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Lucknow: एसएनए में कथकाचार्य पंडित लच्छू महाराज को किया याद, कथक से गुरु को किया नमन
Lucknow News: विख्यात कथक गुरु कथकाचार्य पंडित लच्छू महाराज की जयंती पर उनकी स्मृति में और कथक केन्द्र की स्वर्ण जयंती के मौके पर उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी एवं कथक केन्द्र द्वारा आयोजित दो दिवसीय 'नमन' समारोह की बुधवार को भव्य शुरूआत हुई।
कथकाचार्य पंडित लच्छू महाराज को किया याद (फोटों न्यूज नेटवर्क)
Lucknow News: विख्यात कथक गुरु कथकाचार्य पंडित लच्छू महाराज की जयंती पर उनकी स्मृति में और कथक केन्द्र की स्वर्ण जयंती के मौके पर उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी एवं कथक केन्द्र द्वारा आयोजित दो दिवसीय 'नमन' समारोह की बुधवार को भव्य शुरूआत हुई। संत गाडगेजी महाराज प्रेक्षागृह में आयोजित समारोह की प्रथम संध्या में आकर्षक कथक प्रस्तुतियों से कथकाचार्य पंडित लच्छू महाराज को नमन किया गया। समारोह की प्रस्तुतियों को मुख्यतः कथक के लास्य अंग पर आधारित रखा गया है।
समारोह का उद्घाट्न अकादमी के अध्यक्ष पद्मश्री डॉ.राजेश्वर आचार्य और पूर्व अध्यक्ष डॉ. पूर्णिमा पांडेय के दीप प्रज्जवलन और कथकाचार्य पंडित लच्छू महाराज के चित्र पर माल्यार्पण से हुआ। अकादमी के अध्यक्ष पद्मश्री राजेश्वर आचार्य ने कहा कि महापुरुष अपने कृतित्व से जीते हैं और अपनी यश काया में हमारे बीच रहते हैं। अकादमी की पूर्व अध्यक्ष डॉ. पूर्णिमा पांडेय ने कहा कि कथकाचार्य पंडित लच्छू महाराज ने नृत्य को अभिनय के माध्यम से प्रस्तुत करने का महत्त्वपूर्ण कार्य किया। वे कथक केन्द्र से जुड़े। अकादमी के सचिव तरुण राज ने आरंभ में स्वागत करते हुए अकादमी की गतिविधियों की जानकारी दी और बताया कि कथक केन्द्र ने किस प्रकार अपनी 50 वर्षों की लंबी यात्रा तय कर ली है। इस लंबी यात्रा में कथक के कई विख्यात गुरु केन्द्र से जुड़े तथा केन्द्र ने ढेर सारी यादगार कथक प्रस्तुतियां दीं।
संध्या के कार्यक्रमों का आरंभ कथक केन्द्र की ही प्रस्तुति से हुआ। केन्द्र द्वारा प्रस्तुत 'कृष्ण वंदन' में भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं एवं उनकी बांसुरी का वर्णन किया गया। जो राग 'खमाज' एवं ताल कहरवा में निबद्ध था और इसमें नटवरी एवं कवित्त का भी समावेश किया गया। इस प्रस्तुति में केंद्र के छात्र-छात्राओं- रूबल जैन, अनिमेष सिंह, शताक्षी यादव, विदुषी शुक्ला, वाणी जैस्वाल, ईवा विश्वास, प्रसिद्धि, राद्ध्या, भव्या श्रीवास्तव, मेधा, शरणय्या, अर्षिता, काव्या, उन्नति, दीप्ति, तनु , सृष्टि, लाभांशी,सिद्धि, रीति, मौलिशा, अरुणिमा ,आरना, मेधावी, वैभवी गौतम, वैभवी गुप्ता, मौसम, गौरंगी, आशिवी, अनन्या पाठक, अंशिका, नेहा एवं परणिका ने भाग लिया।
इसी को ध्यान में रखते हुए केन्द्र की द्वितीय प्रस्तुति वरिष्ठ छात्राओं द्वारा की गई। जिसमें कथक नृत्य के पारंपरिक अंग के साथ भाव छेड़छाड़ की आमद, तिस्र जाति में कृष्ण की बांसुरी पर आधारित कवित्त, परन, परमेलू, 101 चक्कर, शृंगार की गत के साथ ही राग-'मुल्तानी' पर आधारित ठुमरी- 'रुनक झुनक मोरी पायल बाजे' पर भाव प्रस्तुत किया गया। जिसमें श्रुति शर्मा, प्रियम यादव, शरण्या शुक्ला, पाखी सिंह, ओस स्वराज, सानवी सक्सेना, गौरी शुक्ला, सुनिष्का कश्यप ने प्रतिभाग किया। इन प्रस्तुतियों का नृत्य निर्देशन श्रुति शर्मा ने किया। जबकि संगीत निर्देशन एवं गायन कमलाकांत का था, तबला एवं पढंत पार्थ प्रतिम मुखर्जी एवं राजीव शुक्ला ने किया। पखावज पर दिनेश प्रसाद, बांसुरी दीपेन्द्र कुंवर, सितार पर डॉ. नवीन मिश्र एवं सारंगी पर अर्चना थीं।
समारोह में नगर की युवा नृत्यांगना द्वय ईशा एवं मीशा रतन ने युगल नृत्य का कार्यक्रम प्रस्तुत किया। उन्होंने अपने कार्यक्रम की शुरूआत राधा कृष्ण पर आधारित कविता पर भाव प्रदर्शन से किया। जिसके बोल थे-'विष्णु की मोहमयी महिमा के असंख्य स्वरूप दिखा गया कान्हा, सारथी तो कभी प्रेमी बना, कभी गुरु धर्म निभा गया कान्हा'। रतन बहनों ने तदुपरान्त कथक का पारंपरिक स्वरूप प्रस्तुत किया। जिसके अन्तर्गत उपज, थाट, त्रिपल्ली आदि की प्रस्तुति हुई और अन्त में तीन ताल में कवित्त, परन, बेदम तिहाई, चक्करदार का सुंदर निकास एवं जुगलबंदी की गई। नृत्य निर्देशन सुरभि सिंह ने किया, जबकि गायन में विकास मिश्र और गायन में बृजेन्द्र श्रीवास्तव ने संगत की।
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