचालन भानु प्रताप शोध छात्र राजनीति विज्ञान विभाग ने किया। कार्यशाला में सहयोग डॉ राजेंद्र कुमार पांडेय, डॉक्टर भूपेंद्र प्रताप सिंह, डॉक्टर देवेंद्र उज्जवल, डॉ सुषमा संतोष त्यागी व नितिन त्यागी आदि का रहा।

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