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संक्रामित बीमारियों से परेशान हैं तो, KGMU करेगा बेहतर उपचार
यूपी में इलाज का हब माने जाने वाले राजधानी के किंग जार्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) के विशेषज्ञ अब छोटे से छोटे वायरस की शरीर में पहचान कर उनको दूर कर सकेंगे। संक्रामित बीमारियों से जूझ रहे मरीजों का बेहतर उपचार केजीएमयू के माइक्रोबायोलॉजी विभाग में होगा। 9 दिसंबर को केजीएमयू के माइक्रोबायोलॉजी विभाग के वायरस रिसर्च एंड डायग्नॉस्टिक लैब की शुरुआत होने से ऐसा संभव हो सका है। चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण की सचिव वी हेकाली झिमोमी ने लैब का उद्घाटन शनिवार को किया।
लखनऊ: यूपी में इलाज का हब माने जाने वाले राजधानी के किंग जार्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) के विशेषज्ञ अब छोटे से छोटे वायरस की शरीर में पहचान कर उनको दूर कर सकेंगे।
संक्रामित बीमारियों से जूझ रहे मरीजों का बेहतर उपचार केजीएमयू के माइक्रोबायोलॉजी विभाग में होगा। 9 दिसंबर को केजीएमयू के माइक्रोबायोलॉजी विभाग के वायरस रिसर्च एंड डायग्नॉस्टिक लैब की शुरुआत होने से ऐसा संभव हो सका है। चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण की सचिव वी हेकाली झिमोमी ने लैब का उद्घाटन शनिवार को किया।
इस लैब में संक्रामक रोगों के वायरस पर शोध किया जाएगा। साथ ही बीमारी के वायरस की भी पहचान की जा सकेगी। जिससे कि मरीज को उसकी बीमारी के अनुसार इलाज मिल सके।
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लैब खुलने से मरीजों को मिलेगा यह लाभ
-सूक्ष्म जीवों (माइक्रो आर्गनिज्म), विशिष्ट और अंजान वायरस की पहचान की जाएगी। जिससे शोध के आधार पर दवाईयों का डोज निर्धारित किया जाएगा।
-मौसमी बीमारियों और महामारी की स्थिति में इस लैब से बीमारियों पर शोध कर उन पर काबू किया जा सकेगा।
-हेल्थ प्रोफेशनल और लैब के कर्मचारियों को प्रशिक्षण मिलेगा।
-बीमारियों और वायरस के प्रभाव का राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर एक डाटा तैयार किया जाएगा।
-वायरल संक्रामक रोग सर्विलांस के लिए राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के साथ सहयोग किया जाएगा।
-वायरोलॉजी के क्षेत्र में शोध कार्यों को बढ़ावा मिलेगा।
स्वाइन फ्लू, इंसेफ्लाइटिस पर लगेगी लगाम
माइक्रोबायोलॉजी विभागाध्यक्ष प्रो. अमिता जैन ने बताया कि यूपी के कई जिलों में स्वाइन फ्लू एक महामारी की तरह फैली है। यही हाल इंसेफलाइटिस और डेंगू का भी है। इनकी चपेट में आकर हर साल सैकड़ों लोगों की मौत होती है।
लैब में 30 प्रकार के वायरल की हो सकेगी पहचान
लैब में 30 प्रकार के वायरल संक्रमण को आधुनिक मशीनों की सहायता से खोजा जाएगा। हेपेटाइटिस बी, सी तथा हरपीज जैसे वायरल रोगों से पीड़ित मरीजों के इलाज बेहतर तरीके से हो सकेंगे।
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