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कानपुर -75 पार्षदों ने महापौर को सामूहिक रूप से इस्तीफा सौपा
कानपुर नगर निगम इन दिनों अखाड़े में तब्दील हो गया है। एक तरफ नगर निगम के कर्मचारी है तो दूसरी तरफ पार्षद है। मंगलवार को महापौर के कार्यालय में पहुँच कर 75 पार्षदों ने एक साथ सामूहिक रूप से इस्तीफा सौप दिया। जिसमें से 58 पार्षद भारतीय जनता पार्टी के है और 17 पार्षद अन्य दलों के है।
कानपुर: कानपुर नगर निगम इन दिनों अखाड़े में तब्दील हो गया है। एक तरफ नगर निगम के कर्मचारी है तो दूसरी तरफ पार्षद है। मंगलवार को महापौर के कार्यालय में पहुँच कर 75 पार्षदों ने एक साथ सामूहिक रूप से इस्तीफा सौप दिया। जिसमें से 58 पार्षद भारतीय जनता पार्टी के है और 17 पार्षद अन्य दलों के है। सामूहिक रूप से इस्तीफा देने के बाद बीजेपी में हडकंप मच गया। और नगर निगम कर्मचारियों में हडकंप मच गया। दरसल नगर निगम के कर्मचारियों और पार्षदों के बीच जमकर मारपीट हुयी थी। नगर निगम कर्मचारी पार्षदों पर कार्यवाई की मांग को लेकर हड़ताल पर है। जिसकी वजह से पूरे शहर का कामकाज ठप पड़ा हुआ है।
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नगर निगम में जन्म प्रमाण पत्र मृत्यु प्रमाण पत्र समेत सीवर टैक्स ,वाटर टैक्स के बिल संसोधन आदि कार्यो में बड़े पैमाने पर घूस खोरी का खेल चल रहा था। शहर के 110 वार्डो की जनता अपने-अपने पार्षदों से इस बात की शिकायत कर रहे थे। बीते 17 नवम्बर 2018 पार्षद नीरज बाजपेयी और राघवेन्द्र सिंह नगर निगम जन्म-म्रत्यु कार्यालय में तैनात मोहम्मद नसीम से मिलने के लिए गए थे। नीरज बाजपेयी ने मोहम्मद नसीम से एक जन्म प्रमाण पत्र बनाने को कहा तो मोहम्मद नसीम ने कागजात पूरे नहीं है और बनाने से मना कर दिया । इस बात पार्षद और नसीम में कहा सुनी होने लगी ,कार्यालय में तैनात बाबू ने दोनों पार्षदों को धक्का देकर बाहर निकाल दिया ।
इसके बाद नीरज बाजपेयी बीते 18 नवम्बर को लगभग आधा दर्जन पार्षदों के साथ जन्ममृत्यु कार्यालय पहुंचे। पार्षद कार्यालय में हंगामा करने लगे ,हंगामे की सूचना पर सैकड़ो नगर निगम कर्मचारी इकठ्ठा हो गए। कुछ ही देर बाद पार्षदों और नगर निगम कर्मचारियों के बीच मारपीट शुरू हो गयी थी। इस बवाल के बाद कर्मचारियों ने स्वरुप नगर थाने में पार्षदों के खिलाफ ऍफ़आईआर दर्ज करायी थी। जब पार्षदों पर कार्यवाई नहीं हुयी तो नगर निगम के सभी कर्मचारी हड़ताल पर चले गए। कर्मचारी यूनियन बैनर तले धरने पर बैठ गए। कर्मचारियों की हड़ताल के बाद पूरे शहर में हडकंप मच गया ।
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बीजेपी पार्षद राघवेन्द्र के मुताबिक नगर निगम कर्मचारी जनता का काम नही कर रहे थे। जो काम करते थे उसके बदले वसूली करते थे जिसकी शिकायते लगातार मिल रही थी। जब पार्षद जनता के बीच जाते थे तो उन्हें जनता की खरी खोटी बाते सुनने को मिलती थी। आपत्ति दर्ज की तो उनका झगड़ा हो गया। बीती 17 नवम्बर को कर्मचारियों ने पार्षद के खिलाफ एफआईआर दर्ज करा दी तो पार्षद ने भी क्रास एफआईआर करा दी। पार्षदों की बर्खास्तगी की माॅग को लेकर चार दिन पहले कर्मचारी संगठनों ने हड़ताल का ऐलान कर दिया और कामकाज ठप्प कर दिया। उधर आज पार्षदों ने इसे आत्मसम्मान का मुद्दा बनाकर सर्वदलीय बैठक बुलायी और कानपुर के कुल 110 पार्षदों में से 75 ने सामूहिक इस्तीफा मेयर को सौंप दिया।
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बीजेपी पार्षद नीरज बाजपेयी ने कहा कि अधिकारियो और कर्मचारियों की इस करतूत को हम बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष के पास जायेगे l इनके खिलाफ कार्यवाई की मांग करेगे ,यदि हमारी मांगे पूरी नही हुयी तो एक बीजेपी पार्षद आने वाले 2019 के लोकसभा चुनाव के किसी भी कार्यक्रम में हिस्सा नही लेगे l
मेयर प्रमिला पाण्डेय ने कहा कि इस लड़ाई की वे खुद चश्मदीद गवाह हैं। लेकिन साथ ही उन्होने इसे पारिवारिक मामला बताया और नगर आयुक्त के साथ मिलकर हल निकाल लेने की उम्मीद जतायी। उनका कहना है कि दोनो पक्ष पहले अपनी पुलिस में दर्ज करायी गयी एफआईआर वापस लें। इसके बाद नगर निगम विभागीय जाॅच करेगा और जो भी दोषी पाया जायगा उसके खिलाफ कार्यवाही का वे आश्वासन देती हैं।
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