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दिव्य कुंभ-भव्य कुंभ: किन्नर अखाड़े ने झूमकर किया शाही स्नान
संगम स्नान के बाद लोगों ने दान पुण्य किया और बड़े हनुमानजी के दर्शन कर संतों के अखाड़ों में यज्ञ और हवन पूजन में भी भाग लिया। स्नान के दौरान छोटे बड़े, ऊंच नीच, नारी पुरुष जैसा कोई भेदभाव नहीं दिख रहा था। अनेक विदेशियों ने भी संगम स्नान कर अमृत पान की अपनी चाहत पूरी की।
प्रयागराज: संगम, सूर्य और मकर के अंतरसंबंध की झलक मंगलवार को दिखायी पड़ रही थी। संगम स्नान को उमड़ी भीड़ जब हर हर गंगे का उद्घोष कर रही थी तो लग रहा था मानों दसों दिशाओं में इसी की गूंज है। अखाड़े हर हर महादेव का गगनभेदी उद्घोष करते दिखे। जूना अखाड़े में शामिल होकर शाही स्नान को निकला किन्नर अखाड़ा मेले मेें सर्वाधिक आकर्षण का केंद्र रहा।
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किन्नर अखाड़े के महामंडलेश्वर आचार्य लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी अपनी सहयोगी भवानी के साथ रथ पर सवार थे। इस अखाड़े में बड़ी संख्या में साधु संत थे। किन्नर अखाड़े के संत भी शाही स्नान की शोभायात्रा में शामिल होकर खुद को धन्य महसूस कर रहे थे। तभी तो महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण ने कहा भी कि हम सनातन धर्म की रक्षा में पीछे नहीं हैं। हम सनातन पुत्र हैं। हमें अपनी परंपरा और मान्यताओं पर गर्व है। हम देश विदेश में अपने धर्म की अलख जगा रहे हैं।
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स्नान को उमड़े किन्नरों, संतों और श्रद्धालुओं को देखकर तुलसीकृत रामचरित मानस की वह चौपाइयां साकार हो रही थीं कि-
"माघ मकरगत रबि जब होई। तीरथपतिहिं आव सब कोई।''
''देवदनुज किन्नर नर श्रेनी। सादर मज्जहिं सकल त्रिबेनी।''
''पूजहिं माधव पद जलजाता। परसि अछैबट हरसहिं गाता।"
संगम स्नान के बाद लोगों ने दान पुण्य किया और बड़े हनुमानजी के दर्शन कर संतों के अखाड़ों में यज्ञ और हवन पूजन में भी भाग लिया। स्नान के दौरान छोटे बड़े, ऊंच नीच, नारी पुरुष जैसा कोई भेदभाव नहीं दिख रहा था। अनेक विदेशियों ने भी संगम स्नान कर अमृत पान की अपनी चाहत पूरी की।
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