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मुफ्त ऑक्सीजन के लिये पर्यावरण संरक्षण आवश्यक: प्रो. रविशंकर
विश्व पर्यावरण दिवस की पूर्व संध्या पर वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल के भू एवं ग्रहीय विज्ञान विभाग, रज्जू भइया संस्थान के तत्वावधान में "पर्यावरण संरक्षण : विश्लेषण एवं भविष्य की रणनीतियां" विषय पर वेबिनार का आयोजन किया गया।
वेबिनार सम्मिलित लोग (फोटो - सोशल मीडिया )
जौनपुर: विश्व पर्यावरण दिवस की पूर्व संध्या पर वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल के भू एवं ग्रहीय विज्ञान विभाग, रज्जू भइया संस्थान के तत्वावधान में "पर्यावरण संरक्षण : विश्लेषण एवं भविष्य की रणनीतियां" विषय पर वेबिनार का आयोजन किया गया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रही पूर्वांचल विश्वविद्यालय की कुलपति प्रोo निर्मला एस मौर्य ने पर्यावरण संरक्षण के लिए युवाओं को आगे आने की अपील की। प्रो. मौर्य ने कहा कि  आज जब देश कोरोना  संकट से गुजर रहा है तब पर्यावरण संरक्षण व संतुलन और भी महत्वपूर्ण हो जाता है। प्रोo मौर्य ने विश्वविद्यालय के द्वारा इस दिशा में किये जा रहे कार्यों की भी चर्चा की। उन्होंने कहा कि आगामी 05 जून को विश्वविद्यालय परिसर में वृहद वृक्षारोपण किया जाएगा।
वेबिनार के मुख्य अतिथि के रूप में राम मनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय, अयोध्या के कुलपति प्रोo रविशंकर सिंह ने पर्यावरण व पारिस्थितिकी के विभिन्न आयामों पर चर्चा   की। प्रो सिंह के कहा कि इक्कीसवीं सदी में पर्यावरण संरक्षण एक महत्वपूर्ण चुनौती के रूप में उभर रहा है जिसके लिए हमारी सरकार तमाम प्रयास कर रही हैं । उन्होंने कहा कि पर्यावरण संरक्षण के लिये जनमानस को आगे आना होगा और इसे अभियान बनाकर अपनी दिनचर्या में शामिल करने की आवश्यकता है । जनजागरण व जनभागीदारी से ही पर्यावरण संरक्षण व  संवर्द्धन सुनिश्चित किया जा सकेगा एवं हम भावी पीढ़ीयों को बेहतर भविष्य दे पाएंगे।
कार्यक्रम के मुख्य वक्ता डॉ कमलेश कुमार सिंह, अपर महानिदेशक, भारत मौसम विज्ञान विभाग, पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय, नई दिल्ली ने पर्यावरण की वर्तमान चुनौतियों पर विस्तार से चर्चा की। डॉ सिंह ने पर्यावरण असंतुलन के कारण उत्पन्न विभिन्न प्राकृतिक प्रभावों एवं आपदा पर प्रकाश डाला। उन्होंने जलवायु परिवर्तन तथा मौसम विज्ञान के अध्ययन का कृषि एवं दैनिक जीवन मे उपयोग की महत्ता बताया।  डॉ सिंह ने ग्रीनहाउस गैस के बढ़ते विपरीत प्रभाव के बारे में चर्चा की । उन्होंने बढ़ती जनसंख्या के कारण अत्यधिक अन्न उत्पादन हेतु अंधाधुंध खाद व कीटनाशकों को भी पारिस्थितिकीय असंतुलन के लिए जिम्मेदार बताया। उन्होंने कहा कि हम अपने मुनाफे के लिए प्रकृति व पर्यावरण को नजरअंदाज कर रहे हैं जो बेहद चिंता की बात है। उन्होंने पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय व भारत सरकार द्वारा पर्यावरण संरक्षण, जलवायु परिवर्तन व मानसून के  क्षेत्र में किये जा रहे प्रयासों व विभिन्न योजनाओं के बारे में विस्तार से जानकारी दी।
वेबिनार का संचालन डॉ. नीरज अवस्थी ने किया व अथितियों का स्वागत संस्थान के निदेशक प्रो. देवराज सिंह ने किया। भू एवं ग्रहीय विज्ञान विभाग के अध्यक्ष डा. श्याम कन्हैया सिंह ने कार्यक्रम की रूपरेखा रखी। तकनीकी सहयोग डा. शशिकांत यादव व अतिथियों का धन्यवाद ज्ञापन डा. श्रवण कुमार ने किया। इस अवसर पर रज्जू भैया संस्थान के समस्त शिक्षक सहित विश्वविद्यालय के सभी आचार्यगण उपस्थित रहे। इस अवसर पर भारी संख्या में शोधार्थी व छात्र छात्राओं ने भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराईं।
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